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Supaul News: डीएसपी सहित तीन पुलिस पदाधिकारी पर कोर्ट ने लगाया 50-50 हजार रुपये का जुर्माना

सुपौल व्यवहार न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश सप्तम अविनाश कुमार प्रथम की अदालत ने एक ही मामले में दो एफआईआर दर्ज करने के मामले में एसडीपीओ रामानंद कुमार कौशल, थानाध्यक्ष राजेश कुमार व केस आईओ अमरनाथ कुमार के खिलाफ 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. पढ़िये, क्या है मामला.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 5, 2023, 10:47 PM IST

सुपौल: बिहार के सुपौल व्यवहार न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश सप्तम अविनाश कुमार प्रथम की अदालत ने गुरुवार को एक ही मामले में दो एफआईआर दर्ज करने के मामले में वीरपुर थाना द्वारा किये गये केस को खारिज करते हुए तत्कालीन एसडीपीओ रामानंद कुमार कौशल, थानाध्यक्ष राजेश कुमार व केस आईओ अमरनाथ कुमार के खिलाफ 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.

इसे भी पढ़ें- Human Trafficking in Supaul: चंगुल से छुड़ाई गईं राजस्थान की नाबालिग लड़की, नेपाल लेकर जा रहे थे मानव तस्कर

डीजीपी को मामले की जांच कराने का निर्देशः यह राशि तीनों पुलिस पदाधिकारी को 10 दिनों के अंदर उज्बेकिस्तान के एम्बेसी के माध्यम से पीड़िता को भेजने का आदेश दिया है. वहीं कोर्ट ने डीजीपी को इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कमेटी बना कर जांच करने की भी बात कही है. कोर्ट ने महिला तस्करी के आरोप में एक आरोपी को दोषी करार देते हुए 07 साल सश्रम कारावास व 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी है. अर्थदंड की राशि नहीं देने पर दोषी को एक माह अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा भुगतनी होगी.

क्या है मामला: मामले में एसएसबी 56वीं वाहिनी के कंपनी कमांडर जॉन लेथॉन द्वारा वीरपुर थाना में कांड संख्या 104/21 दर्ज करायी गयी थी. जिसमें उज्बेकिस्तान की एक महिला एना पेटापेंको को मानव तस्करी के उद्देश्य से अररिया जिला के घुरणा थाना क्षेत्र अंतर्गत महेशपट्टी वार्ड नंबर 10 निवासी कृष्ण कुमार के विरुद्ध मानव तस्करी करने के आरोप में केस दर्ज कराया गया था. वहीं इसी मामले में वीरपुर थाना द्वारा एक दूसरा एफआईआर 107/21 दर्ज की गयी. जिसमें उज्बेकिस्तान की महिला को अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने का आरोप लगा कर केस दर्ज किया गया.

कोर्ट ने सात साल की सजा सुनायीः कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देख वीरपुर थाना द्वारा दर्ज किये गये कांड संख्या 107/21 को खारिज कर महिला को मुक्त कर दिया गया. जबकि एसएसबी द्वारा दर्ज कराये गये कांड संख्या 104/21 में पुलिस ने आरोपी कृष्ण कुमार को दोषी करार देते हुए सात साल सश्रम करावास व 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी. बहस में अभियोजन की ओर से अधिवक्ता रामजी प्रसाद व बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता विनोद कांत झा ने भाग लिया.


सुपौल: बिहार के सुपौल व्यवहार न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश सप्तम अविनाश कुमार प्रथम की अदालत ने गुरुवार को एक ही मामले में दो एफआईआर दर्ज करने के मामले में वीरपुर थाना द्वारा किये गये केस को खारिज करते हुए तत्कालीन एसडीपीओ रामानंद कुमार कौशल, थानाध्यक्ष राजेश कुमार व केस आईओ अमरनाथ कुमार के खिलाफ 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.

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डीजीपी को मामले की जांच कराने का निर्देशः यह राशि तीनों पुलिस पदाधिकारी को 10 दिनों के अंदर उज्बेकिस्तान के एम्बेसी के माध्यम से पीड़िता को भेजने का आदेश दिया है. वहीं कोर्ट ने डीजीपी को इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कमेटी बना कर जांच करने की भी बात कही है. कोर्ट ने महिला तस्करी के आरोप में एक आरोपी को दोषी करार देते हुए 07 साल सश्रम कारावास व 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी है. अर्थदंड की राशि नहीं देने पर दोषी को एक माह अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा भुगतनी होगी.

क्या है मामला: मामले में एसएसबी 56वीं वाहिनी के कंपनी कमांडर जॉन लेथॉन द्वारा वीरपुर थाना में कांड संख्या 104/21 दर्ज करायी गयी थी. जिसमें उज्बेकिस्तान की एक महिला एना पेटापेंको को मानव तस्करी के उद्देश्य से अररिया जिला के घुरणा थाना क्षेत्र अंतर्गत महेशपट्टी वार्ड नंबर 10 निवासी कृष्ण कुमार के विरुद्ध मानव तस्करी करने के आरोप में केस दर्ज कराया गया था. वहीं इसी मामले में वीरपुर थाना द्वारा एक दूसरा एफआईआर 107/21 दर्ज की गयी. जिसमें उज्बेकिस्तान की महिला को अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने का आरोप लगा कर केस दर्ज किया गया.

कोर्ट ने सात साल की सजा सुनायीः कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देख वीरपुर थाना द्वारा दर्ज किये गये कांड संख्या 107/21 को खारिज कर महिला को मुक्त कर दिया गया. जबकि एसएसबी द्वारा दर्ज कराये गये कांड संख्या 104/21 में पुलिस ने आरोपी कृष्ण कुमार को दोषी करार देते हुए सात साल सश्रम करावास व 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी. बहस में अभियोजन की ओर से अधिवक्ता रामजी प्रसाद व बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता विनोद कांत झा ने भाग लिया.


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