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Indian Railways : हादसे को न्योता देता सिवान का ये फाटक, ट्रेन से उतरकर खुद गेट बंद करता है ड्राइवर - ETV bharat news

प्रधानमंत्री नरेंद मोदी देश के रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिये करोड़ रुपये खर्ज कर रहे हैं. हमारे देश के कई रेलवे स्टेशन एयरपोर्ट की सुख-सुविधाओं को टक्कर दे रहे हैं. लेकिन आज हम जिस स्टेशन की बात कर रहे जिसे जानकर आप भी दांतों तले अंगुली दबा लेंगे. बिहार से सिवान जिले के महाराजगंज थाना क्षेत्र के रगड़गंज में रेलवे फाटक है. जिसे ट्रेन रोककर ड्राइवर गेट बंद करता है. फिर ट्रेन के गुरजरने के बाद खुद ही खोलता है. पढ़ें पूरी खबर..

सिवान में रेलवे का अनोखा फाटक
सिवान में रेलवे का अनोखा फाटक
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Published : Aug 6, 2023, 4:55 PM IST

सिवान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत पूरे भारत में 508 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास की आधारशिला रखी. इस योजना के तहत 24,470 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से स्टेशनों का आधुनिकरण की बात कर रही है. वहीं सिवान जिले में एक ऐसा रेलवे फाटक है. जहां पिछले 5 साल से रेलवे के द्वारा बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. यह रेलवे फाटक सिवान जिले के महाराजगंज थाना क्षेत्र के रगड़गंज में मौजूद है. जहां महाराजगंज से मशरक तक ट्रेन जाती है और आती है. जहां ट्रेन रोककर ड्राइवर गेट बंद करता है. फिर ट्रेन के गुरजरने के बाद खुद ही खोलता है.

ये भी पढ़ें: सिवान: 'मौत का पुल' पार करने को मजबूर हैं लोग, सरकार नहीं दे रही ध्यान

सिवान में रेलवे का अनोखा फाटक: आपको बता दें कि 5 साल हो गए इस रूट को चालू हुए लेकिन अभी तक रेलवे गैटमैन नहीं रखा गया है. फाटक बंद करने के लिए वहां से गुजरने वाली ट्रेन से कर्मचारी उतरते हैं. फाटक बंद करते, फिर ट्रेन के क्रॉस करने के बाद फाटक को खोलते उसके बाद ट्रेन आगे बढ़ती है. यह नजारा दरौंदा-मशरख मुख्य रेलखंड स्थित फाटक का है. बीते 5 साल से ऐसे ही इस फाटक से ट्रेन गुजर रही है. इस ट्रैक से हर दिन चार बार ट्रेन गुजरती है. हर बार ऐसे ही फाटक खोला और बंद किया जाता है.

4 बार खुलता और बंद होता है रेल फाटक: आपको बता दें कि महाराजगंज दरौंदा, मशरख रेलखंड में गेटमैन नहीं होने से लोको पायलट द्वारा फाटक खोलना एवं करना पड़ता है. यह दिन में एक बार नहीं बल्कि चार बार गेट को खोला और बंद किया जाती है. वाराणसी रेल मंलड के सीपीआरओ अशोक कुमार सिंह बताते है कि इस रूट पर एक बार में एक ही ट्रेन आती और जाती है. इस रूट पर खर्ज ज्यादा आता और रेलवे को भारी नुकसान उठाना पड़ता. इसे ध्यान में रखते हुए यहां गेटमैन की बहाली नहीं की गई.

"महाराजगंज दरौंदा-मशरख के बीच जो ट्रेन आने जाने का सिस्टम है. वहां एक बार में एक ही ट्रेन जाती है. फिर वहीं ट्रेन वहां से बनकर खुलती है. यानी एक ही ट्रेन चार बार फेरा लगाती है. इसलिए वहां रेलवे नियम के अनुसार रेलवे फाटक पर गेटमैन नहीं रखा जाता है, क्योंकि उस रूट पर खर्च ज्यादा आता है. जिससे रेलवे को नुकसान होगा." -अशोक कुमार सिंह, जनसंपर्क पदाधिकारी, वाराणसी रेल मंडल

सिवान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत पूरे भारत में 508 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास की आधारशिला रखी. इस योजना के तहत 24,470 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से स्टेशनों का आधुनिकरण की बात कर रही है. वहीं सिवान जिले में एक ऐसा रेलवे फाटक है. जहां पिछले 5 साल से रेलवे के द्वारा बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. यह रेलवे फाटक सिवान जिले के महाराजगंज थाना क्षेत्र के रगड़गंज में मौजूद है. जहां महाराजगंज से मशरक तक ट्रेन जाती है और आती है. जहां ट्रेन रोककर ड्राइवर गेट बंद करता है. फिर ट्रेन के गुरजरने के बाद खुद ही खोलता है.

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सिवान में रेलवे का अनोखा फाटक: आपको बता दें कि 5 साल हो गए इस रूट को चालू हुए लेकिन अभी तक रेलवे गैटमैन नहीं रखा गया है. फाटक बंद करने के लिए वहां से गुजरने वाली ट्रेन से कर्मचारी उतरते हैं. फाटक बंद करते, फिर ट्रेन के क्रॉस करने के बाद फाटक को खोलते उसके बाद ट्रेन आगे बढ़ती है. यह नजारा दरौंदा-मशरख मुख्य रेलखंड स्थित फाटक का है. बीते 5 साल से ऐसे ही इस फाटक से ट्रेन गुजर रही है. इस ट्रैक से हर दिन चार बार ट्रेन गुजरती है. हर बार ऐसे ही फाटक खोला और बंद किया जाता है.

4 बार खुलता और बंद होता है रेल फाटक: आपको बता दें कि महाराजगंज दरौंदा, मशरख रेलखंड में गेटमैन नहीं होने से लोको पायलट द्वारा फाटक खोलना एवं करना पड़ता है. यह दिन में एक बार नहीं बल्कि चार बार गेट को खोला और बंद किया जाती है. वाराणसी रेल मंलड के सीपीआरओ अशोक कुमार सिंह बताते है कि इस रूट पर एक बार में एक ही ट्रेन आती और जाती है. इस रूट पर खर्ज ज्यादा आता और रेलवे को भारी नुकसान उठाना पड़ता. इसे ध्यान में रखते हुए यहां गेटमैन की बहाली नहीं की गई.

"महाराजगंज दरौंदा-मशरख के बीच जो ट्रेन आने जाने का सिस्टम है. वहां एक बार में एक ही ट्रेन जाती है. फिर वहीं ट्रेन वहां से बनकर खुलती है. यानी एक ही ट्रेन चार बार फेरा लगाती है. इसलिए वहां रेलवे नियम के अनुसार रेलवे फाटक पर गेटमैन नहीं रखा जाता है, क्योंकि उस रूट पर खर्च ज्यादा आता है. जिससे रेलवे को नुकसान होगा." -अशोक कुमार सिंह, जनसंपर्क पदाधिकारी, वाराणसी रेल मंडल

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