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सीतामढ़ी: बंद हो गया रीगा चीनी मिल, प्रबंधन बोला- अब नहीं चला सकता

जीएम शशि गुप्ता ने बताया कि शुगर मिल की डिस्टलरी को बेहतर तरीके से चलाने की योजना बनाई गई है, क्योंकि डिस्टलरी में इथेनॉल का उत्पादन होता है. लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसके संचालन में भी कई तरह की बाधा सामने आ रही है.

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Published : Aug 4, 2020, 7:05 PM IST

सीतामढ़ी
सीतामढ़ी

सीतामढ़ी: 1950 से संचालित जिले का एकमात्र उद्योग रीगा चीनी मिल के संचालक ओमप्रकाश धानुका ने आर्थिक विसंगतियों के कारण चीनी मिल को बंद कर देने की घोषणा की है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में रीगा चीनी मिल के सीएमडी ओमप्रकाश धानका ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चीनी मील को आर्थिक मदद नहीं दी जा रही है और ना ही बकाए पैसे का भुगतान किया जा रहा है.

इस कारण मील का संचालन कर पाना मुश्किल हो गया है. इसलिए मैंने फैसला लिया है कि मिल को बंद कर दिया जाएगा, क्योंकि मेरे पास अब पैसे नहीं है कि मैं कर्मचारियों का वेतन दे सकूं और किसानों के बकाए पैसे का भुगतान कर सकू. इसलिए मैंने निर्णय लिया है कि मिल को अस्थाई रूप से बंद कर दिया जाए.

sitamarhi
रीगा चीनी मिल हुआ बंद

केंद्र और राज्य सरकार कर रही भेदभाव
चीनी मिल के संचालक और महाप्रबंधक ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार रीगा चीनी मिल के साथ भेदभाव कर रही है. इसके अलावा प्राकृतिक आपदा के कारण चीनी मिल को जो भारी क्षति होती है. इसकी भरपाई भी सरकार के स्तर पर नहीं की जाती है. वहीं चीनी की बिक्री के बाद मिलने वाले अनुदान की राशि करीब 15 करोड़ रूपया राज्य सरकार के पास बकाया है. जिसका भुगतान आज तक नहीं किया गया है.

इसलिए आर्थिक विसंगतियों के कारण गन्ना किसानों के बकाए राशि का भुगतान भी लंबित है और कर्मचारियों के वेतन भुगतान में भी कठिनाई आ रही है. अगर राज्य और केंद्र सरकार चीनी मिल को आर्थिक सहायता नहीं करेगी, तो इस मील को चला पाना बेहद मुश्किल है. इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि मिल को सहायता नहीं मिल पाने के कारण इसे बंद कर दिए जाएं.

देखें पूरी रिपोर्ट

मिल को उठानी पड़ रही आर्थिक क्षति
जीएम शशि गुप्ता ने बताया कि शुगर मिल की डिस्टलरी को बेहतर तरीके से चलाने की योजना बनाई गई है, क्योंकि डिस्टलरी में इथेनॉल का उत्पादन होता है. लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसके संचालन में भी कई तरह की बाधा सामने आ रही है.

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शशि गुप्ता, जीएम, रीगा चीनी मिल

वहीं सीएमडी ओम प्रकाश धानुका ने आरोप लगाया है कि राज्य और केंद्र सरकार के अलावा मिल में कार्यरत कुछ कर्मियों द्वारा फर्जी यूनियन बनाकर अवैध तरीके से चीनी मिल का आर्थिक शोषण कर लिया गया है, वैसे कर्मचारी दीमक की तरह चीनी मिल को आर्थिक रूप से चाट गए हैं. जब तक उन्हें काम से निकाला नहीं जाएगा, तब तक चीनी मिल को चला पाना और ज्यादा मुश्किल है. ऐसे फर्जी यूनियन वाले कर्मियों के द्वारा बार बार मिल के संचालन में बाधा पहुंचाई जाती है. इसलिए मील का संचालन सुचारु रुप से नहीं हो पाने के कारण मिल को प्रतिवर्ष भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है.

सीतामढ़ी: 1950 से संचालित जिले का एकमात्र उद्योग रीगा चीनी मिल के संचालक ओमप्रकाश धानुका ने आर्थिक विसंगतियों के कारण चीनी मिल को बंद कर देने की घोषणा की है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में रीगा चीनी मिल के सीएमडी ओमप्रकाश धानका ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चीनी मील को आर्थिक मदद नहीं दी जा रही है और ना ही बकाए पैसे का भुगतान किया जा रहा है.

इस कारण मील का संचालन कर पाना मुश्किल हो गया है. इसलिए मैंने फैसला लिया है कि मिल को बंद कर दिया जाएगा, क्योंकि मेरे पास अब पैसे नहीं है कि मैं कर्मचारियों का वेतन दे सकूं और किसानों के बकाए पैसे का भुगतान कर सकू. इसलिए मैंने निर्णय लिया है कि मिल को अस्थाई रूप से बंद कर दिया जाए.

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रीगा चीनी मिल हुआ बंद

केंद्र और राज्य सरकार कर रही भेदभाव
चीनी मिल के संचालक और महाप्रबंधक ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार रीगा चीनी मिल के साथ भेदभाव कर रही है. इसके अलावा प्राकृतिक आपदा के कारण चीनी मिल को जो भारी क्षति होती है. इसकी भरपाई भी सरकार के स्तर पर नहीं की जाती है. वहीं चीनी की बिक्री के बाद मिलने वाले अनुदान की राशि करीब 15 करोड़ रूपया राज्य सरकार के पास बकाया है. जिसका भुगतान आज तक नहीं किया गया है.

इसलिए आर्थिक विसंगतियों के कारण गन्ना किसानों के बकाए राशि का भुगतान भी लंबित है और कर्मचारियों के वेतन भुगतान में भी कठिनाई आ रही है. अगर राज्य और केंद्र सरकार चीनी मिल को आर्थिक सहायता नहीं करेगी, तो इस मील को चला पाना बेहद मुश्किल है. इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि मिल को सहायता नहीं मिल पाने के कारण इसे बंद कर दिए जाएं.

देखें पूरी रिपोर्ट

मिल को उठानी पड़ रही आर्थिक क्षति
जीएम शशि गुप्ता ने बताया कि शुगर मिल की डिस्टलरी को बेहतर तरीके से चलाने की योजना बनाई गई है, क्योंकि डिस्टलरी में इथेनॉल का उत्पादन होता है. लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसके संचालन में भी कई तरह की बाधा सामने आ रही है.

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शशि गुप्ता, जीएम, रीगा चीनी मिल

वहीं सीएमडी ओम प्रकाश धानुका ने आरोप लगाया है कि राज्य और केंद्र सरकार के अलावा मिल में कार्यरत कुछ कर्मियों द्वारा फर्जी यूनियन बनाकर अवैध तरीके से चीनी मिल का आर्थिक शोषण कर लिया गया है, वैसे कर्मचारी दीमक की तरह चीनी मिल को आर्थिक रूप से चाट गए हैं. जब तक उन्हें काम से निकाला नहीं जाएगा, तब तक चीनी मिल को चला पाना और ज्यादा मुश्किल है. ऐसे फर्जी यूनियन वाले कर्मियों के द्वारा बार बार मिल के संचालन में बाधा पहुंचाई जाती है. इसलिए मील का संचालन सुचारु रुप से नहीं हो पाने के कारण मिल को प्रतिवर्ष भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है.

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