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वैशाली व्यवहार न्यायालयः स्पीडी ट्रायल पर भेजे गए 101 लंबित मामले, 20 से 25 वर्ष पुराने हैं कई केस

वैशाली में पहली बार 20 से 25 वर्ष पुराने मामलों को स्पीडी ट्रायल के लिए भेजा गया है. वैशाली व्यवहार न्यायालय (Vaishali Civil Court) में 101 लंबित मामलों को स्पीडी ट्रायल के लिए नामित किया गया है. इनमें कई नए और पुराने मामले शामिल हैं. पढ़िये पूरी खबर.

वैशाली व्यवहार न्यायालय
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Published : Feb 2, 2022, 5:29 PM IST

वैशाली: बिहार के वैशाली व्यवहार न्यायालय में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर द्वारा 101 लंबित मामलों को स्पीडी ट्रायल के लिए भेजा गया है. स्पीडी ट्रायल के लिए भेजे गए मामलों में कुछ पुराने मामले भी शामिल (101 Pending Cases Sent For Speedy Trial) किए गए हैं. कई ऐसे मामले भी हैं जो करीब बीस से पचीस वर्ष पुराने हैं. उनकी फाइल को अबतक खोला भी नहीं गया है.

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माना जा रहा है कि स्पीडी ट्रायल टेस्ट के तौर पर पुराने लंबित मामलों को लिया गया है. इस विषय में लोक अभियोजक वीरेंद्र नारायण सिंह (Public Prosecutor Virendra Narayan Singh) ने बताया कि उन्होंने कुछ अभिलेख की जांच ती. इस दौरान वर्ष 1980, 1995, 1996 और 1998 के कुछ ऐसे लंबित मामले मिले, जिनकी अभी तक शुरुआत भी नहीं हो पाई है. वह सारे मामले न्यायालय में पड़े हुए हैं. इनका ट्रायल भी अब तक शुरू नहीं हुआ है.

ऐसे ही कुछ मामलों को स्पीडी ट्रायल के लिए बनाई गई सूची में रखा गया है. उन्होंने आगे बताया कि इन मामलों के शुरू नहीं होने के पीछे कई वजहें हैं. किसी मामले में जैसे पांच एक्यूज्ड हैं, इनमें से कोई हाजिर है, तो किसी का पता हीं चल पा रहा है. इस तरीके से ये मामले लंबित हो जाते हैं.

लोक अभियोजक वीरेंद्र नारायण सिंह ने न्यायालय का ध्यान इन मामलों पर आकृष्ट कराया. उन्होंने कहा कि पुराने केस को स्पीडी ट्रायल में लेकर डे-टू-डे काम करवाया जाए. इससे फैसला जल्द आने की उम्मीद रहेगी. वहीं दूसरा इसका समाज पर काफी असर पड़ेगा. उन्होंने आगे बताया कि 101 मामलों में अलग-अलग एपीपी को मामले सौंपे गए हैं. वही कुछ मामलों को वे खुद देख रहे हैं.

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वैशाली: बिहार के वैशाली व्यवहार न्यायालय में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर द्वारा 101 लंबित मामलों को स्पीडी ट्रायल के लिए भेजा गया है. स्पीडी ट्रायल के लिए भेजे गए मामलों में कुछ पुराने मामले भी शामिल (101 Pending Cases Sent For Speedy Trial) किए गए हैं. कई ऐसे मामले भी हैं जो करीब बीस से पचीस वर्ष पुराने हैं. उनकी फाइल को अबतक खोला भी नहीं गया है.

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माना जा रहा है कि स्पीडी ट्रायल टेस्ट के तौर पर पुराने लंबित मामलों को लिया गया है. इस विषय में लोक अभियोजक वीरेंद्र नारायण सिंह (Public Prosecutor Virendra Narayan Singh) ने बताया कि उन्होंने कुछ अभिलेख की जांच ती. इस दौरान वर्ष 1980, 1995, 1996 और 1998 के कुछ ऐसे लंबित मामले मिले, जिनकी अभी तक शुरुआत भी नहीं हो पाई है. वह सारे मामले न्यायालय में पड़े हुए हैं. इनका ट्रायल भी अब तक शुरू नहीं हुआ है.

ऐसे ही कुछ मामलों को स्पीडी ट्रायल के लिए बनाई गई सूची में रखा गया है. उन्होंने आगे बताया कि इन मामलों के शुरू नहीं होने के पीछे कई वजहें हैं. किसी मामले में जैसे पांच एक्यूज्ड हैं, इनमें से कोई हाजिर है, तो किसी का पता हीं चल पा रहा है. इस तरीके से ये मामले लंबित हो जाते हैं.

लोक अभियोजक वीरेंद्र नारायण सिंह ने न्यायालय का ध्यान इन मामलों पर आकृष्ट कराया. उन्होंने कहा कि पुराने केस को स्पीडी ट्रायल में लेकर डे-टू-डे काम करवाया जाए. इससे फैसला जल्द आने की उम्मीद रहेगी. वहीं दूसरा इसका समाज पर काफी असर पड़ेगा. उन्होंने आगे बताया कि 101 मामलों में अलग-अलग एपीपी को मामले सौंपे गए हैं. वही कुछ मामलों को वे खुद देख रहे हैं.

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