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सिवान: एक के बाद एक 5 मिल बंद होने से भुखमरी की कगार पर कर्मी, सरकार से लगाई आस - mill closed in siwan

मिल में काम करने वाले कर्मचारी आज भी इस उम्मीद में नजरें टिकाए बैठे हैं कि सरकार कभी न कभी तो इन बंद मिलों को वापस शुरू करेगी. जिसके बाद हम लोगों को रोजगार मिल पाएगा.

सिवान में पांच मिलों के बंद होने से बेरोजगार हुए कर्मी
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Published : Sep 21, 2019, 12:02 PM IST

सिवान: जिले में बंद पांच मिलों की वजह से यहां के लोगों को रोजगार के लिए दूसरे राज्य की ओर पलायन करना पड़ रहा है. दशकों से बंद पड़ी इन मिलों में हजारों लोग काम किया करते थे. जिसके बंद हो जाने से यहां के मजदूर, कर्मचारी और ईंख की खेती करने वाले किसान भी बेरोजगार हो चुके हैं. वहीं, हर पांचवें वर्ष में नई सरकार बनती है और इन मिलों को चालू कराने के वादे भी करती है. चुनाव में यह मुद्दा काफी हावी होता है. लेकिन चुनाव खत्म होने के साथ ही यह मुद्दा ठंडा पड़ जाता है.

Employees unemployed due to closing of mills in siwan
मिल में खराब पड़ी मशानें

खंडहर में तब्दील हो चुके हैं कई मिल
सिवान में एक चीनी मिल नीलाम हो गया है. वहीं, दूसरा ध्वस्त हो गया और अन्य खंडहर में तब्दील हो गए हैं. चीनी मिल बंद होने के कारण इसका सबसे ज्यादा प्रभाव यहां काम करने वाले कर्मियों और गन्ना किसानों पर पड़ा है. मिल में काम करने वाले कर्मचारी आज भी इस उम्मीद में नजरें टिकाए बैठे हैं कि सरकार कभी न कभी तो इन बंद मिलों को वापस शुरू करेगी. जिसके बाद उन्हें रोजगार मिल पाएगा. बेरोजगारी की दंश झेल रहा बिहार के सिवान में अगर यह मिल चालू करा दी जाती है, तो बेरोजगारों के लिए रोजगार के साधन उपलब्ध हो जाएंगे.

सिवान में बंद पड़े मिलों पर रिर्पोट

भुखमरी की स्थिति हुई उत्पन्न
मिल में काम करने वाले कर्मचारी बताते हैं कि मिल के बंद होने से हमारे घर में भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. हम आज भी मिल की देखभाल करते हैं और इस इंतजार में बैठे हैं कि कोई नई सरकार आएगी. जो इस मिल को फिर से शुरू करवाएगी. उनका कहना है कि अगर मिल चालू नहीं करवा सकती. तो कम से कम सरकार मिल में लाखों रुपए की बेकार पड़ी इन सामानों को बेचकर हमारा बकाया भुगतान तो कर ही सकती है. लेकिन सरकार कुंभकर्ण की नींद सोई हुई है. जरूरत है सरकार को जागरूक होने की और योजनाबद्ध तरीके से पहल करने की, ताकि सिवान के बेरोजगार लोगों को रोजगार मिल सके.

सिवान: जिले में बंद पांच मिलों की वजह से यहां के लोगों को रोजगार के लिए दूसरे राज्य की ओर पलायन करना पड़ रहा है. दशकों से बंद पड़ी इन मिलों में हजारों लोग काम किया करते थे. जिसके बंद हो जाने से यहां के मजदूर, कर्मचारी और ईंख की खेती करने वाले किसान भी बेरोजगार हो चुके हैं. वहीं, हर पांचवें वर्ष में नई सरकार बनती है और इन मिलों को चालू कराने के वादे भी करती है. चुनाव में यह मुद्दा काफी हावी होता है. लेकिन चुनाव खत्म होने के साथ ही यह मुद्दा ठंडा पड़ जाता है.

Employees unemployed due to closing of mills in siwan
मिल में खराब पड़ी मशानें

खंडहर में तब्दील हो चुके हैं कई मिल
सिवान में एक चीनी मिल नीलाम हो गया है. वहीं, दूसरा ध्वस्त हो गया और अन्य खंडहर में तब्दील हो गए हैं. चीनी मिल बंद होने के कारण इसका सबसे ज्यादा प्रभाव यहां काम करने वाले कर्मियों और गन्ना किसानों पर पड़ा है. मिल में काम करने वाले कर्मचारी आज भी इस उम्मीद में नजरें टिकाए बैठे हैं कि सरकार कभी न कभी तो इन बंद मिलों को वापस शुरू करेगी. जिसके बाद उन्हें रोजगार मिल पाएगा. बेरोजगारी की दंश झेल रहा बिहार के सिवान में अगर यह मिल चालू करा दी जाती है, तो बेरोजगारों के लिए रोजगार के साधन उपलब्ध हो जाएंगे.

सिवान में बंद पड़े मिलों पर रिर्पोट

भुखमरी की स्थिति हुई उत्पन्न
मिल में काम करने वाले कर्मचारी बताते हैं कि मिल के बंद होने से हमारे घर में भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. हम आज भी मिल की देखभाल करते हैं और इस इंतजार में बैठे हैं कि कोई नई सरकार आएगी. जो इस मिल को फिर से शुरू करवाएगी. उनका कहना है कि अगर मिल चालू नहीं करवा सकती. तो कम से कम सरकार मिल में लाखों रुपए की बेकार पड़ी इन सामानों को बेचकर हमारा बकाया भुगतान तो कर ही सकती है. लेकिन सरकार कुंभकर्ण की नींद सोई हुई है. जरूरत है सरकार को जागरूक होने की और योजनाबद्ध तरीके से पहल करने की, ताकि सिवान के बेरोजगार लोगों को रोजगार मिल सके.

Intro:पांच मिलो के बंद होने से मायूस कर्मी

स्पेशल रिपोर्ट

सिवान।

सिवान में बंद पांच मिलों के कारण यहां के लोगों को रोजगार के लिए दूसरे राज्य की ओर पलायन करना पड़ रहा है. दशकों से बंद पड़ी हुई इन मिलों में हजारों लोग काम किया करते थे जिसके बंद हो जाने से यहां के मजदूर, कर्मचारी और ईख की खेती करने वाले किसान भी बेरोजगार हो चुके हैं. वहीं हर पांचवें वर्ष नई सरकार बनती है और इन मिलों को चालू कराने के वादे भी करते हैं चुनाव में यह मुद्दा काफी हावी होता है चुनाव खत्म होने के साथ ही यह मुद्दा ठंडा पड़ जाता है.


Body:सिवान में एक चीनी मिल नीलाम हो गया तो वही दूसरा ध्वस्त हो गया, तो वहीं अन्य खंडहर में तब्दील हो गए हैं. चीनी मिले बंद होने के कारण इसका सबसे ज्यादा प्रभाव यहाँ काम करने वाले कर्मियों को पड़ा है और गन्ना के किसानो को पड़ी है. मिल में काम करने वाले कर्मचारी आज भी इस उम्मीद में नजरें टिका बैठे हैं कि सरकार कभी न कभी तो इन बंद मिलो को वापस शुरू करेगी और हम लोगों को रोजगार मिल पाएगी. बेरोजगारी की दंश झेल रहा बिहार के सिवान में अगर यह मिले चालू करा की जाती है तो बेरोजगार लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध हो पाएंगे. मिल में काम करने वाले कर्मचारी बताते हैं मिल के बंद होने से हमारे घर में भुखमरी की स्थिति स्थिति उत्पन्न हो गई है हम आज भी मिल की देखभाल करते हैं और इस इंतजार में बैठे हैं कि कोई नई सरकार आएगी और मिल को पुनः चालू करवाएगी. अगर मिल चालू नहीं करवा सकती तो कम से कम सरकार मिल में लाखों रुपए की बेकार पड़ी इन सामानों को बेचकर हमारा बकाया भुगतान तो कर ही सकती है लेकिन सरकार कुंभकर्ण की नींद सोई हुई है.


Conclusion:जरूरत है सरकार को जागरूक होने की और योजनाबद्ध तरीके से पहल करने की ताकि सीवान के बेरोजगार लोगों को रोजगार मिल सके.

बाइट-दिनेश श्रीवास्तव (कर्मी) उजला शर्ट
बाइट-मो० मेराजुद्दीन (कर्मी) नीला शर्ट
बाइट-ब्यास देव (सदर विधायक,सिवान)
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