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सीतामढ़ी: प्रदेश के एकमात्र शुगर मिल में ईख पेराई सत्र 2019- 20 की शुरुआत

मिल के एडवाइजर ने बताया कि वह बैंक से 40 करोड़ रुपये का सॉफ्ट लोन चाहते हैं. मिल का खाता एनपीए हो चुका है. ऐसी स्थिति में बैंक उन्हें लोन नहीं दे सकता.

सीतामढ़ी
शुगर मिल में ईख पेराई सत्र 2019- 20 की शुरूआत
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Published : Dec 16, 2019, 1:43 PM IST

सीतामढ़ी: जिले का एकमात्र शुगर मिल में ईख पेराई सत्र 2019- 20 पूजन के बाद प्रारंभ हुआ. यह सत्र 80 से 100 दिनों का होगा. इस मौके पर मिल प्रबंधन की ओर से किसानों का बकाया लगभग 5 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया गया. मिल पर पिछले सत्र का करीब 90 करोड़ रुपये का बकाया है.

रीगा शुगर मिल
रीगा शुगर मिल

अधिकतम 100 दिनों का होगा सत्र
इस, दौरान मिल एडवाइजर ईश्वर दयाल मित्तल ने बताया कि मिल का पेराई सत्र शुरू हो चुका है. यह सत्र अधिकतम 100 दिनों का होगा. इस सत्र में मिल को 70 लाख क्विंटल गन्ने की आवश्यकता है. गन्ने की उपलब्धता के बाद व्यय किए गए क्षतिपूर्ति को पूरा किया जा सकेगा और किसानों को सही समय पर भुगतान संभव हो पाएगा. उन्होंने बताया कि लक्ष्य से कम गन्ना मिलने पर किसानों का भुगतान कर पाना संभव नहीं होगा. उन्होंने बताया कि रिकवरी का टारगेट 10 प्रतिशत प्लस है, अगर 10% रिकवरी होगी तो 7 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन होगा. मिल को रिपेयर करने में करीब 18 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं.

पेश है एक खास रिपोर्ट

किसानों को 5 करोड़ बकाये का भुगतान
मिल के जीएम शशि गुप्ता ने बताया कि पेराई सत्र 2018- 19 के शुरू होने के पूर्व किसानों की बकाया राशि उनके खाते में भेज दी गई है. उन्होंने बताया कि किसानों को लगभग 5 करोड़ की राशि का भुगतान किया जा चुका है और अभी 85 करोड़ रुपए और भुगतान किया जाना बांकी है. उन्होंने बताया कि मिल के गोदाम में करीब 70 करोड़ रुपए की चीनी पड़ी हुई है. जिसकी बिक्री के लिए हाईकोर्ट में कंप्लेन फाइल किया गया है. अगर राज्य सरकार चीनी की बिक्री कर किसानों का भुगतान कर देती है, तो मिल प्रबंधन बैंक से 40 करोड़ रुपए का सॉफ्ट लोन लेकर शेष 20 करोड़ का भुगतान किसानों को कर देगी.

ईश्वर दयाल मित्तल, मिल एडवाइजर
ईश्वर दयाल मित्तल, मिल एडवाइजर

'सॉफ्ट लोन मिलने के आसार कम'
मिल के एडवाइजर ईश्वर दयाल मित्तल ने बताया कि वह बैंक से 40 करोड़ रुपये का सॉफ्ट लोन चाहते है. मिल का खाता एनपीए हो चुका है. ऐसी स्थिति में बैंक उन्हें लोन नहीं दे सकती. उन्होंने बताया कि मिल के संचालन के लिए चेयरमैन ओमप्रकाश धानुका ने अपनी निजी संपत्ति को बेचकर इसके संचालन को प्ररंभ कराने में जुटे हुए है. लैबलिटि अधिक होने के कारण मील को सुचारू रूप से चलाने में कई तरह की परेशानी सामने आ रही है.

शशि गुप्ता,कंपनी के जीएम
शशि गुप्ता,कंपनी के जीएम

बाढ़ के कारण गन्ना फसल प्रभावित
इस मसले पर मिल प्रबंधन और किसानों का कहना है कि विगत 13 जुलाई को जिले में भयानक बाढ़ आई थी. अधिकांश किसानों के खेत में लगे गन्ने की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी. जिस कारण इस सत्र में मिल को अधिकतम 30 से 35 लाख क्विंटल गन्ना मिलने की उम्मीद है. लक्ष्य से 50% कम गन्ना मिलने के वजह से न मिल का व्यय निकल पाना संभव लग रहा है और ना ही किसानों का भुगतान संभव लग रहा है. बताया जा रहा है कि सरकार की नीति के वजह से पिछले सत्र का करीब 90 करोड़ रूपया किसानों का अब तक बकाया है. जिसमें से केवल पांच करोड़ का भुगतान हो पाया है. मील का संचालन सुचारू रूप से करने के लिए किसानों का भुगतान करना बेहद आवश्यक है.

सीतामढ़ी: जिले का एकमात्र शुगर मिल में ईख पेराई सत्र 2019- 20 पूजन के बाद प्रारंभ हुआ. यह सत्र 80 से 100 दिनों का होगा. इस मौके पर मिल प्रबंधन की ओर से किसानों का बकाया लगभग 5 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया गया. मिल पर पिछले सत्र का करीब 90 करोड़ रुपये का बकाया है.

रीगा शुगर मिल
रीगा शुगर मिल

अधिकतम 100 दिनों का होगा सत्र
इस, दौरान मिल एडवाइजर ईश्वर दयाल मित्तल ने बताया कि मिल का पेराई सत्र शुरू हो चुका है. यह सत्र अधिकतम 100 दिनों का होगा. इस सत्र में मिल को 70 लाख क्विंटल गन्ने की आवश्यकता है. गन्ने की उपलब्धता के बाद व्यय किए गए क्षतिपूर्ति को पूरा किया जा सकेगा और किसानों को सही समय पर भुगतान संभव हो पाएगा. उन्होंने बताया कि लक्ष्य से कम गन्ना मिलने पर किसानों का भुगतान कर पाना संभव नहीं होगा. उन्होंने बताया कि रिकवरी का टारगेट 10 प्रतिशत प्लस है, अगर 10% रिकवरी होगी तो 7 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन होगा. मिल को रिपेयर करने में करीब 18 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं.

पेश है एक खास रिपोर्ट

किसानों को 5 करोड़ बकाये का भुगतान
मिल के जीएम शशि गुप्ता ने बताया कि पेराई सत्र 2018- 19 के शुरू होने के पूर्व किसानों की बकाया राशि उनके खाते में भेज दी गई है. उन्होंने बताया कि किसानों को लगभग 5 करोड़ की राशि का भुगतान किया जा चुका है और अभी 85 करोड़ रुपए और भुगतान किया जाना बांकी है. उन्होंने बताया कि मिल के गोदाम में करीब 70 करोड़ रुपए की चीनी पड़ी हुई है. जिसकी बिक्री के लिए हाईकोर्ट में कंप्लेन फाइल किया गया है. अगर राज्य सरकार चीनी की बिक्री कर किसानों का भुगतान कर देती है, तो मिल प्रबंधन बैंक से 40 करोड़ रुपए का सॉफ्ट लोन लेकर शेष 20 करोड़ का भुगतान किसानों को कर देगी.

ईश्वर दयाल मित्तल, मिल एडवाइजर
ईश्वर दयाल मित्तल, मिल एडवाइजर

'सॉफ्ट लोन मिलने के आसार कम'
मिल के एडवाइजर ईश्वर दयाल मित्तल ने बताया कि वह बैंक से 40 करोड़ रुपये का सॉफ्ट लोन चाहते है. मिल का खाता एनपीए हो चुका है. ऐसी स्थिति में बैंक उन्हें लोन नहीं दे सकती. उन्होंने बताया कि मिल के संचालन के लिए चेयरमैन ओमप्रकाश धानुका ने अपनी निजी संपत्ति को बेचकर इसके संचालन को प्ररंभ कराने में जुटे हुए है. लैबलिटि अधिक होने के कारण मील को सुचारू रूप से चलाने में कई तरह की परेशानी सामने आ रही है.

शशि गुप्ता,कंपनी के जीएम
शशि गुप्ता,कंपनी के जीएम

बाढ़ के कारण गन्ना फसल प्रभावित
इस मसले पर मिल प्रबंधन और किसानों का कहना है कि विगत 13 जुलाई को जिले में भयानक बाढ़ आई थी. अधिकांश किसानों के खेत में लगे गन्ने की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी. जिस कारण इस सत्र में मिल को अधिकतम 30 से 35 लाख क्विंटल गन्ना मिलने की उम्मीद है. लक्ष्य से 50% कम गन्ना मिलने के वजह से न मिल का व्यय निकल पाना संभव लग रहा है और ना ही किसानों का भुगतान संभव लग रहा है. बताया जा रहा है कि सरकार की नीति के वजह से पिछले सत्र का करीब 90 करोड़ रूपया किसानों का अब तक बकाया है. जिसमें से केवल पांच करोड़ का भुगतान हो पाया है. मील का संचालन सुचारू रूप से करने के लिए किसानों का भुगतान करना बेहद आवश्यक है.

Intro: रीगा शुगर मिल में पूजन और किसानों के बकाया भुगतान के साथ पेराई सत्र प्रारंभ।Body: जिले के एकमात्र चीनी उद्योग रीगा शुगर मिल में सत्र 2019- 20 का पेराई सत्र पूजन के बाद प्रारंभ कर दिया गया। यह सत्र 80 से 100 दिनों का होगा इस मौके पर मिल प्रबंधन की ओर से सत्र 2018- 19 का किसानों का बकाया करीब 5 करोड़ का भुगतान भी किया गया। मिल के एडवाइजर ईश्वर दयाल मित्तल ने बताया कि गन्ने की उपलब्धता को देखते हुए यह सत्र अधिकतम 100 दिनों का होगा। इस सत्र में मिल को करीब 70 लाख क्विंटल गन्ना की आवश्यकता है। अगर इतना गन्ना मिल जाता है तो इस सत्र में जो व्यय किए गए है उसकी क्षतिपूर्ति की जा सकती है। और किसानों का भुगतान सुविधानुसार किया जा सकता है। अगर गन्ना 70 लाख क्विंटल से कम प्राप्त होता है तो वैसे हालात में किसानों का भुगतान कर पाना संभव नहीं होगा। उन्होंने बताया कि रिकवरी का टारगेट 10 प्रतिशत प्लस है। अगर 10% रिकवरी होगी तो 7 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन होगा। शुगर मिल को रिपेयर करने में करीब 18 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। उन्होंने बताया कि अगर 70 लाख क्विंटल से कम गन्ना मिलता है तो उससे मिल पर होने वाले व्यय और किसानों का भुगतान कर पाना संभव नहीं होगा।
बाइट 1. ईश्वर दयाल मित्तल। एडवाइजर रीगा शुगर मिल कालाकोट में।
बाढ़ के कारण गन्ना प्रभावित:__________
मिल प्रबंधन और किसानों का बताना है कि 13 जुलाई को जिले में आई बाढ़ की विभीषिका के कारण अधिकांश किसानों के खेत में लगे गन्ने की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी। जिस कारण इस सत्र में मिल को अधिकतम 30 से 35 लाख क्विंटल गन्ना मिलने की उम्मीद है। और 50% गन्ना कम मिल पाने के कारण मिल अपने व्यय ना ही किसानों के गन्ने का भुगतान कर पाएगी।
5 करोड़ का किया भुगतान:_________
रीगा शुगर मिल के जीएम शशि गुप्ता ने बताया कि नए पेराई सत्र के अवसर पर सत्र 2018- 19 का किसानों का जो बकाया है उसमें 5 करोड़ की राशि किसानों के खाते में भेजी गई है। अभी भी पिछले सत्र का करीब 85 करोड़ रूपया किसानों के बकाए का भुगतान करना बाकी है। उन्होंने बताया कि मिल के गोदाम में करीब 70 करोड़ रुपए की चीनी पड़ी हुई है। जिसकी बिक्री के लिए हाईकोर्ट में कंप्लेन फाइल किया गया है। अगर राज्य सरकार उस 70 करोड़ कि चीनी की बिक्री कर किसानों का भुगतान कर देती है तो मिल प्रबंधन बैंक से 40 करोड़ रुपए का सॉफ्ट लोन लेकर शेष 20 करोड़ का भुगतान किसानों को कर देगी। इसके बाद मिल सुचारू रूप से चलना शुरू कर देगी। सरकार की नीति के कारण पिछले सत्र का करीब 90 करोड़ रूपया किसानों का अब तक बकाया है। जिसमें केवल पांच करोड़ रुपया पेराई सत्र प्रारंभ के दिन भुगतान किया गया है। अगर मील का संचालन सुचारू रूप से हो इसके लिए किसानों का भुगतान करना बेहद आवश्यक है।
बाइट 2. शशि गुप्ता। जी एम रीगा शुगर मिल उजला कुर्ता गमछा और टोपी में।
नहीं मिल सकता सॉफ्ट लोन:_______
शुगर मिल के एडवाइजर ईश्वर दयाल मित्तल ने बताया कि वह बैंक से 40 करोड़ रूपया सॉफ्टलूम चाहते हैं। लेकिन शुगर मिल का खाता एनपीए हो चुका है। इस स्थिति में बैंक उन्हें सॉफ्ट लोन भी नहीं दे सकती। वहीं मिल के संचालन के लिए चेयरमैन ओमप्रकाश धानुका अपनी निजी संपत्ति को बेचकर इसके संचालन में जुटे हुए हैं। लेकिन लैबलिटि अधिक होने के कारण मील को सुचारू रूप से चलाने में कई तरह की परेशानी आरे आ रही है। सबसे ज्यादा इस आर्थिक पहलू का शिकार किसान हो रहे हैं। जिन्होंने करीब 90 करोड़ का गन्ना उपजा कर मिल को दे चुका है। लेकिन वह अपना भुगतान पाने से अब तक वंचित है। सरकार और मील की नीति के कारण किसान बेमौत मारे जा रहे हैं। जरूरत है जिले के एकमात्र संचालित उद्योग के संचालन के लिए बेहतर पहल कर इसका निदान निकाला जाए ताकि हजारों लोगों को रोजगार देने वाला यह मेल सुचारू रूप से संचालित हो और किसानों की भी दुर्दशा में बदलाव आए।
पी टू सी 3.
विजुअल 4,5,6,7,8,9Conclusion:रीगा शुगर मिल के गोदाम में करीब 1 लाख 70 हजार बोरी चीनी पिछले सत्र से परा हुआ है। जिसकी बिक्री ना तो राज्य सरकार स्वयं कर रही है ना ही इसके लिए मिल प्रबंधन को आदेश दिया जा रहा है। और इस नीति का खामियाजा 4 जिलों के करीब 40000 किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
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