सिवान: बिहार के सीवान जिले के नगर पंचायत मैरवा में छिड़काव के लिए हाइपोक्लोराइट केमिकल खरीद में बड़ी अनियमितता (Scam in chemical purchase ) सामने आई है. सोडियम हाइपोक्लोराइट केमिकल (sodium hypochlorite chemical) खरीदी में लगभग 17 लाख का घोटाला सामने आने के बाद जांच प्रक्रिया शुरू हो गयी है. इस पूरे मामले की सुनवाई लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहां चल रही है. जिसमें पहले ही जांच में मामला सत्य पाया गया है. लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी विपिन कुमार ने बताया है कि मैरवा के तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी को शो कॉज किया है. उन्होंने एक सप्ताह के अंदर अपना जवाब सबमिट करने को कहा है.
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बोले पीजीआरओ होगी कार्रवाई: सोडियम हाइपोक्लोराइट का बड़ा घोटाला सामने आने के बाद पीजीआरओ ने मैरवा तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी अर्चना कुमारी को भेजे अपने शो कॉज में कहा है कि क्यों ना आप पर आरोप पत्र गठित कर अनुशासनिक कार्रवाई की जाय. पीजीआरओ ने कहा कि मैरवा पंचायत स्थायी सशक्त समिति और कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा अधिक कीमत पर सोडियम हाइपोक्लोराइट की खरीद की गई है. जिस पर ईओ को शो कॉज किया गया है. नियम संगत कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी.
सिवान नगर परिषद के पत्र से पूरे मामले का खुलासा: बताते चलें कि नगर परिषद पत्रांक संख्या 1224, दिनांक 2 अगस्त 2021 में बताया गया है कि सिवान नगर परिषद में 82 रुपये प्रति लीटर की दर से तीन हजार लीटर की खरीद की गयी है. वहीं 2020 की अगर बात करे तो 69.07 पैसे लीटर की दर से खरीद की गई है .लेकिन अब वर्तमान में 350 रुपये लीटर की दर से खरीद करने के बाद से यह बड़ा घोटाला सामने आया है. जिसमे कुल 6 हज़ार लीटर सोडियम हाइपोक्लोराइट की खरीदारी हुई है. शो कॉज मिलने के बाद मैरवा नगर पंचायत के कर्मियों में बेचैनी बढ़ गई है, क्योंकि इस घोटाले में कुछ अन्य नामों के भी खुलने की संभावनाएं बढ़ती जा रहीं हैं.
बैठक में खरीदारी का लाया गया था प्रस्ताव: दरअसल सोडियम हाइपोक्लोराइट की खरीद का प्रस्ताव दो बार की बैठक में लाया गया था. जिसके अनुसार खरीदारी की बात सामने आ रही है. बताते चलें कि नगर पंचायत मैरवा की स्थायी सशक्त समिति की बैठक 31 मार्च 2020 को हुई थी. बैठक में 2 हजार लीटर की खरीदारी करने का फैसला लिया गया था. वहीं 18 अप्रैल 2020 की बैठक में 3 हजार लीटर खरीदारी का फैसला लिया गया था. जिसके बाद खरीदारी तो हुईं लेकिन ज्यादा कीमत दिखाया गया था. इसी 350 रुपये की दर से खरीदारी के बाद से बड़ा घोटाला सामने आ रहा है. इस तरह ये करीब 17 लाख का घोटाला बताया जा रहा है. इसकी जांच भी अब शुरू हो गई है.