सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी व्यवहार न्यायालय ने शादी का प्रलोभन देकर शारीरिक संबंध बनाकर गर्भवती करने के मामले में 10 साल बाद बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने दोषी को 7 साल की सजा का फैसला सुनाते हुए अर्थ दंड भी लगाया है.
10 साल बाद कोर्ट का आया बड़ा फैसला: 10 साल पहले सीतामढ़ी व्यवहार न्यायालय में एक परिवारवाद दायर किया गया था, जिसमें सुरसंड थाना क्षेत्र के यदि पट्टी गांव के रहने वाले एक शख्य को आरोपी बनाया गया था. उसपर आरोप लगाया गया था कि शादी का प्रलोभन देकर उसने युवती के साथ शारीरिक संबंध बनाया था और पीड़िता ने जब शादी का दबाव बनाया तो व्यक्ति ने शादी से इनकार कर दिया.
दोषी को 7 साल की सजा : मामले को लेकर जब पीड़ित युवती ने स्थानीय थाने में आवेदन दिया तो आरोपी के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. जिसके बाद पीड़ित युवती ने सीतामढ़ी व्यवहार न्यायालय में एक परिवारवाद दायर किया. 10 सालों तक चले परिवारबाद मे व्यवहार न्यायालय सीतामढ़ी के द्वारा पीड़िता के पक्ष में फैसला आया है.
शादी का झांसा देकर बनाया शारीरिक संबंध: 7 साल की सजा के साथ 10 हजार का अर्थ दण्ड: सीतामढ़ी व्यवहार न्यायालय के प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश राहुल उपाध्याय के न्यायालय के द्वारा आरोपी को दोषी करार देते हुए 7 साल की सजा के साथ 10 हजार रुपए का अर्थ दंड का फैसला सुनाया गया. अर्थ दंड नहीं देने के स्थिति में तीन महीने की अतिरिक्त सजा सुनायी गयी है.
पुलिस अनुसंधान में मिली ये जानकारी: पुलिस अनुसंधान में मामला सामने आया कि शख्स ने शादी का प्रलोभन देकर डेढ़ साल तक युवती के साथ शारीरिक संबंध बनाया और जब वह गर्भवती हो गई तो आरोपी ने उसपर गर्भपात करने का दबाव बनाया. युवती ने व्यक्ति पर शादी का दबाव बनाया और गर्भपात करने से इंकार कर दिया, जिसके बाद मामले को लेकर व्यवहार न्यायालय सीतामढ़ी में एक परिवारवाद दायर किया गया और कोर्ट ने 10 साल बाद फैसला सुनाया.
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