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दबंगों के लिए 'डॉन' और गरीबों के 'मसीहा' थे शहाबुद्दीन, बेटी की शादी के बाद कुछ इस तरह हो रही चर्चा - गरीबों के 'मसीहा' थे शहाबुद्दीन

बिहार के बाहुबली और दिवंगत पूर्व सांसद शहाबुद्दीन (Shahabuddin) इन दिनों फिर चर्चा में हैं. दरअसल, उनकी बेटी हेरा शहाब की हाल ही में शादी हुई है जिसके बाद अब एक बार फिर से मोहम्मद शहाबुद्दीन सुर्खियों में है. जानें कैसे वो अपना दरबार लगाते थे.

दबंगों के लिए डॉन और गरीबों के 'मसीहा' थे शहाबुद्दीन
दबंगों के लिए डॉन और गरीबों के 'मसीहा' थे शहाबुद्दीन
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Published : Nov 20, 2021, 11:44 AM IST

सिवान: बिहार के सिवान (Siwan news) जिले के बाहुबली शहाबुद्दीन (Shahabuddin) के काम करने का स्टाइल था कि वे अपने इलाके के रॉबिनहुड थे. यानि दूसरे इलाके के लोगों को भले सताते थे लेकिन वो अपने इलाके में गरीबों के मसीहा बने हुए थे. हां, अपने इलाके में भी किसी की चुनौती उन्हें बर्दाश्त नहीं थी. गरीबों पर अत्याचार करने वालों से वो बचाते थे. साथ ही न्याय के लिए लोग उनके दरबार में भी पहुंचते थे. कुछ दिनों पहले मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत हो हुई है. हाल ही में उनकी बेटी हेरा शहाब (Hera Shahab) की शाही अंदाज में शादी हुई. जिसके बाद अब एक बार फिर से शहाबुद्दीन सुर्खियाों में हैं.

ये भी पढ़ें : शहाबुद्दीन के घर पहुंचे पप्पू यादव, ओसामा को गले लगाकर रो पड़े, बोले- 'आज गम.. पीड़ा.. दुख में हूं'

बेटे ओसामा की भी इसी साल शाद हुई है. उनके गांव के लोग बताते हैं कि एक समय था जब सिवान में मो. शहाबुद्दीन का एकक्षत्र राज चलता था. अगर कोई दबंग व्यक्ति किसी गरीब को सताता था या उनकी जमीन पर जबरन कब्जा करना चाहता था तो मो. शहाबुद्दीन दबंगों से डॉन की तरह पेश आते थे और गरीबों के साथ न्याय दिलवाने का काम हमेशा करते थे. मो. शहाबुद्दीन व्हाइट हाउस में दरबार लगाते थे.

उस दरबार में बड़े-बड़े वीआईपी लोगों के साथ जिले के गरीब सताए हुए लोग भी मदद की गुहार लेकर पहुंचते थे. कहा जाता है कि लोगों को यह विश्वास रहता था कि शहाबुद्दीन के पास अगर वो जाएंगे तो फिर उन्हें कोर्ट और कचहरी चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा. मामला वहीं सुलझा लिया जाएगा. ठीक वही होता भी था. लोग कई ऐसे किस्से भी बताते हैं और कहते हैं कि शहाबुद्दीन पारदर्शिता के साथ न्याय करते थे.

वहीं, मो. शहाबुद्दीन के सिवान के गांव प्रतापपुर के स्थानीय लोगों की मानें तो आज जिले में जितने मामले थाने या न्यायालय में लंबित हैं, अगर आज के समय में शहाबुद्दीन जिंदा होते तो शायद इतने मामले पेंडिंग नहीं होते. शहाबुद्दीन अपने दरबार में सभी मामलों को हल निकाल देते थे. आज यही कारण है कि लोगों को एक बार फिर से यहां मो. शहाबुद्दीन की याद आने लगी है. उनके जाने के बाद बेटी की शादी से एक बार फिर से शहाबुद्दीन को लेकर लोग उन्हें याद कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- दूल्हे ओसामा के लिए ड्राइवर बने 'बाहुबली' के बेटे.. तेजस्वी ने गले लगाकर दी मुबारकबाद, देखें शादी की तस्वीरें

सिवान: बिहार के सिवान (Siwan news) जिले के बाहुबली शहाबुद्दीन (Shahabuddin) के काम करने का स्टाइल था कि वे अपने इलाके के रॉबिनहुड थे. यानि दूसरे इलाके के लोगों को भले सताते थे लेकिन वो अपने इलाके में गरीबों के मसीहा बने हुए थे. हां, अपने इलाके में भी किसी की चुनौती उन्हें बर्दाश्त नहीं थी. गरीबों पर अत्याचार करने वालों से वो बचाते थे. साथ ही न्याय के लिए लोग उनके दरबार में भी पहुंचते थे. कुछ दिनों पहले मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत हो हुई है. हाल ही में उनकी बेटी हेरा शहाब (Hera Shahab) की शाही अंदाज में शादी हुई. जिसके बाद अब एक बार फिर से शहाबुद्दीन सुर्खियाों में हैं.

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बेटे ओसामा की भी इसी साल शाद हुई है. उनके गांव के लोग बताते हैं कि एक समय था जब सिवान में मो. शहाबुद्दीन का एकक्षत्र राज चलता था. अगर कोई दबंग व्यक्ति किसी गरीब को सताता था या उनकी जमीन पर जबरन कब्जा करना चाहता था तो मो. शहाबुद्दीन दबंगों से डॉन की तरह पेश आते थे और गरीबों के साथ न्याय दिलवाने का काम हमेशा करते थे. मो. शहाबुद्दीन व्हाइट हाउस में दरबार लगाते थे.

उस दरबार में बड़े-बड़े वीआईपी लोगों के साथ जिले के गरीब सताए हुए लोग भी मदद की गुहार लेकर पहुंचते थे. कहा जाता है कि लोगों को यह विश्वास रहता था कि शहाबुद्दीन के पास अगर वो जाएंगे तो फिर उन्हें कोर्ट और कचहरी चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा. मामला वहीं सुलझा लिया जाएगा. ठीक वही होता भी था. लोग कई ऐसे किस्से भी बताते हैं और कहते हैं कि शहाबुद्दीन पारदर्शिता के साथ न्याय करते थे.

वहीं, मो. शहाबुद्दीन के सिवान के गांव प्रतापपुर के स्थानीय लोगों की मानें तो आज जिले में जितने मामले थाने या न्यायालय में लंबित हैं, अगर आज के समय में शहाबुद्दीन जिंदा होते तो शायद इतने मामले पेंडिंग नहीं होते. शहाबुद्दीन अपने दरबार में सभी मामलों को हल निकाल देते थे. आज यही कारण है कि लोगों को एक बार फिर से यहां मो. शहाबुद्दीन की याद आने लगी है. उनके जाने के बाद बेटी की शादी से एक बार फिर से शहाबुद्दीन को लेकर लोग उन्हें याद कर रहे हैं.

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