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डिजिटल तरीके से यहां हो रहा कर्मकांड, मोबाइल का यूज कर पूजा कर रहे हैं लोग

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Published : Sep 28, 2019, 1:57 PM IST

पुजारी का कहना है कि मोबाइल के माध्यम से कराई गई पूजा भी फलदाई और कारगर होती है. आयोजन स्थल पर बैठकर पूजा करना जरूरी नहीं है. बदलते समय में लोगों के पास समय की कमी हो गई है. इस वजह से मोबाइल से पूजा लोग कराने लगे हैं.

डिजिटल तरीके से हो रहा कर्मकांड

सीतामढ़ी: बदलते वक्त के साथ डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में मोबाइल ने लोगों का काम आसान कर दिया है. स्कूलों में भी डिजिटल मीडिया के माध्यम से पढ़ाई कराई जा रही है. अब पूजा-पाठ में भी इंटरनेट का इस्तेमाल हो रहा है. जिले के मधकौल गांव के 80 से अधिक ब्राह्मण परिवार पूजा पाठ, कर्मकांड, शादी विवाह, अनुष्ठान और कर्मकांड मोबाइल के माध्यम से करा रहे हैं.

आश्विन मास कृष्ण पक्ष में प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक पितृ तर्पण की परंपरा है. इस माह में यजमान अपने मृत माता पिता और पूर्वजों को जल अर्ध दान करते हैं. पितृपक्ष में गया जी का काफी महत्व है. जो पिंडदान और तर्पण करने गयाजी नहीं जा सकते उनके लिये मोबाइल और इंटरनेट काफी मददगार साबित हो रहा है.

sitamarhi
पूर्वजों को जल तर्पण

मोबाइल के माध्यम से हो रहा पूजा-पाठ
अब ब्राह्मण मोबाइल के माध्यम से ही अपने यजमानों को जल तर्पण करा रहे हैं. पुजारी का कहना है कि मोबाइल के माध्यम से दूर देश और विदेशों में बैठे यजमान को मंत्रोच्चारण के साथ पूजा पाठ कराया जाता है. मोबाइल के माध्यम से शादी, पूजा-पाठ, पिंडदान जैसे सभी कर्म कराये जा रहे है.

सीतामढ़ी में अब डिजिटल तरीके से हो रहा पूजा-पाठ

यजमानों को हो रही सुविधा
पुजारी का कहना है कि मोबाइल के माध्यम से कराया हुआ पूजा उतना ही फलदाई और कारगर है जितना की प्रत्यक्ष रूप से आयोजन स्थल पर बैठकर पूजा करना है. विधि-विधान हो या मंत्रोच्चारण, सभी तरह का काम मोबाइल के ही माध्यम से संपन्न कराया जाता है. इससे यजमान को भी काफी सुविधा होती है.

सीतामढ़ी: बदलते वक्त के साथ डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में मोबाइल ने लोगों का काम आसान कर दिया है. स्कूलों में भी डिजिटल मीडिया के माध्यम से पढ़ाई कराई जा रही है. अब पूजा-पाठ में भी इंटरनेट का इस्तेमाल हो रहा है. जिले के मधकौल गांव के 80 से अधिक ब्राह्मण परिवार पूजा पाठ, कर्मकांड, शादी विवाह, अनुष्ठान और कर्मकांड मोबाइल के माध्यम से करा रहे हैं.

आश्विन मास कृष्ण पक्ष में प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक पितृ तर्पण की परंपरा है. इस माह में यजमान अपने मृत माता पिता और पूर्वजों को जल अर्ध दान करते हैं. पितृपक्ष में गया जी का काफी महत्व है. जो पिंडदान और तर्पण करने गयाजी नहीं जा सकते उनके लिये मोबाइल और इंटरनेट काफी मददगार साबित हो रहा है.

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पूर्वजों को जल तर्पण

मोबाइल के माध्यम से हो रहा पूजा-पाठ
अब ब्राह्मण मोबाइल के माध्यम से ही अपने यजमानों को जल तर्पण करा रहे हैं. पुजारी का कहना है कि मोबाइल के माध्यम से दूर देश और विदेशों में बैठे यजमान को मंत्रोच्चारण के साथ पूजा पाठ कराया जाता है. मोबाइल के माध्यम से शादी, पूजा-पाठ, पिंडदान जैसे सभी कर्म कराये जा रहे है.

सीतामढ़ी में अब डिजिटल तरीके से हो रहा पूजा-पाठ

यजमानों को हो रही सुविधा
पुजारी का कहना है कि मोबाइल के माध्यम से कराया हुआ पूजा उतना ही फलदाई और कारगर है जितना की प्रत्यक्ष रूप से आयोजन स्थल पर बैठकर पूजा करना है. विधि-विधान हो या मंत्रोच्चारण, सभी तरह का काम मोबाइल के ही माध्यम से संपन्न कराया जाता है. इससे यजमान को भी काफी सुविधा होती है.

Intro:आज देश में संचार क्रांति ने बदल दी है कामकाज की परिभाषा। और इसका असर समाज के सभी वर्गों के ऊपर देखा जा रहा है।Body: देश में संचार क्रांति ने हरे क्षेत्रों में आमूलचूल परिवर्तन कर दिया है। संचार तंत्र के माध्यम से अधिकांश काम आम लोगों के लिए बेहद आसान हो गया है। और किसकी सहायता से नई-नई जानकारियां भी हासिल की जा रही है। संवाद संप्रेषण का यह सबसे बड़ा माध्यम बनने के साथ ही कामकाज निपटारे में भी मददगार साबित हो रहा है। विद्यालयों या अन्य शिक्षण संस्थानों में संचार तंत्र के माध्यम से डिजिटल स्टडी भी कराया जा रहा है। चाहे वह किसी वर्ग के लोग हो सभी इसका जमकर उपयोग कर रहे हैं। अब संचार क्रांति का असर अध्यात्म और पूजा पाठ के अलावे कर्मकांड पर भी देखा जा रहा है। यह क्रांति ब्राह्मण वर्ग के लोगों के लिए भी बेहद मददगार साबित हो रहा है। जिले के मधकौल गांव में निवास करने वाले 80 से अधिक ब्राह्मण परिवार अब पूजा पाठ, कर्मकांड, शादी विवाह, अनुष्ठान सहित अन्य क्षेत्र में मोबाइल का भरपूर उपयोग कर रहे हैं। और इसका लाभ उनके यजमान तक पहुंच रहा है। इस गांव के अधिकांश ब्राह्मण परिवार दूर प्रदेश और विदेशों में बैठे अपने यजमानो को मोबाइल के माध्यम से सभी प्रकार के कर्मकांड और अनुष्ठान संपन्न करा रहे हैं। आश्विन मास कृष्ण पक्ष में प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक पितृ तर्पण की परंपरा है। इस माह में यजमान अपने मृत माता पिता और पूर्वजों को जल अर्ध दान करते हैं। उन्हें अब ब्राह्मण मोबाइल के माध्यम से ही जल तर्पण का काम निपटा रहे हैं। ब्राह्मणों का बताना है कि संचार क्रांति के कारण उनके कार्य शैली में काफी बदलाव हुआ है। और उनका काम-काज सहज और आसान हो गया है। पंडित हरिशंकर मिश्र और नागेंद्र मिश्रा बताना है कि मोबाइल के माध्यम से दूर प्रदेश और विदेशों में बैठे यजमान को जो मंत्रोच्चारण सुनाए जाते हैं। वह उतना ही फलदाई और कारगर है जितना की प्रत्यक्ष रूप से आयोजन स्थल पर बैठकर यजमान को सुनाया जाता है। विधि-विधान हो या मंत्रोच्चारण सभी तरह का काम मोबाइल के ही माध्यम से निपटाया जाता है। और इससे यजमान को भी काफी सुविधा होती है। बढ़ती आबादी और दौड़ भाग की जिंदगी में संचार क्रांति ने हर कठिन काम को सहज और आसान बना दिया है।
नोट:__ स्टोरी गुरुवार को भेजी गई थी। लेकिन डेस्क से बोला गया है कि स्क्रिप्ट दोबारा लिखकर सेंड करें। इसकी विजुअल बाइट और p2c इसी नाम से जा चुकी है। कृपया इसे जगह देने की कृपा करेंगे।Conclusion: 26 सितंबर को स्टोरी भेजी गई है इसका टाइटल है संचार क्रांति ने बदल दी कामकाज की परिभाषा और स्लग है कम्युनिकेशन वार
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