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सीतामढ़ी के इस इंजीनियर ने पुल निर्माण की जिद में 2 सालों से नहीं कटवाई दाढ़ी, मांग पर सरकार लापरवाह

संजय सिंह ने बताया कि अब तक वह पुल निर्माण को लेकर 4 बार सीएम नीतीश कुमार से सीधा मिल चुके हैं. नीतीश कुमार ने कहा था कि शिवहर छोटा जिला है. यहां पुल बनना उचित नहीं है.

इंजीनियर ने नहीं कटवाई दो सालों से दाढ़ी
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Published : Sep 6, 2019, 3:19 PM IST

सीतामढ़ी: शिवहर जिले के अदौरी और खोरीपाकर गांव के बीच पुल निर्माण की मांग को लेकर वर्षो से सत्याग्रह और आंदोलन जारी है. पुल नहीं होने से लोगों को काफी परेशानी होती है. शिवहर के रहने वाले संजय सिंह पिछले 2 सालों से आंदोलनरत हैं. उन्होंने 2 सालों से अपनी दाढ़ी नहीं कटाई है. संजय का संकल्प है कि जब तक पुल निर्माण नहीं होता, तब तक वह अपनी दाढ़ी नहीं कटवाएंगे.

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पुल निर्माण की हठ में इस इंजीनियर ने नहीं कटवाई दो सालों से दाढ़ी

छोटा जिला का हवाला देकर सीएम ने नकारा
सत्याग्रह की अगुवाई करने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर संजय सिंह का कहना है कि इस पुल निर्माण की मांग को लेकर उनकी तीन पीढी स्वर्गवासी हो चुके हैं. लेकिन अब तक पुल नहीं बना. उन्होंने कहा कि पुल निर्माण की मांग को लेकर लगातार 2 वर्षों से अपनी नौकरी और व्यवसाय छोड़कर संघर्षरत हूं. लेकिन अभी तक पुल निर्माण का कार्य किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है.
संजय सिंह ने बताया कि अब तक वह पुल निर्माण को लेकर 4 बार सीएम नीतीश कुमार से सीधा मिल चुके हैं. नीतीश कुमार ने कहा था कि शिवहर छोटा जिला है. यहां पुल बनना उचित नहीं है. इस पर संजय सिंह का कहना है कि बड़े जिले के लिए सभी आवश्यक चीजें होना जरूरी है, तो छोटे जिले में रहने वाले आम नागरिकों के लिए पुल पुलिया, स्कूल, अस्पताल आदि होना जरूरी नहीं?

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पुल नहीं होने से लोगों को काफी परेशानी

सरकारी उदासीनता के कारण नहीं बन रहा पुल
पूर्व जिला परिषद अजब लाल चौधरी का भी कहना है कि पुल बन जाने से लोगों को काफी लाभ मिलेगा. पुल बन जाने से सीतामढ़ी, शिवहर और मोतिहारी की आर्थिक स्थित काफी मजबूत हो जाएगी. ये आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है. लेकिन सरकार और जनप्रतिनिधि की उदासीनता के कारण ये काम कई वर्षों से लंबित पड़ा है.

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पुल निर्माण को लेकर लिया संकल्प

क्या कहते हैं डीएम

निर्माण के संबंध में पूछे जाने पर शिवहर डीएम अरशद अजीज ने बताया कि पुल निर्माण की मांग लंबे समय से चलती आ रही है. इसके लिए कई बार अनुश्रवण समिति की बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया गया था. जहां पुल निर्माण की मांग चल हो रही है वहां जाकर जायजा भी लिया गया. चूंकि यह सरकार से संबंधित मामला है और मैं एक सरकारी पदाधिकारी हूं. इसलिए कैमरे के सामने इस संबंध में कुछ भी नहीं बता पाऊंगा.

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अजब लाल चौधरी, पूर्व जिला परिषद

विधानसभा और लोकसभा में उठ चुका है मुद्दा
बता दें कि 2015 में यह मुद्दा लोकसभा में उठाया गया था. 12 बार विधानसभा में भी मुद्दा उठा. 2010 में सीतामढ़ी के सोनौल गांव में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने इस पुल निर्माण की घोषणा भी की था. 23 जुलाई 2018 को विधान परिषद में भाजपा, जदयू और आरजेडी के तीन पार्षदों ने संयुक्त रूप से सरकार का ध्यानाकर्षण किया था. ग्रामीण कार्य मंत्री ने निर्माण का आश्वासन भी दिया था जो अभी समिति के पास लंबित है. इस कारण क्षेत्र की जनता लगातार आंदोलन और सत्याग्रह कर रही है.

पुल निर्माण की मांग को लेकर इस इंजीनियर ने नहीं कटवाई दो सालों से दाढ़ी

पुल निर्माण होने से फायदा
अदौरी गांव शिवहर जिले में आता है और खोरीपाकर गांव मोतिहारी जिले में. इस दोनों गांव के बीच से दो नदियां गुजरती हैं, बागमती और लाल बकिया. दोनों गांव के बीच की दूरी ढाई किलो मीटर के करीब है. पुल के बन जाने से सीतामढ़ी मां जानकी धाम से अयोध्या का संपर्क सीधा जुड़ जाएगा. साथ ही जानकी स्थान से बापूधाम मोतिहारी की दूरी काफी कम हो जाएगी. इसके अलावा करीब 40000 काश्तकार सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे. पुल नहीं होने के कारण मोतिहारी के किसानों का गन्ना रीगा शुगर मिल तक भी नहीं पहुंच पाता है. साथ ही एक जिले से दूसरे जिले में आने के लिए उन्हें करीब 160 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. अगर यह पुल बन जाता है तो सीतामढ़ी से मोतिहारी की दूरी मात्र 65 किलोमीटर होगी.

जानकारी देते पूर्व जिला परिषद अजब लाल चौधरी

पुल नहीं बनने से नुकसान
पुल के नहीं बनने से यहां की जनता को काफी परेशानी होती है. बाढ़ के दौरान कई नाव दुर्घटना होती है. हादसे में कई लोगों की जान चली जाती है. गंभीर रूप से बीमार मरीजों को तत्काल बेहतर इलाज के लिए किसी अच्छे अस्पतालों में भर्ती कराने की समस्या अक्सर बनी रहती है. जब तक उन्हें अस्पताल पहुंचाया जाता है तब तक मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. सबसे दुखद बात तो यह है कि इस क्षेत्र में कोई अच्छा परिवार अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहता. क्षेत्र के कई ऐसे गांव हैं जहां के बच्चे अच्छे स्कूलों में पठन-पाठन के लिए नहीं जा पाते.

3 जिलों काे पेंच में फंसा पुल का निर्माण
अदौरी से लेकर खोरीपाकर गांव तक जिस पुल की मांग आजादी के बाद से अब तक चल रही है, यह क्षेत्र तीन जिले का आता है. जिसमें शिवहर, सीतामढ़ी और मोतिहारी शामिल है. 3 जिलों का क्षेत्र होने के कारण पुल निर्माण में बाधा आ रही है. अगर एक जिला होता तो वहां के जनप्रतिनिधि अकेले निर्णय लेकर इसे अंजाम तक पहुंचा सकते थे. लेकिन तीन जिला का क्षेत्र होने के कारण सभी जनप्रतिनिधि का अगल-अलग राजनीति दांव है. उस राजनीतिक दाव पेंच की शिकार हजारों की आबादी हो रही है.

सीतामढ़ी: शिवहर जिले के अदौरी और खोरीपाकर गांव के बीच पुल निर्माण की मांग को लेकर वर्षो से सत्याग्रह और आंदोलन जारी है. पुल नहीं होने से लोगों को काफी परेशानी होती है. शिवहर के रहने वाले संजय सिंह पिछले 2 सालों से आंदोलनरत हैं. उन्होंने 2 सालों से अपनी दाढ़ी नहीं कटाई है. संजय का संकल्प है कि जब तक पुल निर्माण नहीं होता, तब तक वह अपनी दाढ़ी नहीं कटवाएंगे.

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पुल निर्माण की हठ में इस इंजीनियर ने नहीं कटवाई दो सालों से दाढ़ी

छोटा जिला का हवाला देकर सीएम ने नकारा
सत्याग्रह की अगुवाई करने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर संजय सिंह का कहना है कि इस पुल निर्माण की मांग को लेकर उनकी तीन पीढी स्वर्गवासी हो चुके हैं. लेकिन अब तक पुल नहीं बना. उन्होंने कहा कि पुल निर्माण की मांग को लेकर लगातार 2 वर्षों से अपनी नौकरी और व्यवसाय छोड़कर संघर्षरत हूं. लेकिन अभी तक पुल निर्माण का कार्य किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है.
संजय सिंह ने बताया कि अब तक वह पुल निर्माण को लेकर 4 बार सीएम नीतीश कुमार से सीधा मिल चुके हैं. नीतीश कुमार ने कहा था कि शिवहर छोटा जिला है. यहां पुल बनना उचित नहीं है. इस पर संजय सिंह का कहना है कि बड़े जिले के लिए सभी आवश्यक चीजें होना जरूरी है, तो छोटे जिले में रहने वाले आम नागरिकों के लिए पुल पुलिया, स्कूल, अस्पताल आदि होना जरूरी नहीं?

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पुल नहीं होने से लोगों को काफी परेशानी

सरकारी उदासीनता के कारण नहीं बन रहा पुल
पूर्व जिला परिषद अजब लाल चौधरी का भी कहना है कि पुल बन जाने से लोगों को काफी लाभ मिलेगा. पुल बन जाने से सीतामढ़ी, शिवहर और मोतिहारी की आर्थिक स्थित काफी मजबूत हो जाएगी. ये आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है. लेकिन सरकार और जनप्रतिनिधि की उदासीनता के कारण ये काम कई वर्षों से लंबित पड़ा है.

sitamarhi
पुल निर्माण को लेकर लिया संकल्प

क्या कहते हैं डीएम

निर्माण के संबंध में पूछे जाने पर शिवहर डीएम अरशद अजीज ने बताया कि पुल निर्माण की मांग लंबे समय से चलती आ रही है. इसके लिए कई बार अनुश्रवण समिति की बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया गया था. जहां पुल निर्माण की मांग चल हो रही है वहां जाकर जायजा भी लिया गया. चूंकि यह सरकार से संबंधित मामला है और मैं एक सरकारी पदाधिकारी हूं. इसलिए कैमरे के सामने इस संबंध में कुछ भी नहीं बता पाऊंगा.

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अजब लाल चौधरी, पूर्व जिला परिषद

विधानसभा और लोकसभा में उठ चुका है मुद्दा
बता दें कि 2015 में यह मुद्दा लोकसभा में उठाया गया था. 12 बार विधानसभा में भी मुद्दा उठा. 2010 में सीतामढ़ी के सोनौल गांव में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने इस पुल निर्माण की घोषणा भी की था. 23 जुलाई 2018 को विधान परिषद में भाजपा, जदयू और आरजेडी के तीन पार्षदों ने संयुक्त रूप से सरकार का ध्यानाकर्षण किया था. ग्रामीण कार्य मंत्री ने निर्माण का आश्वासन भी दिया था जो अभी समिति के पास लंबित है. इस कारण क्षेत्र की जनता लगातार आंदोलन और सत्याग्रह कर रही है.

पुल निर्माण की मांग को लेकर इस इंजीनियर ने नहीं कटवाई दो सालों से दाढ़ी

पुल निर्माण होने से फायदा
अदौरी गांव शिवहर जिले में आता है और खोरीपाकर गांव मोतिहारी जिले में. इस दोनों गांव के बीच से दो नदियां गुजरती हैं, बागमती और लाल बकिया. दोनों गांव के बीच की दूरी ढाई किलो मीटर के करीब है. पुल के बन जाने से सीतामढ़ी मां जानकी धाम से अयोध्या का संपर्क सीधा जुड़ जाएगा. साथ ही जानकी स्थान से बापूधाम मोतिहारी की दूरी काफी कम हो जाएगी. इसके अलावा करीब 40000 काश्तकार सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे. पुल नहीं होने के कारण मोतिहारी के किसानों का गन्ना रीगा शुगर मिल तक भी नहीं पहुंच पाता है. साथ ही एक जिले से दूसरे जिले में आने के लिए उन्हें करीब 160 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. अगर यह पुल बन जाता है तो सीतामढ़ी से मोतिहारी की दूरी मात्र 65 किलोमीटर होगी.

जानकारी देते पूर्व जिला परिषद अजब लाल चौधरी

पुल नहीं बनने से नुकसान
पुल के नहीं बनने से यहां की जनता को काफी परेशानी होती है. बाढ़ के दौरान कई नाव दुर्घटना होती है. हादसे में कई लोगों की जान चली जाती है. गंभीर रूप से बीमार मरीजों को तत्काल बेहतर इलाज के लिए किसी अच्छे अस्पतालों में भर्ती कराने की समस्या अक्सर बनी रहती है. जब तक उन्हें अस्पताल पहुंचाया जाता है तब तक मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. सबसे दुखद बात तो यह है कि इस क्षेत्र में कोई अच्छा परिवार अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहता. क्षेत्र के कई ऐसे गांव हैं जहां के बच्चे अच्छे स्कूलों में पठन-पाठन के लिए नहीं जा पाते.

3 जिलों काे पेंच में फंसा पुल का निर्माण
अदौरी से लेकर खोरीपाकर गांव तक जिस पुल की मांग आजादी के बाद से अब तक चल रही है, यह क्षेत्र तीन जिले का आता है. जिसमें शिवहर, सीतामढ़ी और मोतिहारी शामिल है. 3 जिलों का क्षेत्र होने के कारण पुल निर्माण में बाधा आ रही है. अगर एक जिला होता तो वहां के जनप्रतिनिधि अकेले निर्णय लेकर इसे अंजाम तक पहुंचा सकते थे. लेकिन तीन जिला का क्षेत्र होने के कारण सभी जनप्रतिनिधि का अगल-अलग राजनीति दांव है. उस राजनीतिक दाव पेंच की शिकार हजारों की आबादी हो रही है.

Intro:बागमती और लालबकिया नदी पर फूल निर्माण की मांग को लेकर वर्षो से जारी है सत्याग्रह। फूल नहीं बनी तो लंबी होती रहेगी युवा इंजीनियर की दाढ़ी। निर्माण नहीं होने से दृढ़ संकल्पित है युवा इंजीनियर संजय। Body:शिवहर जिले के अदौरी और खोरीपाकर गांव के बीच पुल निर्माण की मांग को लेकर वर्षो से सत्याग्रह और आंदोलन जारी है। सत्याग्रह की अगुवाई करने वाले युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर संजय सिंह का बताना है कि इस पुल निर्माण को लेकर उनकी तीन पीढी स्वर्गवासी हो चुके हैं। लेकिन अब तक फूल नहीं बना। अब मैं इस पुल निर्माण को लेकर आगे आया हूं। लगातार 2 वर्षों से इसके लिए अपनी नौकरी और व्यवसाय छोड़कर मैं संघर्षरत हूं। लेकिन अब तक इस पुल निर्माण का कार्य किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है। जबकि इसके लिए चार बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, सुशील कुमार मोदी पथ निर्माण मंत्री से मुलाकात कर पुल निर्माण से होने वाले फायदे और निर्माण नहीं होने के कारण हो रहे नुकसान से अवगत कराया जा चुका है। इसके बावजूद किसी जनप्रतिनिधि ने इस बड़ी समस्या पर आज तक ध्यान नहीं दिया। लिहाजा मैं संकल्प लिया हूं कि जबतक यह पुल नहीं बनेगा। तब तक मेरी दाढ़ी नहीं बनेगी चाहे इसके लिए 20 वर्ष से अधिक का समय क्यों न बीत जाए। मेरी दाढ़ी लंबी होकर जमीन में क्यों नहीं सट जाए मेरा यह दृढ़ संकल्प है।
बाइट 1. संजय सिंह। आंदोलनकारी। अदौरी गांव निवासी। ब्लू टीशर्ट में। सॉफ्टवेयर इंजीनियर।
विधानसभा और लोकसभा में उठ चुका है मुद्दा:______
इस पुल निर्माण को लेकर वैसे तो कई बार मानव श्रृंखला बनाई गई, आंदोलन किए गए, पटना से लेकर दिल्ली तक प्रदर्शन किया गया, 2015 में इसे लोकसभा में भी उठाया गया था। साथ ही 12 बार विधानसभा में इस सवाल को उठाए गया। 2010 में सीतामढ़ी के सोनौल गांव में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने इस पुल निर्माण की घोषणा भी किया था। वंही 23 जुलाई 2018 को विधान परिषद में भाजपा, जदयू और आरजेडी के तीन पार्षदों ने संयुक्त रूप से सरकार का ध्यानाकर्षण किया था। और ग्रामीण कार्य मंत्री ने निर्माण का आश्वासन भी दिया था।जो आश्वासन समिति के पास लंबित है। गत सत्र में विधानसभा के रीगा विधायक अमित कुमार टुन्ना ने 3 विधायकों के समर्थन से गैर सरकारी संकल्प भी ला चुके हैं। इसके बावजूद आज तक इस पुल निर्माण का मुद्दा ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। जिस कारण इस क्षेत्र की जनता लगातार आंदोलन और सत्याग्रह कर रही है।
पुल निर्माण होने से फायदा:__________
अदौरी गाँव शिवहर जिले में आता है। और खोरीपाकर गाँव मोतिहारी जिले में। और इस दोनों गांव के बीच दो नदियां गुजरती है। बागमती और लाल बकिया जिस के संगम पर पुल निर्माण की मांग हो रही है। और इस दोनों गांव के बीच की दूरी ढाई किलो मीटर के करीब है। जिस पर पुल के बन जाने से सीतामढ़ी मां जानकी धाम से अयोध्या का संपर्क सीधा जुड़ जाएगा। साथ ही जानकी स्थान से बापूधाम मोतिहारी की दूरी काफी कम हो जाएगी। इसके अलावा करीब 40000 काश्तकार सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे जो अपना गन्ना व अन्य फसलें इस पार से उस पार ले जा पाएंगे अभी भूल नहीं होने के कारण मोतिहारी के किसानों का गन्ना रीगा शुगर मिल तक भी नहीं पहुंच पाता है। साथ ही एक जिले से दूसरे जिले में आने के लिए उन्हें करीब 160 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। अगर यह पुल बन जाता है तो सीतामढ़ी से मोतिहारी की दूरी मात्र 65 किलोमीटर होगी। साथ ही सामरिक दृष्टिकोण से नेपाल बॉर्डर से मात्र 14 किलोमीटर पुल स्थल की दूरी है। इसलिए इसका अपना ही एक अलग महत्व है।
फूल नहीं बनने से नुकसान:_____________________
इस पुल के नहीं बनने से कई तरीके से यहां की जनता को नुकसान उठाना पड़ता है। जुलाई 2018 में आई बाढ़ में 20 वर्षीय रूपक कुमार की मौत हो गई थी । और उस सदमे को उसके दादा रामनिरंजन सिंह बर्दाश्त नहीं कर सके और उन्होंने भी दम तोड़ दिया था। इसके अलावे प्रत्येक वर्ष बाढ़ के दौरान कई नाव दुर्घटना होती है। और उस हादसे में कई लोगों की जान चली जाती है। वहीं गंभीर रूप से बीमार मरीजों को तत्काल बेहतर इलाज के लिए किसी अच्छे अस्पतालों में भर्ती कराने की समस्या अक्सर बनी रहती है। जब तक उन्हें अस्पताल पहुंचाया जाता है तब तक मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। सबसे दुखद बात तो यह है कि इस क्षेत्र में कोई अच्छा परिवार अपनी बच्ची की शादी इस क्षेत्र के युवकों के साथ नहीं करना मुनासिब समझते। लिहाजा युवा और युवतियों की शादी भी प्रभावित हो रही है। वही क्षेत्र के कई ऐसे गांव हैं जंहा के मेधावी बच्चे अच्छे स्कूलों तक पठन-पाठन के लिए नहीं जा पाते।
3 जिले का पेंच:___________________________
अदौरी से लेकर खोरीपाकर गाँव तक जिस पुल की मांग आजादी के बाद से अब तक चल रही है। यह क्षेत्र तीन जिले का आता है। जिसमें शिवहर, सीतामढ़ी और मोतिहारी शामिल है। तकनीकी जानकारों का बताना है कि 3 जिलों का क्षेत्र होने के कारण पुल निर्माण में बाधा आ रही है। क्योंकि अगर एक जिला होता तो वहां के जनप्रतिनिधि अकेला निर्णय लेकर इसे अंजाम तक पहुंचा सकते थे। लेकिन तीन जिला का क्षेत्र होने के कारण अलग-अलग जो प्रतिनिधि है उनके अपने अलग-अलग राजनीति दांव है। और उस राजनीति दाव पेंच के शिकार हजारों की आबादी हो रही है।
छोटा जिला का हवाला देकर सीएम ने नकारा:_______
इस आंदोलन और सत्याग्रह की अगुवाई कर रहे युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर संजय सिंह ने बताया कि अब तक वह पुल निर्माण को लेकर 4 बार सीएम नीतीश कुमार से सीधा मिल चुके हैं। और उस दौरान नीतीश कुमार ने इन्हें खुलकर बताया कि शिवहर छोटा जिला है जहां यह फूल देना उचित नहीं है। इस बात पर संजय सिंह का बताना है कि बड़े जिले की आबादी के लिए सभी आवश्यक चीजें होना जरूरी होता है। और छोटे जिले में रहने वाले आपदा और मुश्किलों का सामना करने वाले आम नागरिकों के लिए पुल पुलिया, स्कूल, अस्पताल आदि जरूरी नहीं होता क्या।
पिता की बरसी पर नहीं कटाई दाढ़ी:_____________
पुल निर्माण के लिए संकल्पित युवा इंजीनियर संजय सिंह ने 1 वर्षों से अपनी दाढ़ी लगातार बढ़ाते जा रहे हैं। अपनी पिता की बरसी पर भी संजय ने अपना बाल मुंडन करवाया लेकिन दाढ़ी नहीं कटवाई। क्योंकि संजय का संकल्प है कि जब तक पुल निर्माण नहीं होता तब तक वह अपनी दाढ़ी नहीं कटवाएंगे। लिहाजा संजय की दाढ़ी लगातार बढ़ती जा रही है। अब देखना है कि फूल बनती है या फिर संजय की दाढ़ी बढ़ती हुई जमीन तक पहुंचती है।
बाइट 2. संजय सिंह। आंदोलनकारी। अदौरी गांव। ब्लू टीशर्ट।
बाइट 3. अरविंद कुमार। युवा grey t-shirt mein। ग्रामीण।
बाइट 4. रामपुकार मंडल। ग्रामीण अदौरी गांव। गंजी गमछा और चश्मा में।
पी टू सी 5.
विजुअल 6,7,8,9

Conclusion:पी टू सी राहुल देव सोलंकी। सीतामढ़ी।
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