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सिवान में चमड़ा मिल दोबारा शुरू करने की मांग, बेरोजगार प्रवासियों के फिर सकते हैं दिन

सिवान में लोगों को रोजागार देने के लिए कई मिलें मौजूद हैं, लेकिन जीर्ण-शीर्ण हालत में हैं. कोरोना में अपनी आय का माध्यम गंवा चुके लोग अब इसे दोबारा शुरू करने की मांग कर रहे हैं.

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Published : Jun 24, 2020, 4:48 PM IST

सिवान
सिवान

सिवान: कोरोना काल में रोजगार गंवाने के बाद प्रवासी मजदूरों के लिए बिहार में ही काम देने की मांग उठ रही है. वहीं, सिवान में एक मिल ऐसी है जो सिवान के साथ ही कई जिलों के लोगों के लिए रोजगार का द्वार खोल सकती है.

जर्जर हालत में कारखाना
जर्जर हालत में कारखाना

मिल को शुरू करने की मांग
सरकार की उदासीनता के कारण ये कारखाना बेकार पड़ा हुआ है. करोड़ों की मशीनें जंग खाकर बर्बाद हो रही हैं. ऐसे में इस मिल को शुरू करने की मांग जोर पकड़ने लगी है. हम बात कर रहे हैं सिवान मैरवा रोड स्थित चमड़ा मिल की.

जर्जर हालत में कारखाना
खराब हो रहीं महंगी मशीनें

खंडहर में तब्दील हुई मिल
6 जुलाई 1985 को बिहार सरकार के तत्कालीन उद्योग एवं संसदीय कार्य मंत्री रामाश्रय सिंह के कर कमलों द्वारा आदर्श चर्म शोधनालय का उद्घाटन हुआ था. इस मिल में 100 से ज्यादा लोग काम करते थे, लेकिन आज हालातों ने इसे खंडहर में तब्दील कर दिया है. करोड़ों के सामान सड़ रहे हैं.

संसदीय कार्य मंत्री रामाश्रय सिंह ने किया था उद्घाटन
संसदीय कार्य मंत्री रामाश्रय सिंह ने किया था उद्घाटन

35 वर्षों से बंद है कारखाना
सुरक्षा गार्ड ने बताया कि करीब 35 वर्षों से मिल बंद है. अगर ये शुरू होती है तो सैकड़ों लोगों को काम मिलेगा. क्योंकि पहले भी यह कई जिलों के लोगों की कमाई का जरिया थी. छपरा, गोपालगंज और पूर्वी चंपारण से चमड़ा आता था. उसके बाद यहां से रोलिंग और पैक कर ब्रांडेड कंपनियों को भेजा जाता था. आज इसके बंद हो जाने से सिवान समेत अन्य जिलों के सैकड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं.

देखें वीडियो

जिम्मेदारों को नहीं है कोई जानकारी
वहीं, उद्योग विभाग के प्रभारी मिथलेश कुमार सिंह ने बताया कि 3 दशकों से यह मिल बंद पड़ी हुई है. मुझे अभी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है.

सिवान: कोरोना काल में रोजगार गंवाने के बाद प्रवासी मजदूरों के लिए बिहार में ही काम देने की मांग उठ रही है. वहीं, सिवान में एक मिल ऐसी है जो सिवान के साथ ही कई जिलों के लोगों के लिए रोजगार का द्वार खोल सकती है.

जर्जर हालत में कारखाना
जर्जर हालत में कारखाना

मिल को शुरू करने की मांग
सरकार की उदासीनता के कारण ये कारखाना बेकार पड़ा हुआ है. करोड़ों की मशीनें जंग खाकर बर्बाद हो रही हैं. ऐसे में इस मिल को शुरू करने की मांग जोर पकड़ने लगी है. हम बात कर रहे हैं सिवान मैरवा रोड स्थित चमड़ा मिल की.

जर्जर हालत में कारखाना
खराब हो रहीं महंगी मशीनें

खंडहर में तब्दील हुई मिल
6 जुलाई 1985 को बिहार सरकार के तत्कालीन उद्योग एवं संसदीय कार्य मंत्री रामाश्रय सिंह के कर कमलों द्वारा आदर्श चर्म शोधनालय का उद्घाटन हुआ था. इस मिल में 100 से ज्यादा लोग काम करते थे, लेकिन आज हालातों ने इसे खंडहर में तब्दील कर दिया है. करोड़ों के सामान सड़ रहे हैं.

संसदीय कार्य मंत्री रामाश्रय सिंह ने किया था उद्घाटन
संसदीय कार्य मंत्री रामाश्रय सिंह ने किया था उद्घाटन

35 वर्षों से बंद है कारखाना
सुरक्षा गार्ड ने बताया कि करीब 35 वर्षों से मिल बंद है. अगर ये शुरू होती है तो सैकड़ों लोगों को काम मिलेगा. क्योंकि पहले भी यह कई जिलों के लोगों की कमाई का जरिया थी. छपरा, गोपालगंज और पूर्वी चंपारण से चमड़ा आता था. उसके बाद यहां से रोलिंग और पैक कर ब्रांडेड कंपनियों को भेजा जाता था. आज इसके बंद हो जाने से सिवान समेत अन्य जिलों के सैकड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं.

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जिम्मेदारों को नहीं है कोई जानकारी
वहीं, उद्योग विभाग के प्रभारी मिथलेश कुमार सिंह ने बताया कि 3 दशकों से यह मिल बंद पड़ी हुई है. मुझे अभी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है.

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