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अस्पताल तो बन जाएंगे लेकिन डॉक्टरों के बिना कैसे होगा इलाज?

जिले में 11 करोड़ 50 लाख की लागत से 50 बेड का अस्पताल बनाया जा रहा है. सरकार की ओर से इस अस्पताल में चिकित्सकों के 9 पद सृजित किए गये हैं. लेकिन वर्तमान में केवल 2 ही चिकित्सक पदस्थापित है. कर्मियों का भी अधिकांश पद रिक्त है.

अस्पताल का निर्माण
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Published : Jun 21, 2019, 5:06 PM IST

Updated : Jun 28, 2019, 2:56 PM IST

सीतामढ़ी: जिले के बेलसंड अनुमंडल में 11 करोड़ 50 लाख की लागत से 50 बेड का अस्पताल बनाया जा रहा है. इसका निर्माण कार्य 2020 तक पूरा हो जायेगा. अस्पताल का निर्माण कार्य मुजफ्फरपुर की कमलपुरा कंस्ट्रक्शन कंपनी कर रही है.

इस नए भवन में 50 बेड का वार्ड, ओपीडी, इनडोर, चिकित्सक कक्ष, स्टाफ रूम, नर्स रूम, पोस्टमार्टम रूम, दवाखाना, पैथोलॉजी, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और अन्य जांच घर के अलावा स्नानागार, शौचालय. रसोईघर, स्टोर रूम, स्टाफ चेंज रूम, मेडिसिन विभाग, हड्डी रोग विभाग, दंत चिकित्सा विभाग, चक्षु विभाग, प्रसूति विभाग, शिशु विभाग सहित डायबिटीज जांच केंद्र का निर्माण कराया जा रहा है. भवन के संवेदक राम जिनिस सिंह ने बताया कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले हॉस्पिटल को पूर्ण रूप से तैयार कर विभाग को सौंप दिया जाएगा.

sitamadhi
अस्पताल निर्माण का मैप

चिकित्सक की नियुक्ति जरूरी
वहीं, इस अस्पताल निर्माण के संबंध में अनुमंडल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर के.के. सिंह से पूछताछ की गई. उन्होंने बताया कि यह नया हॉस्पिटल इस क्षेत्र के लिए वरदान साबित होगा. लेकिन तब जब इसके अनुकूल चिकित्सक और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति की जाएगी. डॉक्टर और कर्मी विहीन होने के कारण इस अस्पताल का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा. अभी वर्तमान स्थिति इतनी ज्यादा खराब है कि चिकित्सक की कमी के कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को चलाना बेहद मुश्किल हो गया है.

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अस्पताल का निर्माण

9 में से केवल 2 चिकित्सक पदस्थापित
सरकार की ओर से इस अस्पताल में चिकित्सकों का 9 पद सृजित किया गया है. लेकिन वर्तमान में केवल 2 ही चिकित्सक पदस्थापित है. कर्मियों का भी अधिकांश पद रिक्त है. इसका नतीजा है कि इस कमी का सीधा असर स्वास्थ्य सेवा पर पड़ रहा है. अब इतना बड़ा अस्पताल बिना चिकित्सक और कर्मियों का कैसे चलेगा यह ऊपर के अधिकारियों को सोचना होगा.

करोड़ों की लागत से बन रहा अस्पताल

रिक्त स्थानों को जल्द भरा जाए
जिले के सिविल सर्जन डॉ. रविंद्र कुमार ने भी यह स्वीकार किया है कि जिले में विभाग की ओर से जो चिकित्सकों का सृजित पद है, उसमें 20% पद पर ही चिकित्सक की तैनाती है. लिहाजा चिकित्सकों की कमी के कारण चिकित्सा सेवा प्रभावित हो रही है. साथ ही जो पद रिक्त हैं उसके लिए विभाग के प्रधान सचिव और जिलाधिकारी से बात की गयी है. उन्होंने यह भी बताया कि जिले में चिकित्सकों की कमी बहुत बड़ी समस्या है. इसको लेकर वह जल्द ही जिलाधिकारी से मिलेंगे और नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द शुरू हो इस दिशा में पहल करेंगे.

केवल भवन निर्माण से नहीं बदलेगी स्थिति
चिकित्सकों की कमी का दंश पूरे जिले के सभी सरकारी अस्पताल झेल रहा है. विभागीय सूत्रों के अनुसार जिले में 376 चिकित्सकों का पद सृजित है. लेकिन वर्तमान में जिले के 17 सरकारी अस्पतालों में केवल 53 डॉक्टर की तैनाती है. इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था कैसी होगी. भवन निर्माण करने और संसाधन बढ़ा देने से चिकित्सा की गुणवत्ता बेहतर नहीं हो सकती. जब तक की उसके संचालन के लिए अनुभवी चिकित्सक और कर्मियों की नियुक्ति नहीं की जाती.

सीतामढ़ी: जिले के बेलसंड अनुमंडल में 11 करोड़ 50 लाख की लागत से 50 बेड का अस्पताल बनाया जा रहा है. इसका निर्माण कार्य 2020 तक पूरा हो जायेगा. अस्पताल का निर्माण कार्य मुजफ्फरपुर की कमलपुरा कंस्ट्रक्शन कंपनी कर रही है.

इस नए भवन में 50 बेड का वार्ड, ओपीडी, इनडोर, चिकित्सक कक्ष, स्टाफ रूम, नर्स रूम, पोस्टमार्टम रूम, दवाखाना, पैथोलॉजी, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और अन्य जांच घर के अलावा स्नानागार, शौचालय. रसोईघर, स्टोर रूम, स्टाफ चेंज रूम, मेडिसिन विभाग, हड्डी रोग विभाग, दंत चिकित्सा विभाग, चक्षु विभाग, प्रसूति विभाग, शिशु विभाग सहित डायबिटीज जांच केंद्र का निर्माण कराया जा रहा है. भवन के संवेदक राम जिनिस सिंह ने बताया कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले हॉस्पिटल को पूर्ण रूप से तैयार कर विभाग को सौंप दिया जाएगा.

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अस्पताल निर्माण का मैप

चिकित्सक की नियुक्ति जरूरी
वहीं, इस अस्पताल निर्माण के संबंध में अनुमंडल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर के.के. सिंह से पूछताछ की गई. उन्होंने बताया कि यह नया हॉस्पिटल इस क्षेत्र के लिए वरदान साबित होगा. लेकिन तब जब इसके अनुकूल चिकित्सक और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति की जाएगी. डॉक्टर और कर्मी विहीन होने के कारण इस अस्पताल का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा. अभी वर्तमान स्थिति इतनी ज्यादा खराब है कि चिकित्सक की कमी के कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को चलाना बेहद मुश्किल हो गया है.

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अस्पताल का निर्माण

9 में से केवल 2 चिकित्सक पदस्थापित
सरकार की ओर से इस अस्पताल में चिकित्सकों का 9 पद सृजित किया गया है. लेकिन वर्तमान में केवल 2 ही चिकित्सक पदस्थापित है. कर्मियों का भी अधिकांश पद रिक्त है. इसका नतीजा है कि इस कमी का सीधा असर स्वास्थ्य सेवा पर पड़ रहा है. अब इतना बड़ा अस्पताल बिना चिकित्सक और कर्मियों का कैसे चलेगा यह ऊपर के अधिकारियों को सोचना होगा.

करोड़ों की लागत से बन रहा अस्पताल

रिक्त स्थानों को जल्द भरा जाए
जिले के सिविल सर्जन डॉ. रविंद्र कुमार ने भी यह स्वीकार किया है कि जिले में विभाग की ओर से जो चिकित्सकों का सृजित पद है, उसमें 20% पद पर ही चिकित्सक की तैनाती है. लिहाजा चिकित्सकों की कमी के कारण चिकित्सा सेवा प्रभावित हो रही है. साथ ही जो पद रिक्त हैं उसके लिए विभाग के प्रधान सचिव और जिलाधिकारी से बात की गयी है. उन्होंने यह भी बताया कि जिले में चिकित्सकों की कमी बहुत बड़ी समस्या है. इसको लेकर वह जल्द ही जिलाधिकारी से मिलेंगे और नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द शुरू हो इस दिशा में पहल करेंगे.

केवल भवन निर्माण से नहीं बदलेगी स्थिति
चिकित्सकों की कमी का दंश पूरे जिले के सभी सरकारी अस्पताल झेल रहा है. विभागीय सूत्रों के अनुसार जिले में 376 चिकित्सकों का पद सृजित है. लेकिन वर्तमान में जिले के 17 सरकारी अस्पतालों में केवल 53 डॉक्टर की तैनाती है. इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था कैसी होगी. भवन निर्माण करने और संसाधन बढ़ा देने से चिकित्सा की गुणवत्ता बेहतर नहीं हो सकती. जब तक की उसके संचालन के लिए अनुभवी चिकित्सक और कर्मियों की नियुक्ति नहीं की जाती.

Intro:जिले में साढ़े ग्यारह लाख की लागत से 50 बेड का बन रहा अनुमंडल अस्पताल। बिना डॉक्टर का कैसे होगा मरीजो का इलाज।


Body:जिले के बेलसंड अनुमंडल में 11 लाख 50 हजार की लागत से 50 बेड का अस्पताल बनाया जा रहा है। इसका निर्माण कार्य 2020 में पूरा हो जायेगा। इस नए भवन में 50 बेड का वार्ड, ओपीडी, इनडोर, चिकित्सक कक्ष, स्टाफ रूम, नर्स रूम, पोस्टमार्टम रूम, दवाखाना, पैथोलॉजी, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड व अन्य जांच घर के अलावे स्नानागार, शौचालय रसोईघर, स्टोर रूम, स्टाफ चेंज रूम, मेडिसिन विभाग, हड्डी रोग विभाग, दंत चिकित्सा विभाग, चक्षु विभाग, प्रसूति विभाग, शिशु विभाग सहित डायबिटीज जांच केंद्र का निर्माण कराया जा रहा है। इस निर्माण कार्य को मुजफ्फरपुर की कमलपुरा कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किया जा रहा है। इसके संवेदक राम जिनिस सिंह ने बताया कि आगामी विधानसभा चुनाव से पूर्व हॉस्पिटल को पूर्ण रूप से तैयार कर विभाग को सौंप दिया जाएगा। वही इस अस्पताल निर्माण के संबंध में जब अनुमंडल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर के के सिंह से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि यह नया हॉस्पिटल इस क्षेत्र के लिए वरदान साबित होगा। लेकिन तब जब इसके अनुकूल चिकित्सक और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की यहां नियुक्ति की जाएगी। डॉक्टर और कर्मी विहीन होने के कारण इस अस्पताल का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा। अभी वर्तमान स्थिति इतनी ज्यादा खराब है कि चिकित्सक की कमी के कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेलसंड को चलाना बेहद मुश्किल हो गया है। सरकार की ओर से इस अस्पताल में चिकित्सकों का 9 पद सृजित है। लेकिन वर्तमान में 2 चिकित्सक ही पदस्थापित है। कर्मियों का भी अधिकांश पद रिक्त है। इसका नतीजा है कि इस कमी का सीधा असर स्वास्थ्य सेवा पर पड़ रहा है। अब इतना बड़ा अस्पताल बिना चिकित्सक और कर्मियों का कैसे चलेगा यह ऊपर के अधिकारियों को सोचना होगा। जिले के सिविल सर्जन डॉ रविंद्र कुमार ने भी यह स्वीकार किया है कि जिला में विभाग की ओर से जो चिकित्सकों का सृजित पद है उसमें 20% पद पर ही चिकित्सक की तैनाती है। लिहाजा चिकित्सकों की कमी के कारण चिकित्सा सेवा प्रभावित हो रही है। जो पद रिक्त हैं उसके लिए विभाग के प्रधान सचिव व जिलाधिकारी से पत्राचार किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि जिले में चिकित्सकों की कमी बहुत बड़ी समस्या है। इसको लेकर वह जल्द ही जिलाधिकारी से मिलेंगे और नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द शुरू हो इस दिशा में पहल करेंगे। बाइट-1. डॉक्टर रविंद्र कुमार। सिविल सर्जन सीतामढ़ी।( लाल शर्ट में।) डॉक्टर के के सिंह। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी अनुमंडल अस्पताल बेलसंड। ( ब्लू शर्ट में) विजुअल-------1.


Conclusion:चिकित्सकों की कमी का दंश पूरे जिले का सभी सरकारी अस्पताल झेल रहा है। विभागीय सूत्रों के अनुसार जिले में 376 चिकित्सकों का पद सृजित है। लेकिन वर्तमान में जिले के 17 सरकारी अस्पतालों में केवल 53 डॉक्टर की तैनाती है। तो आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था कैसी होगी। भवन निर्माण करने और संसाधन बढ़ा देने से चिकित्सा की गुणवत्ता बेहतर नहीं हो सकती। जब तक की उसके संचालन के लिए अनुभवी चिकित्सक और कर्मियों की नियुक्ति नहीं की जाती।
Last Updated : Jun 28, 2019, 2:56 PM IST
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