सिवानः बिहार के सिवान में एक राजनीतिक परिवार में तीन पार्टियों के सदस्य और विधायक मौजूद हैं. भाजपा कोटे से पूर्व एमएलसी टुन्ना पांडे जो बहुत ही मंझे हुए खिलाड़ी माने जाते हैं, उनके बेटे शक्ति पांडे हाल ही में एलजेपीआर में शामिल हो गए हैं, जबकि उनके भाई पहले से ही आरजेडी में हैं. इसे लेकर चर्चाओं का बजार गर्म है कि एक ही परिवार में तीन पार्टी के समर्थक हैं, अब देखने वाली बात ये होगी कि आने वाले चुनावों में कौन किस पर भारी होगा.
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टुन्ना पांडे के बेटे ने ज्वाइन किया एलजेपीआर: पूर्व एमएलसी टुन्ना पांडे ने 2020 के विधानसभा चुनाव में अपने भाई को राजद ज्वाइन करवाया और विधानसभा की टिकट भी हासिल करवाई. उसके बाद शहाबुद्दीन परिवार के समर्थन से चुनाव जीतने में टुन्ना पांडे के भाई बच्चा पांडे कामयाब रहे. अब जैसे ही 2024 लोकसभा चुनाव सामने आया है पूर्व एमएलसी के पुत्र ने लोजपा का दामन थाम लिया है, तभी यह चर्चा जोरों पर है कि पूर्व भाजपा में टुन्ना पांडे के पुत्र शक्ति पांडेय लोकसभा या विधायकी का चुनाव लड़ सकते हैं, हालांकि इस पर अभी टुन्ना पांडे से कोई बात नहीं हो पाई है.
एक परिवार में तीन पार्टी, कन्फ्यूज में है जनताः आपको बता दें कि पूर्व भाजपा एमएलसी टुन्ना पांडे के पुत्र के लोजपा ज्वाइन करने के बाद से राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा का विषय बना हुआ है. जितनी मुंह उतनी बातें हो रही हैं. आखिर जनता कैसे करेगी अपने नेता का चुनाव, एक ही परिवार में तीन-तीन पार्टियों के विचारधारा वाले नेताओं को चुनने में जनता कन्फ्यूज है कि आखिर कैसे और किसे चुना जाय, वहीं क्या टुन्ना पांडे के बेटे लोजपा ज्वाइन करने के बाद अगर लोकसभा या विधानसभा चुनाव लड़ते हैं तो टुन्ना पांडे भाजपा को छोड़ लोजपा के समर्थन में वोट मांगगे.
भतीजे के लिए वोट मांगेगें शक्ति पांडे?: कहा तो ये भी जा रहा है कि क्या अब पूर्व एमएलसी टूना पांडे अपने पुत्र के साथ जाएंगे या उनके भाई जो राजद से विधायक हैं, वह अपने भतीजे शक्ति पांडेय के पक्ष में रहेंगे. क्या वह राजद से हटकर लोजपा के समर्थन में लोजपा के लिए वोट मांगेंगे, यह भी एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है. अगर ऐसा हुआ तो पार्टियां भी एक्शन ले सकती हैं या नहीं, यह तो आने वाला समय बताएगा.
'बेटा आगे बढ़े तो खुशी होती है'- टुन्ना पांडेः एक परिवार और पार्टी तीन, इस पूरे मामले पर भाजपा के पूर्व एमएलसी टुन्ना पांडे ने कहा है कि अगर किसी का बेटा आगे बढ़ता है तो पिता को सबसे ज्यादा खुशी होती है और अगर किसी के पांच बेटे हैं, तो कोई जरूरी नहीं है कि पांचो बेटे का एडमिशन एक ही स्कूल में हो, इसलिए मैं बहुत खुश हूं कि सबकि अपनी-अपनी विचारधारा है.