सीतामढ़ी: कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश में लॉक डाउन घोषित है. इससे लोगों की काफी परेशानी बढ़ गई है. जिले के बेलसंड नगर पंचायत के वार्ड नंबर एक में 300 महादलित परिवार रहते हैं. इस मुसहर टोला में करीब 1300 मतदाता हैं. लेकिन लॉक डाउन घोषित होने के बाद से इन सभी परिवारों का हाल बेहाल है. इनके पास न तो खाने के लिए राशन और न ही दवा के लिए पैसा है. इस बस्ती के लोग खाद्य सामग्री के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं.
सीतामढ़ी के बेलसंड नगर पंचायत के वार्ड नंबर एक के महादलित बस्ती में रहने वाले सभी परिवार अशिक्षित भूमिहीन हैं, इसलिए इनको ज्यादा परेशानी हो रही है. सरकार और जिला प्रशासन की ओर से सभी जगहों पर कोरोना महामारी को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन इस बस्ती में निवास करने वाला सभी परिवार कोरोना वायरस के खतरे से अनभिज्ञ हैं. लॉक डाउन के वजह से ये परिवार अपनी बस्ती से बाहर तो नहीं निकल रहे हैं. लेकिन सामाजिक दूरी के संबंध में इन्हें कुछ भी पता नहीं है. यहां अभी तक कोई भी प्रतिनिधि और समाजिक संगठन ने कोरोना को लेकर जागरूकता अभियान और मदद के लिए नहीं पहुंचे हैं.
'सरकार की ओर से अभी तक कोई मदद नहीं'
वार्ड नंबर एक रहने वाले महेश मांझी ने बताया कि सामान्य दिनों में इस बस्ती के सभी परिवार बाहर मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण कर लेते थे. लेकिन लॉक डाउन के बाद से सभी महादलित परिवार घरों में रहकर लॉक डाउन का अनुपालन कर रहे हैं. लेकिन सरकार की ओर से इन गरीब परिवारों को किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं दी जा रही है, लिहाजा इन लोगों के सामने खाने पीने की समस्या गंभीर बनी हुई है. साथ ही बीमार लोगों के दवा के लिए पैसे भी नहीं है. ऐसे में जीवन जीना मुश्किल हो रहा है.
'महादलित बस्ती में जागरूकता अभियान है जरूरी'
चिकित्सा से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के तरफ से चलाई जा रही जागरूकता अभियान का सबसे ज्यादा जरूरत इसी प्रकार की महादलित बस्ती में है, जो लोगों के लिए कारगर साबित होगा. जरूरत है ऐसे बस्तियों को चिन्हित कर अशिक्षित और गरीब लोगों के बीच इस महामारी के संबंध में जागरूकता अभियान चलाया जाए. उन्हें इस महामारी से बचने के लिए सरकारी सहायता के रूप में खाद्यान्न के साथ-साथ स्वच्छता बनाए रखने और सुरक्षित रहने के लिए साबुन, सैनिटाइजर ,मास्क सहित अनावश्यक चीजें मुहैया कराई जाए.