सीतामढ़ी: जिले का एकमात्र शुगर मिल में ईख पेराई सत्र 2019- 20 पूजन के बाद प्रारंभ हुआ. यह सत्र 80 से 100 दिनों का होगा. इस मौके पर मिल प्रबंधन की ओर से किसानों का बकाया लगभग 5 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया गया. मिल पर पिछले सत्र का करीब 90 करोड़ रुपये का बकाया है.
अधिकतम 100 दिनों का होगा सत्र
इस, दौरान मिल एडवाइजर ईश्वर दयाल मित्तल ने बताया कि मिल का पेराई सत्र शुरू हो चुका है. यह सत्र अधिकतम 100 दिनों का होगा. इस सत्र में मिल को 70 लाख क्विंटल गन्ने की आवश्यकता है. गन्ने की उपलब्धता के बाद व्यय किए गए क्षतिपूर्ति को पूरा किया जा सकेगा और किसानों को सही समय पर भुगतान संभव हो पाएगा. उन्होंने बताया कि लक्ष्य से कम गन्ना मिलने पर किसानों का भुगतान कर पाना संभव नहीं होगा. उन्होंने बताया कि रिकवरी का टारगेट 10 प्रतिशत प्लस है, अगर 10% रिकवरी होगी तो 7 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन होगा. मिल को रिपेयर करने में करीब 18 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं.
किसानों को 5 करोड़ बकाये का भुगतान
मिल के जीएम शशि गुप्ता ने बताया कि पेराई सत्र 2018- 19 के शुरू होने के पूर्व किसानों की बकाया राशि उनके खाते में भेज दी गई है. उन्होंने बताया कि किसानों को लगभग 5 करोड़ की राशि का भुगतान किया जा चुका है और अभी 85 करोड़ रुपए और भुगतान किया जाना बांकी है. उन्होंने बताया कि मिल के गोदाम में करीब 70 करोड़ रुपए की चीनी पड़ी हुई है. जिसकी बिक्री के लिए हाईकोर्ट में कंप्लेन फाइल किया गया है. अगर राज्य सरकार चीनी की बिक्री कर किसानों का भुगतान कर देती है, तो मिल प्रबंधन बैंक से 40 करोड़ रुपए का सॉफ्ट लोन लेकर शेष 20 करोड़ का भुगतान किसानों को कर देगी.
'सॉफ्ट लोन मिलने के आसार कम'
मिल के एडवाइजर ईश्वर दयाल मित्तल ने बताया कि वह बैंक से 40 करोड़ रुपये का सॉफ्ट लोन चाहते है. मिल का खाता एनपीए हो चुका है. ऐसी स्थिति में बैंक उन्हें लोन नहीं दे सकती. उन्होंने बताया कि मिल के संचालन के लिए चेयरमैन ओमप्रकाश धानुका ने अपनी निजी संपत्ति को बेचकर इसके संचालन को प्ररंभ कराने में जुटे हुए है. लैबलिटि अधिक होने के कारण मील को सुचारू रूप से चलाने में कई तरह की परेशानी सामने आ रही है.
बाढ़ के कारण गन्ना फसल प्रभावित
इस मसले पर मिल प्रबंधन और किसानों का कहना है कि विगत 13 जुलाई को जिले में भयानक बाढ़ आई थी. अधिकांश किसानों के खेत में लगे गन्ने की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी. जिस कारण इस सत्र में मिल को अधिकतम 30 से 35 लाख क्विंटल गन्ना मिलने की उम्मीद है. लक्ष्य से 50% कम गन्ना मिलने के वजह से न मिल का व्यय निकल पाना संभव लग रहा है और ना ही किसानों का भुगतान संभव लग रहा है. बताया जा रहा है कि सरकार की नीति के वजह से पिछले सत्र का करीब 90 करोड़ रूपया किसानों का अब तक बकाया है. जिसमें से केवल पांच करोड़ का भुगतान हो पाया है. मील का संचालन सुचारू रूप से करने के लिए किसानों का भुगतान करना बेहद आवश्यक है.