पटना: बिहार सहित पूरे देश में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में पुलिसकर्मी जो कि फ्रंटलाइन वर्कर्स के रूप में कार्य कर रहे हैं, उन्हें लॉ एंड आर्डर के साथ-साथ क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप के निर्देशों का भी पालन करवाना है.
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इस बार पुलिस का काम पहले से बहुत ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया है. सड़कों पर तैनात पुलिसकर्मी को वाहन चेकिंग अभियान के साथ-साथ मास्क पर भी ध्यान देना पड़ रहा है. इसके अलावे ऑक्सीजन सिलेंडर स्थल की देखरेख, अस्पतालों की व्यवस्था और भीड़-भाड़ वाले इलाके में भीड़ नियंत्रण करना किसी चुनौती से कम नहीं है.
कोरोना महामारी के दौरान राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए कोविद-19 प्रोटोकॉल को उल्लंघन करने वाले लोगों की गिरफ्तारी और उनकी वाहनों की जब्ती की भी जिम्मेदारी पुलिस से कंधे पर आन पड़ी है. राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि 5 से 15 मई तक बिहार में पूर्ण लॉकडाउन रहेगा.
लॉकडाउन के दौरान कानून व्यवस्था के साथ-साथ लोगों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध लगा रहेगा. सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन को राज्य में अनुपालन करवाने की अहम जिम्मेदारी पुलिस से कंधे पर ही है. यहां तक कि कोरोना के इर्द-गिर्द ही पुलिसिंग घूम रही है. गृह विभाग का आधा काम कोविड-19 पर शिफ्ट हो गया है. पुलिस हो या जेल प्रशासन अभी दोनों की पहली प्राथमिकता कोरोना से बचाव है.
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बिहार पुलिस की आधी से अधिक क्षमता राज्य में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जारी प्रोटोकॉल का पालन करवाने पर केंद्रित है. हालात आपात स्थिति जैसे हैं. वैसे गृह विभाग के अधीन कई काम हैं, लेकिन राज्य में करोना के बिगड़ते हालात को देखते हुए पूरा तंत्र कोरोना पर केंद्रित हो गया है.
पुलिसकर्मी फ्रंटलाइन वर्कर्स के तौर पर काम कर रहे हैं. पुलिस को यह भी देखना है कि उसके थाना क्षेत्र में कहीं शादी या श्राद्ध में राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस का पालन हो रहा है कि नहीं. कोरोना संक्रमण के मद्देनजर राज्य सरकार ने पुलिस की जिम्मेदारी और बढ़ा दी है. जिलों के एसपी को आवश्यक वस्तु, दवा एवं मेडिकल आपूर्ति की कालाबाजारी एवं जमाखोरी के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई का आदेश दिया गया है.