सीतामढ़ी: शिवहर जिले के अदौरी और खोरीपाकर गांव के बीच पुल निर्माण की मांग को लेकर वर्षो से सत्याग्रह और आंदोलन जारी है. पुल नहीं होने से लोगों को काफी परेशानी होती है. शिवहर के रहने वाले संजय सिंह पिछले 2 सालों से आंदोलनरत हैं. उन्होंने 2 सालों से अपनी दाढ़ी नहीं कटाई है. संजय का संकल्प है कि जब तक पुल निर्माण नहीं होता, तब तक वह अपनी दाढ़ी नहीं कटवाएंगे.
छोटा जिला का हवाला देकर सीएम ने नकारा
सत्याग्रह की अगुवाई करने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर संजय सिंह का कहना है कि इस पुल निर्माण की मांग को लेकर उनकी तीन पीढी स्वर्गवासी हो चुके हैं. लेकिन अब तक पुल नहीं बना. उन्होंने कहा कि पुल निर्माण की मांग को लेकर लगातार 2 वर्षों से अपनी नौकरी और व्यवसाय छोड़कर संघर्षरत हूं. लेकिन अभी तक पुल निर्माण का कार्य किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है. संजय सिंह ने बताया कि अब तक वह पुल निर्माण को लेकर 4 बार सीएम नीतीश कुमार से सीधा मिल चुके हैं. नीतीश कुमार ने कहा था कि शिवहर छोटा जिला है. यहां पुल बनना उचित नहीं है. इस पर संजय सिंह का कहना है कि बड़े जिले के लिए सभी आवश्यक चीजें होना जरूरी है, तो छोटे जिले में रहने वाले आम नागरिकों के लिए पुल पुलिया, स्कूल, अस्पताल आदि होना जरूरी नहीं?
सरकारी उदासीनता के कारण नहीं बन रहा पुल
पूर्व जिला परिषद अजब लाल चौधरी का भी कहना है कि पुल बन जाने से लोगों को काफी लाभ मिलेगा. पुल बन जाने से सीतामढ़ी, शिवहर और मोतिहारी की आर्थिक स्थित काफी मजबूत हो जाएगी. ये आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है. लेकिन सरकार और जनप्रतिनिधि की उदासीनता के कारण ये काम कई वर्षों से लंबित पड़ा है.
क्या कहते हैं डीएम
निर्माण के संबंध में पूछे जाने पर शिवहर डीएम अरशद अजीज ने बताया कि पुल निर्माण की मांग लंबे समय से चलती आ रही है. इसके लिए कई बार अनुश्रवण समिति की बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया गया था. जहां पुल निर्माण की मांग चल हो रही है वहां जाकर जायजा भी लिया गया. चूंकि यह सरकार से संबंधित मामला है और मैं एक सरकारी पदाधिकारी हूं. इसलिए कैमरे के सामने इस संबंध में कुछ भी नहीं बता पाऊंगा.
विधानसभा और लोकसभा में उठ चुका है मुद्दा
बता दें कि 2015 में यह मुद्दा लोकसभा में उठाया गया था. 12 बार विधानसभा में भी मुद्दा उठा. 2010 में सीतामढ़ी के सोनौल गांव में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने इस पुल निर्माण की घोषणा भी की था. 23 जुलाई 2018 को विधान परिषद में भाजपा, जदयू और आरजेडी के तीन पार्षदों ने संयुक्त रूप से सरकार का ध्यानाकर्षण किया था. ग्रामीण कार्य मंत्री ने निर्माण का आश्वासन भी दिया था जो अभी समिति के पास लंबित है. इस कारण क्षेत्र की जनता लगातार आंदोलन और सत्याग्रह कर रही है.
पुल निर्माण होने से फायदा
अदौरी गांव शिवहर जिले में आता है और खोरीपाकर गांव मोतिहारी जिले में. इस दोनों गांव के बीच से दो नदियां गुजरती हैं, बागमती और लाल बकिया. दोनों गांव के बीच की दूरी ढाई किलो मीटर के करीब है. पुल के बन जाने से सीतामढ़ी मां जानकी धाम से अयोध्या का संपर्क सीधा जुड़ जाएगा. साथ ही जानकी स्थान से बापूधाम मोतिहारी की दूरी काफी कम हो जाएगी. इसके अलावा करीब 40000 काश्तकार सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे. पुल नहीं होने के कारण मोतिहारी के किसानों का गन्ना रीगा शुगर मिल तक भी नहीं पहुंच पाता है. साथ ही एक जिले से दूसरे जिले में आने के लिए उन्हें करीब 160 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. अगर यह पुल बन जाता है तो सीतामढ़ी से मोतिहारी की दूरी मात्र 65 किलोमीटर होगी.
पुल नहीं बनने से नुकसान
पुल के नहीं बनने से यहां की जनता को काफी परेशानी होती है. बाढ़ के दौरान कई नाव दुर्घटना होती है. हादसे में कई लोगों की जान चली जाती है. गंभीर रूप से बीमार मरीजों को तत्काल बेहतर इलाज के लिए किसी अच्छे अस्पतालों में भर्ती कराने की समस्या अक्सर बनी रहती है. जब तक उन्हें अस्पताल पहुंचाया जाता है तब तक मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. सबसे दुखद बात तो यह है कि इस क्षेत्र में कोई अच्छा परिवार अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहता. क्षेत्र के कई ऐसे गांव हैं जहां के बच्चे अच्छे स्कूलों में पठन-पाठन के लिए नहीं जा पाते.
3 जिलों काे पेंच में फंसा पुल का निर्माण
अदौरी से लेकर खोरीपाकर गांव तक जिस पुल की मांग आजादी के बाद से अब तक चल रही है, यह क्षेत्र तीन जिले का आता है. जिसमें शिवहर, सीतामढ़ी और मोतिहारी शामिल है. 3 जिलों का क्षेत्र होने के कारण पुल निर्माण में बाधा आ रही है. अगर एक जिला होता तो वहां के जनप्रतिनिधि अकेले निर्णय लेकर इसे अंजाम तक पहुंचा सकते थे. लेकिन तीन जिला का क्षेत्र होने के कारण सभी जनप्रतिनिधि का अगल-अलग राजनीति दांव है. उस राजनीतिक दाव पेंच की शिकार हजारों की आबादी हो रही है.