सुपौल: जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित मलहद गांव में एक युवक की तबियत बिगड़ने पर परिजनों ने ढाई घंटे तक एम्बुलेंस के लिए अस्पताल में फोन किया. लेकिन एम्बुलेंस नहीं पहुंची. इस बीच मरीज की हालत गंभीर होने पर परिजनों ने उसे ठेला पर लाद का अस्पताल लाया.
4 मार्च को मुंबई से लौटा था युवक
परिजनों ने बताया कि युवक मुम्बई में काम करता था. जहां से 4 मार्च को वह अपने घर लौटा था. वहां से लौटने के बाद वह ठीक-ठाक था. लेकिन बीते कुछ दिनों से उसकी हालत बिगड़ने लगी सांस लेने में तकलीफ सर्दी और बुखार के लक्षणों से परेशान उसके परिजन ने एंबुलेंस के लिए सदर अस्पताल में कई बार फोन लगाया. लेकिन अस्पताल प्रशासन ने इसकी सुध नहीं ली.
आइसोलेशन वार्ड में किया गया भर्ती
मरीज को पहले तो अस्पताल के चिकित्सकों ने उसे यूं ही एक वार्ड में लिटा दिया. लेकिन जब मरीज के हालात के बारे में जाना तब उसे आइसोलेशन वार्ड में भेजा गया. इस बाबत परिजनों ने कोरोना को लेकर सरकारी व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर दिए है. वहीं, अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. अरुण वर्मा का कहना है कि मरीज ने इन लक्षणों की वजह से कोई दवा बाजार से लेकर खा लिया है. जिसकी वजह से उसकी ये हालत हुई है.