सीतामढ़ी: मानसून की दस्तक के साथ बिहार में बाढ़ का खतरा गहराने लगा है. सरकार लगातार जिला प्रशासन को अलर्ट पर रहने का निर्देश दे रही है. वहीं, बारिश के कारण जिले से गुजरने वाली कई नदियों के जलस्तर में लगातार बढोतरी हो रही है. इसे देखते हुए जिलाधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा ने सभी तटबंधों की मरम्मती का आदेश दिया है. लेकिन कार्यों में लापरवाही की शिकायतें मिल रही हैं.
दरअसल, डीएम के आदेश के बाद तटबंधों की मरम्मती का काम शुरू कर दिया गया है. लेकिन, मरम्मत कार्य सही तरीके से नहीं किया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक संवेदक की ओर से इस काम में धांधली कर लूट-खसोट किया जा रहा है. इस लापरवाही का खामियाजा एकबार फिर आमजनों को भुगतना पड़ेगा.
बड़े पैमाने पर बरती जा रही लापरवाही
बागमती अवर प्रमंडल की ओर से मरम्मती कार्य में ईसी बैग के उपयोग का आदेश दिया गया है, जिससे तटबंधों में बने रेन कट, सुरंग और कटाव को रोका जा सके. इसके लिए दुरुस्त और बढ़िया बोरे में 50 केजी मिट्टी डालकर ईसी बैग तैयार करना है. लेकिन संवेदक सीमेंट के पुराने फटे जर्जर बोरे का उपयोग कर रहा है. जिसमें केवल 15 से 20 केजी ही मिट्टी डाले जा रहे हैं. ये बोरे रेन कट को दुरुस्त करने और कटाव को रोकने के लिए कारगर साबित नहीं होंगे.
मजदूरों ने दी जानकारी
बोरे में मिट्टी डालने का काम कर रहे मजदूरों का कहना है कि विभाग की ओर से मिट्टी का जितना वजन निर्धारित किया गया है, उतना इस फटे और सड़े बोरे में नहीं डाला जा रहा है. इस संबंध में पूछने पर संवेदक के मुंशी मुनेश्वर बैठा ने बताया कि संवेदक की ओर से उन्हें यही फटे-पुराने बोरे दिए गए हैं. जिसमें वे मिट्टी भर रहे हैं. उन्होंने भी माना कि काम के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है.
अभियंता दे रहे अलग दलील
धांधली और घोटाले पर बागमती अवर प्रमंडल के कनीय अभियंता ललन यादव ने बताया कि बाढ़ के दौरान ईसी बैग बनाने के लिए बोरा और अन्य सामानों की खरीदी पटना से की जाती है. वहां से डिवीजन को डिमांड के अनुसार आपूर्ति की जाती है. इसलिए खराब बोरा उपलब्ध कराने के लिए आपूर्ति करने वाली एजेंसी जिम्मेदार है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि बोरे में सरकार की ओर से निर्धारित वजन के अनुसार ही मिट्टी का भराव किया जा रहा है.