सिवान: बिहार के सिवान नगर परिषद से जुड़े घोटाला मामलों पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने पद से हटाई गईं सिंधु देवी (Siwan Municipal Council Chairman Sindhu Devi) को बड़ी राहत दी. कोर्ट ने उन्हें पद से हटाने के आदेश को निरस्त करते हुए पुनर्बहाल कर दिया. कोर्ट का यह फैसला आने के बाद सिंधु देवी और उनके समर्थकों में खुशी की लहर है. सिंधु देवी के पति धनंजय सिंह ने इसे सत्य की जीत बताया है.
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धनंजय सिंह ने कहा कि सिंधु देवी पर घोटाला का आरोप उन्हें बदनाम करने और फंसाने की साजिश थी. उन्होंने कहा कि नगर परिषद में जो घोटाले हुए हैं, उसमें सभापति का क्या रोल है. इस बावत जब सभापति ने अपना स्पष्टीकरण दिया तो उसे क्यों नही सुना गया. इन्हीं तथ्यों के आधार पर माननीय उच्च न्यायालय ने बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया और पुनः सेवा बहाल करने की अनुमति दे दी है.
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हालांकि, अभी कोर्ट के ऑर्डर पेपर का नकल नहीं मिल सका है. लेकिन जो आदेश पारित हुआ है, वह मेरे पक्ष में है. दरअसल, वित्तीय अनियमितता के आरोप में याचिकाकर्ता से सरकार द्वारा जवाब तलब किया गया था. याचिकाकर्ता द्वारा जो स्पष्टीकरण सरकार को दिया गया, उस पर सरकार द्वारा बिना विचार विमर्श किए और उसकी बिना जांच किए ही अध्यक्ष पद से नवंबर 2021 में हटा दिया गया था.
इस मामले पर सिंधु देवी ने कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी, जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नगर परिषद के अध्यक्ष पद से हटाए जाने संबंधी राज्य सरकार के आदेश को निरस्त करते हुए राज्य सरकार पर 25 हजार रुपए का अर्थदंड लगाया था. कोर्ट ने सरकार को कहा कि अर्थदंड की राशि याचिकाकर्ता को दी जाय, क्योंकि इस बीच उसने बड़ी मानसिक प्रताड़ना झेली है.
कोर्ट ने सरकार को कहा कि वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाए जाने के बाद याचिकाकर्ता द्वारा जो अपना स्पष्टीकरण जिलाधिकारी को दिया गया, उसे पूरी तरह से देखा नहीं गया. उसकी बिना जांच किये ही अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. कोर्ट ने सरकार को कहा कि याचिकाकर्ता को तत्काल प्रभाव से उसके पद पर योगदान कराया जाए. कोर्ट ने सरकार को कहा कि अगर वह चाहे तो इस मामले में दिए गए स्पष्टीकरण की जांच अपने स्तर से निष्पक्ष करा सकती हैं.
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