सीतामढ़ी: विधान परिषद के उपसभापति डॉ. राम चंद्र पूर्वे सीतामढ़ी में शिक्षक की भूमिका में दिखे. (Deputy Chairman seen in the role of teacher in Sitamarhi). छात्रों को सफलता के लिए उन्होंने डी फोर का फार्मूला दिया- ड्रीम, डिसिप्लिन, डिटरमेशन एवं डायरेक्शन को छात्र अपना लें तो सफलता निश्चित मिलेगी. उन्होंने यह व्याख्यान सोनबरसा स्थित नंदीपत जीतू उच्च माध्यमिक विद्यालय के छात्र- छात्राओं को करियर बनाने के लिए विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने के विषय में दिया (Ramchandra Purve s classroom in Sitamarhi) .
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जीवन में सफलता के लिए अनुशासन जरूरी: डिसिप्लिन का अर्थ जीवन में सफलता के लिए अनुशासन जरूरी है. मौके पर उप सभापति ने कहा कि ड्रीम से तात्पर्य है कि जगते हुए अच्छा भविष्य बनाने का सपना देखना, डिसिप्लिन का अर्थ जीवन में सफलता के लिए अनुशासन जरूरी है. डिटरमेशन यह है कि स्वयं की पहचान बनाना एवं डायरेक्शन का मतलब है कि उचित मार्ग की ओर अग्रसर रहना है.
कामयाबी के लिए अपना लें ये मंत्र : 9 वीं एवं 10 वीं को छात्रों को पढ़ाते हुए डॉ पूर्वे ने छात्रों से आग्रह किया कि जीवन में यह मंत्र अपना लीजिए आप जरूर कामयाब होंगे. उन्होंने कहा कि निरीक्षण के दौरान पदाधिकारी को विद्यालय में क्लास लेना चाहिए चाहे कमिश्नर, जिला पदाधिकारी, बीडीओ या शिक्षा विभाग के अधिकारी कोई हो. विद्यालय के प्रधानाध्यापक को निश्चित रूप से बच्चों को पढ़ाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब में राम मनोहर लोहिया महाविद्यालय, मुजफ्फरपुर में प्रभारी प्राचार्य थे तो दो क्लास कम से कम जरूर लेते थे. पदाधिकारी एवं प्रधानाध्यापक के स्वयं क्लास लेने से शिक्षकों को प्रेरणा मिलेगी. उन्होंने कहा कि मैं जहां भी जाऊंगा छात्रों का एक वर्ग जरूर लूंगा.
तीन भागों में बांट कर करें 24 घंटे का उपयोग : डॉ. पूर्वे ने छात्रों से कहा कि 24 घंटा को तीन भागों में बांट कर सदुपयोग करें. पहला सुबह 4 बजे जग नित्य क्रिया के बाद व्यायाम करें, फिर पढ़ाई करनी चाहिए. मानसिक विकास के लिए शाम में खेल एवं संगीत अपनी रूचि के अनुसार अपनाना चाहिए. अच्छे स्वास्थ्य के लिए बच्चों को सात घंटे जरूर सोना चाहिए. स्वस्थ नींद बच्चों की सेहत के लिए आवश्यक है. छात्र डॉ पूर्वे एवं रंजना पूर्वे के पढ़ाने से काफी उत्साहित दिखे. छात्रों ने डॉ पूर्वे के दिए टिप्स को अपनाने की बात कही. वहीं इस मौके डॉ. रंजना पूर्वे ने छात्रों से कहा कि विद्यालय प्रतिदिन आने, नियमित वर्ग कक्ष में भाग लेने, अनुशासन एवं पूरे सिलेबस का सरल तरीके से अध्ययन करने से उच्च अंक प्राप्त कर सकते हैं. वहीं प्रधानाध्यापक एवं शिक्षकों से अपील की कि वे भी अपने दायित्व का निर्वहन करें. छात्र के विद्यालय में प्रवेश बाद मेन गेट में ताला बंद कर दें, छुट्टी होने पर ही खोलें.
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