सुपौल: मानसून की बारिश के साथ बिहार में कोसी सहित अन्य नदियों में पानी का डिस्चार्ज बढ़ा है. सोमवार को वीरपुर बराज से कोसी नदी में 01 लाख 45 हजार 665 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. कोसी में बढ़ते जलस्तर के कारण तटबंधों पर पानी का दवाब बढ़ गया है, जिस कारण कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गयी है. वहीं जिले में हाल में सैकड़ों घर और बड़ी मात्रा में उपजाऊ जमीन नदी में समा (Erosion Started In Koshi River In Supaul) चुके हैं. वहीं बाढ़ और कटाव से पीड़ित परिवार का विस्थापन जारी है.
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किसनपुर में 05 दर्जन से ज्चादा घर नदी में समायेः इस बीच नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद पूर्वी कोसी तटबंध के 10 और 16.64 बिंदुओं पर पानी का दबाव बढ़ गया है. वहीं बाढ़ प्रभावित किसनपुर प्रखंड में अब तक 05 दर्जन से अधिक घर कोसी के कटाव में विलीन (Many Houses Washes Away in Koshi River) हो चुके हैं. जिसके कारण प्रखंड के बौराहा, दुबियाही और मौजहा पंचायत में लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. बाढ़ को लेकर जल संसाधन विभाग व जिला प्रशासन चौकस हो गया है.
बांधों की निगरानी में जुटे अभियंताःजिले में अभियंताओं की ओर से तटबंधों की निगरानी प्रारंभ कर दी गयी है. संवेदनशील स्थलों पर रौशनी की व्यवस्था की गयी है. साथ ही निरोधात्मक कार्य भी प्रारंभ कर दिये गये हैं. हर 05 किलोमीटर पर जेई, 15 किलोमीटर पर एई एवं 50 किलोमीटर पर कार्यपालक अभियंता की तैनाती की गयी है. गौरतलब है कि नेपाल सीमा पर कोसी के मुहाने पर बसा सुपौल जिला हर वर्ष कोसी की विभिषिका झेलने को विवश हैं. जिले के 06 प्रखंड अंतर्गत करीब 36 पंचायतों में बसी लगभग 03 लाख की आबादी हर साल बाढ़ की त्रासदी झेलती है.
"कोसी नदी के कटाव के कारण उनलोगों को हर साल घर तोड़ना पड़ता है. जिस कारण उनलोगों को हर साल 05 लाख रुपये तक की संपत्ति का क्षति होता है. हर साल इलाके के सैकड़ों-सैकड़ों परिवार बाढ़ और कटाव के कारण विस्थापित होते हैं. "-सिकन्दर यादव, बाढ़ पीड़ित मोजहा निवासी
बतादें कि मानसून काल में उनके घरों में पानी घुस जाते हैं. वहीं खेतों में लगी फसल बर्बाद हो जाती है. बाढ़ और कटाव के कारण क्षेत्र के लोगों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. इस बीच प्रशासनिक सहायता उपलब्ध करायी जाती है. लेकिन सही मायनों में आज भीतटबंध के भीतर बसे लोग कोसी मैया के रहमो-करम के भरोसे ही जीवन-यापन करने को विवश हैं.
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