ETV Bharat / state

बिहार में ब्लैक फंगस का सामने आया केस, जांच के बाद पटना एम्स रेफर

सिवान में ब्लैक फंगस का मरीज (Black fungus Patient Found In Siwan) निकला है. चिकित्सकों ने बेहतर इलाज के लिए पटना रेफर किया है. यह रोगी जिले के चाप गांव का ग्रामीण है. पढ़ें पूरी खबर...

सिवान में ब्लैक फंगस
सिवान में ब्लैक फंगस
author img

By

Published : Jul 7, 2022, 1:33 PM IST

सिवान: बिहार के सिवान में ब्लैक फंगस बीमारी ने दस्तक दिया है. जिले के हुसैनगंज प्रखंड के चाप गांव के निवासी को आंखों से दिखाई नहीं देने के बाद परिजनों ने शहर के एक डॉक्टर से दिखाया. वहीं डॉक्टर ने जांच के बाद बताया कि मरीज ब्लैक फंगस बीमारी से पीड़ित है. वहां से डॉक्टरों ने जांच के बाद एम्स पटना के लिए रेफर कर दिया.

यह भी पढ़ें- मां ने पटना के PK गैंग से 5 लाख में किया सौदा, टॉपर 'जूली' को बना दिया अपराधी

सिवान में ब्लैक फंगस का मरीज: दरअसल यह मामला सिवान जिले के हुसैनगंज प्रखण्ड के चाप गांव निवासी किशनदेव साह (62 वर्ष) ब्लैक फंगस के शिकार पाये गये. बता दें कि उनके एक आंख से अचानक दिखाई देना बंद कर दिया और चेहरे पर कुछ दाग दिखाई देने लगा. वहीं परिजन मरीज को लेकर प्राइवेट क्लिनिक में इलाज के लिए ले गए, वहां से ब्लैक फंगस बीमारी का लक्षण बताते हुए सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया. वहां से डॉक्टरों ने पटना PMCH रेफर कर दिया. वहीं इस बीमारी की जानकारी मिलते ही गांव के लोगों में दहशत का माहौल है.





सदर अस्पताल में नहीं है कोई व्यवस्था: इस संबंध में सदर अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक अनवारुल हक उर्फ बीजू से बात करने पर बताया कि अभी तो अस्पताल टूट कर नया भवन बन रहा है. इस समय ब्लैक फंगस बीमारी को लेकर मरीजों के इलाज के लिए यहां किसी प्रकार की कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं है.

यह भी पढ़ें- देखिए नीतीश जी! बिहार के बड़े अस्पतालों का हाल, कंधे पर लटक रहा हेल्थ सिस्टम

कैसे होता है ब्लैक फंगस: बता दें, देश में ब्लैक फंगस के करीब 11 हजार से ज्यादा मामले सामने चुके हैं. वहीं ब्लैक फंगस खासकर कोरोना वायरस से ठीक हुए लोगों में साइड इफेक्ट्स के रूप में सामने आ रहे हैं. वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के समय हाई रिस्क वाली दवाइयों (स्टेरॉयड) के उपयोग से यह संक्रमण फैल रहा है. इस ब्लैक फंगस रोग में लोगों की आंखों की रोशनी चली जाती है. कई मामलों में तो व्यक्ति की मृत्यु तक हो जा रही है.

चार स्टेज होता है ब्लैक फंगस का इलाज
आईजीआईएमएस के अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि आईजीआईएमएस में ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज कैंसर की तरह चार स्टेज में किया जा रहा है. स्टेज के हिसाब से मरीजों को ऑपरेशन की जरुरत होती है.

  • पहला स्टेज- सिर्फ नाक में संक्रमण वाले मरीज
  • दूसरा स्टेज- नाक के साथ साइनस में संक्रमण वाले मरीज
  • तीसरा स्टेज- नाक, साइनस के साथ आंख में संक्रमण वाले मरीज
  • चौथा स्टेज- नाक, साइनस, आंख और मस्तिष्क में संक्रमण वाले मरीज

इम्यूनिटी लेवल कम होने पर बढ़ता है खतरा: डॉक्टर्स का मानना है कि फंगस सभी जगह है. यहां तक कि हमारे शरीर में और हमारे वातावरण में फंगस भरे पड़े हैं. ब्लैक फंगस एक तरह का अपॉर्चुनिस्टिक इंफेक्शन है. शरीर का इम्यूनिटी लेवल कम होने पर इसका खतरा काफी बढ़ जाता है. कोरोना महामारी के दौरान लोग आंख बंद कर बिना शुगर नियंत्रित किए स्टेरॉयड यूज करने लगे. इसका नतीजा यह होता है कि लोगों का शुगर लेवल बढ़ जाता है. इसकी वजह से कोमोरबिडिटी कंडीशन (किसी व्यक्ति को एक ही समय में एक से अधिक बीमारियां होना) ज्यादा बढ़ जाते हैं. ऐसे में फंगल इन्फेक्शन बढ़ने शुरू हो गए.

सिवान: बिहार के सिवान में ब्लैक फंगस बीमारी ने दस्तक दिया है. जिले के हुसैनगंज प्रखंड के चाप गांव के निवासी को आंखों से दिखाई नहीं देने के बाद परिजनों ने शहर के एक डॉक्टर से दिखाया. वहीं डॉक्टर ने जांच के बाद बताया कि मरीज ब्लैक फंगस बीमारी से पीड़ित है. वहां से डॉक्टरों ने जांच के बाद एम्स पटना के लिए रेफर कर दिया.

यह भी पढ़ें- मां ने पटना के PK गैंग से 5 लाख में किया सौदा, टॉपर 'जूली' को बना दिया अपराधी

सिवान में ब्लैक फंगस का मरीज: दरअसल यह मामला सिवान जिले के हुसैनगंज प्रखण्ड के चाप गांव निवासी किशनदेव साह (62 वर्ष) ब्लैक फंगस के शिकार पाये गये. बता दें कि उनके एक आंख से अचानक दिखाई देना बंद कर दिया और चेहरे पर कुछ दाग दिखाई देने लगा. वहीं परिजन मरीज को लेकर प्राइवेट क्लिनिक में इलाज के लिए ले गए, वहां से ब्लैक फंगस बीमारी का लक्षण बताते हुए सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया. वहां से डॉक्टरों ने पटना PMCH रेफर कर दिया. वहीं इस बीमारी की जानकारी मिलते ही गांव के लोगों में दहशत का माहौल है.





सदर अस्पताल में नहीं है कोई व्यवस्था: इस संबंध में सदर अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक अनवारुल हक उर्फ बीजू से बात करने पर बताया कि अभी तो अस्पताल टूट कर नया भवन बन रहा है. इस समय ब्लैक फंगस बीमारी को लेकर मरीजों के इलाज के लिए यहां किसी प्रकार की कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं है.

यह भी पढ़ें- देखिए नीतीश जी! बिहार के बड़े अस्पतालों का हाल, कंधे पर लटक रहा हेल्थ सिस्टम

कैसे होता है ब्लैक फंगस: बता दें, देश में ब्लैक फंगस के करीब 11 हजार से ज्यादा मामले सामने चुके हैं. वहीं ब्लैक फंगस खासकर कोरोना वायरस से ठीक हुए लोगों में साइड इफेक्ट्स के रूप में सामने आ रहे हैं. वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के समय हाई रिस्क वाली दवाइयों (स्टेरॉयड) के उपयोग से यह संक्रमण फैल रहा है. इस ब्लैक फंगस रोग में लोगों की आंखों की रोशनी चली जाती है. कई मामलों में तो व्यक्ति की मृत्यु तक हो जा रही है.

चार स्टेज होता है ब्लैक फंगस का इलाज
आईजीआईएमएस के अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि आईजीआईएमएस में ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज कैंसर की तरह चार स्टेज में किया जा रहा है. स्टेज के हिसाब से मरीजों को ऑपरेशन की जरुरत होती है.

  • पहला स्टेज- सिर्फ नाक में संक्रमण वाले मरीज
  • दूसरा स्टेज- नाक के साथ साइनस में संक्रमण वाले मरीज
  • तीसरा स्टेज- नाक, साइनस के साथ आंख में संक्रमण वाले मरीज
  • चौथा स्टेज- नाक, साइनस, आंख और मस्तिष्क में संक्रमण वाले मरीज

इम्यूनिटी लेवल कम होने पर बढ़ता है खतरा: डॉक्टर्स का मानना है कि फंगस सभी जगह है. यहां तक कि हमारे शरीर में और हमारे वातावरण में फंगस भरे पड़े हैं. ब्लैक फंगस एक तरह का अपॉर्चुनिस्टिक इंफेक्शन है. शरीर का इम्यूनिटी लेवल कम होने पर इसका खतरा काफी बढ़ जाता है. कोरोना महामारी के दौरान लोग आंख बंद कर बिना शुगर नियंत्रित किए स्टेरॉयड यूज करने लगे. इसका नतीजा यह होता है कि लोगों का शुगर लेवल बढ़ जाता है. इसकी वजह से कोमोरबिडिटी कंडीशन (किसी व्यक्ति को एक ही समय में एक से अधिक बीमारियां होना) ज्यादा बढ़ जाते हैं. ऐसे में फंगल इन्फेक्शन बढ़ने शुरू हो गए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.