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बिहार: बाढ़ के पानी से घिरा यह कोविड सेंटर, ठेले पर सवार होकर आते हैं डॉक्टर

सुपौल के एक कोविड सेंटर के परिसर में घुटने भर पानी भर गया है. ऐसे में यहां ड्यूटी दे रहे स्वास्थ्यकर्मियों को खासा मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. सभी ठेले पर सवार होकर इस सेंटर में आ जा रहे हैं.

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Published : Jul 15, 2020, 5:23 PM IST

Updated : Jul 15, 2020, 7:59 PM IST

सुपौल की खबर
सुपौल की खबर

सुपौल: बिहार पर जहां कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप है, तो वहीं हर साल आने वाली बाढ़ भी सितम ढाने आ गई है. ऐसे में सुपौल के निर्मली अनुमंडल स्थित कोविड केयर सेंटर से एक ऐसी तस्वीर आई है, जो धरती के डॉक्टरों के जज्बे को सलाम करने को मजबूर कर रही है और सरकार से हालातों पर सवाल.

भारी बारिश और कोसी की सहायक नदी तिलयुगा के उफनाने के बाद निर्मली अनुमंडल में जलजमाव की स्थिति बन गई है. ऐसे में यहां स्थित कोविड केयर सेंटर भी इससे अछूता नहीं रहा. लिहाजा, डॉक्टरों से लेकर स्वास्थ्य कर्मचारियों को खासा मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. कोविड सेंटर की स्थिति नारकीय बनी हुई है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ठेले से कोविड सेंटर पहुंच रहे डॉक्टर
कोरोना काल के दौरान जहां डॉक्टरों के लिए आसमान से फूल बरसाये गए थे. वहीं, बिहार में अब बाढ़ की बहार है, जिसके चलते राहों में कांटे बिछे नजर आ रहे हैं. लेकिन ये डॉक्टरों का जज्बा है कि वो इस बाढ़ में भी अपनी ड्यूटी पूरी करने घर से निकल रहे हैं. घुटने भरे पानी से खुद को बचाने के लिए डॉक्टर और नर्स ठेले का सहारा ले रहे हैं. इसी के जरिए वो कोविड केयर सेंटर आते-जाते हैं.

तीन दिनों से भरा है पानी- डॉक्टर
ड्यूटी पर कार्यरत चिकित्सक डॉ. अमरेंद्र कुमार ठेले पर बैठकर ऐसे ही जाते दिखाई दिये. इस बाबत, जब उनसे बातचीत की गई. उन्होंने बताया कि विगत दो-तीन दिनों से परिसर में घुटने भर से अधिक पानी है. ऐसी स्थिति में किस प्रकार अंदर जाएं, इसके लिए ये विकल्प निकाला गया है. उन्होंने बताया कि नर्स को भी अंदर जाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. हम लोग ठेले पर ही परिसर में जमा पानी को पार कर अंदर जाते हैं.

डॉ. अमरेंद्र ने बताया कि कोविड केयर सेंटर में फिलहाल दो मरीज हैं. वहीं, कोरोना सेंटर की ओर अगर रुख करें, तो दूर से ही ये किसी वीरान खंडर जैसा लगता है. जलजमाव के बाद हो न हो यहां मच्छरों का प्रकोप भी फैलेगा, ये कहना गलत न होगा. बहरहाल, कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच कोविड केयर सेंटर की ऐसी दुर्दशा कहीं से भी अनुकूल नहीं दिखाई दी. आलाधिकारियों को इस मसले पर गंभीरता के साथ निर्णय लेने की जरूरत है.

वापसी भी ठेले से करते हैं डॉक्टर
वापसी भी ठेले से करते हैं डॉक्टर

कोसी नदी के जलस्तर में कमी
बता दें कि कोसी नदी के जलस्तर में लगातार हो रहे उतार-चढ़ाव ने तटबंध को लेकर लोगों की चिंता बढ़ा दी है. सुपौल में तिलयुगा नदी का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. इसके साथ ही सुरसर, गैड़ा और खारो नदी का जलस्तर बढ़ने से छातापुर व कुनौली क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. हालांकि, राहत की खबर ये है कि कोसी नदी के जलस्तर में कमी आयी है. यानी लगातार घटते जलस्तर के साथ ही कई इलाकों से बाढ़ का खतरा कम होता दिख रहा है.

सुपौल: बिहार पर जहां कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप है, तो वहीं हर साल आने वाली बाढ़ भी सितम ढाने आ गई है. ऐसे में सुपौल के निर्मली अनुमंडल स्थित कोविड केयर सेंटर से एक ऐसी तस्वीर आई है, जो धरती के डॉक्टरों के जज्बे को सलाम करने को मजबूर कर रही है और सरकार से हालातों पर सवाल.

भारी बारिश और कोसी की सहायक नदी तिलयुगा के उफनाने के बाद निर्मली अनुमंडल में जलजमाव की स्थिति बन गई है. ऐसे में यहां स्थित कोविड केयर सेंटर भी इससे अछूता नहीं रहा. लिहाजा, डॉक्टरों से लेकर स्वास्थ्य कर्मचारियों को खासा मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. कोविड सेंटर की स्थिति नारकीय बनी हुई है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ठेले से कोविड सेंटर पहुंच रहे डॉक्टर
कोरोना काल के दौरान जहां डॉक्टरों के लिए आसमान से फूल बरसाये गए थे. वहीं, बिहार में अब बाढ़ की बहार है, जिसके चलते राहों में कांटे बिछे नजर आ रहे हैं. लेकिन ये डॉक्टरों का जज्बा है कि वो इस बाढ़ में भी अपनी ड्यूटी पूरी करने घर से निकल रहे हैं. घुटने भरे पानी से खुद को बचाने के लिए डॉक्टर और नर्स ठेले का सहारा ले रहे हैं. इसी के जरिए वो कोविड केयर सेंटर आते-जाते हैं.

तीन दिनों से भरा है पानी- डॉक्टर
ड्यूटी पर कार्यरत चिकित्सक डॉ. अमरेंद्र कुमार ठेले पर बैठकर ऐसे ही जाते दिखाई दिये. इस बाबत, जब उनसे बातचीत की गई. उन्होंने बताया कि विगत दो-तीन दिनों से परिसर में घुटने भर से अधिक पानी है. ऐसी स्थिति में किस प्रकार अंदर जाएं, इसके लिए ये विकल्प निकाला गया है. उन्होंने बताया कि नर्स को भी अंदर जाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. हम लोग ठेले पर ही परिसर में जमा पानी को पार कर अंदर जाते हैं.

डॉ. अमरेंद्र ने बताया कि कोविड केयर सेंटर में फिलहाल दो मरीज हैं. वहीं, कोरोना सेंटर की ओर अगर रुख करें, तो दूर से ही ये किसी वीरान खंडर जैसा लगता है. जलजमाव के बाद हो न हो यहां मच्छरों का प्रकोप भी फैलेगा, ये कहना गलत न होगा. बहरहाल, कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच कोविड केयर सेंटर की ऐसी दुर्दशा कहीं से भी अनुकूल नहीं दिखाई दी. आलाधिकारियों को इस मसले पर गंभीरता के साथ निर्णय लेने की जरूरत है.

वापसी भी ठेले से करते हैं डॉक्टर
वापसी भी ठेले से करते हैं डॉक्टर

कोसी नदी के जलस्तर में कमी
बता दें कि कोसी नदी के जलस्तर में लगातार हो रहे उतार-चढ़ाव ने तटबंध को लेकर लोगों की चिंता बढ़ा दी है. सुपौल में तिलयुगा नदी का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. इसके साथ ही सुरसर, गैड़ा और खारो नदी का जलस्तर बढ़ने से छातापुर व कुनौली क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. हालांकि, राहत की खबर ये है कि कोसी नदी के जलस्तर में कमी आयी है. यानी लगातार घटते जलस्तर के साथ ही कई इलाकों से बाढ़ का खतरा कम होता दिख रहा है.

Last Updated : Jul 15, 2020, 7:59 PM IST
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