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ऐतिहासिक है सीतामढ़ी का जानकी मंदिर, प्रॉपर्टी की अवैध बिक्री का लगा आरोप

गंभीर आरोप लगाते हुए स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे मंदिर के विकास की दिशा में कोई काम नहीं किया जा रहा है इसलिए मां जगत जननी की यह स्थली पर्यटकों के लिए उदासीन बनी हुई है. महंत मंदिर परिसर में स्थित अन्य देवी-देवताओं के स्थलों को मुंह बोले दाम पर दूसरे पुजारियों के हवाले कर रहे हैं.

सीतामढ़ी से खास रिपोर्ट
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Published : Dec 6, 2019, 9:41 PM IST

सीतामढ़ी: मां सीता की जन्म स्थली सीतामढ़ी के प्रसिद्ध जानकी मंदिर के महंत पर मंदिर की भूमि और संपत्ति में गड़बड़ी करने का आरोप स्थानीय लोगों ने लगाया है. इस मामले को लेकर स्थानीय लोगों और महंत के बीच सियासत तेज हो गई है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि महंत वंशवाद का नाजायज फायदा उठाते हुए मंदिर की भूमि और सैकड़ों दुकानों से आने वाले राशि का बंदरबांट कर रहे हैं. आरोप है कि नाम बदलकर मंदिर की संपत्ति को बेचा जा रहा है.

गंभीर आरोप लगाते हुए स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे मंदिर के विकास की दिशा में कोई काम नहीं किया जा रहा है इसलिए मां जगत जननी की यह स्थली पर्यटकों के लिए उदासीन बनी हुई है. महंत मंदिर परिसर में स्थित अन्य देवी-देवताओं के स्थलों को मुंह बोले दाम पर दूसरे पुजारियों के हवाले कर रहे हैं. हालांकि, स्थानीय दुकानदारों और महंत के बीच प्रॉपर्टी विवाद को लेकर स्थानीय न्यायालय में मामला भी दायर है.

सीतामढ़ी से खास रिपोर्ट

क्या बोले महंत...
इस संबंध में पूछे जाने पर महंत विनोद दास ने बताया कि मंदिर का इतिहास 1599 से जुड़ा है. 1599 में उनके वंशज और पूर्वज हीरा राम दास ने मां सीता की जन्म स्थली को खोजा था. इसके बाद से उनकी यह 12वीं पीढ़ी है, जो महंत के पदों पर आसीन होते आ रही है. मंदिर से जुड़े जानकारों का कहना है कि 1599 में जब जानकी स्थान की खोज हुई थी, उसके बाद दरभंगा के महाराज श्री नरपत सिंह देव जी ने मां जगत जननी सीता की सेवा के लिए करीब 51 सौ एकड़ भूमि दान में दी थी. जो अब मात्र 30 एकड़ में सिमट कर रह गई है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि महंत ने औने-पौने दामों में मंदिर की भूमि को निजी आदमी के हाथों बेच दी है.

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महंत विनोद दास का कहना है कि मंदिर की पूरी संपत्ति बरकरार है. उन्हे और उनके पूर्वजों को सरकार द्वारा सीलिंग एक्ट के तहत जो भूमि दी गई है. उस पर करीब 200 दुकानें संचालित हो रही हैं. जिसके किराएदार भाड़ा बढ़ाने की बात पर इनके साथ अभद्र व्यवहार करते हैं. अपनी मनमर्जी से उस किराए की दुकान में अवैध निर्माण भी कर रहे हैं. जिसको रोकने का प्रयास किया जाता है, तो किराएदार मारपीट और गाली-गलौज करते हैं. इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच मां जगत जननी सीता की संपत्ति का अस्तित्व दांव पर लगा हुआ है.

होगी कार्रवाई
हालांकि, इस गड़बड़ी को लेकर स्थानीय लोगों के द्वारा जिला अधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी से भी लिखित शिकायत कई बार की जा चुकी है. लेकिन अब तक इसका समाधान नहीं हो पाया है. जिले के सभी समुदाय के लोग यह चाहते हैं कि मंदिर में वंशवाद की परंपरा को समाप्त कर मां जगत जननी सीता की स्थली को सुरक्षित और संरक्षित रखने की दिशा में प्रयास किया जाए. इस संबंध में पूछे जाने पर जिला अधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा ने बताया कि मां जगत जननी सीता की जन्म भूमि से जुड़ा यह मामला है. इसकी जांच के लिए टीम गठित की जाएगी और एक-एक बिंदु पर जांच कराई जाएगी. अगर मंदिर की संपत्ति में किसी प्रकार से गड़बड़ी पाई गई, तो इसके लिए जो भी जिम्मेवार व्यक्ति हैं. उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

सीतामढ़ी: मां सीता की जन्म स्थली सीतामढ़ी के प्रसिद्ध जानकी मंदिर के महंत पर मंदिर की भूमि और संपत्ति में गड़बड़ी करने का आरोप स्थानीय लोगों ने लगाया है. इस मामले को लेकर स्थानीय लोगों और महंत के बीच सियासत तेज हो गई है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि महंत वंशवाद का नाजायज फायदा उठाते हुए मंदिर की भूमि और सैकड़ों दुकानों से आने वाले राशि का बंदरबांट कर रहे हैं. आरोप है कि नाम बदलकर मंदिर की संपत्ति को बेचा जा रहा है.

गंभीर आरोप लगाते हुए स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे मंदिर के विकास की दिशा में कोई काम नहीं किया जा रहा है इसलिए मां जगत जननी की यह स्थली पर्यटकों के लिए उदासीन बनी हुई है. महंत मंदिर परिसर में स्थित अन्य देवी-देवताओं के स्थलों को मुंह बोले दाम पर दूसरे पुजारियों के हवाले कर रहे हैं. हालांकि, स्थानीय दुकानदारों और महंत के बीच प्रॉपर्टी विवाद को लेकर स्थानीय न्यायालय में मामला भी दायर है.

सीतामढ़ी से खास रिपोर्ट

क्या बोले महंत...
इस संबंध में पूछे जाने पर महंत विनोद दास ने बताया कि मंदिर का इतिहास 1599 से जुड़ा है. 1599 में उनके वंशज और पूर्वज हीरा राम दास ने मां सीता की जन्म स्थली को खोजा था. इसके बाद से उनकी यह 12वीं पीढ़ी है, जो महंत के पदों पर आसीन होते आ रही है. मंदिर से जुड़े जानकारों का कहना है कि 1599 में जब जानकी स्थान की खोज हुई थी, उसके बाद दरभंगा के महाराज श्री नरपत सिंह देव जी ने मां जगत जननी सीता की सेवा के लिए करीब 51 सौ एकड़ भूमि दान में दी थी. जो अब मात्र 30 एकड़ में सिमट कर रह गई है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि महंत ने औने-पौने दामों में मंदिर की भूमि को निजी आदमी के हाथों बेच दी है.

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महंत विनोद दास का कहना है कि मंदिर की पूरी संपत्ति बरकरार है. उन्हे और उनके पूर्वजों को सरकार द्वारा सीलिंग एक्ट के तहत जो भूमि दी गई है. उस पर करीब 200 दुकानें संचालित हो रही हैं. जिसके किराएदार भाड़ा बढ़ाने की बात पर इनके साथ अभद्र व्यवहार करते हैं. अपनी मनमर्जी से उस किराए की दुकान में अवैध निर्माण भी कर रहे हैं. जिसको रोकने का प्रयास किया जाता है, तो किराएदार मारपीट और गाली-गलौज करते हैं. इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच मां जगत जननी सीता की संपत्ति का अस्तित्व दांव पर लगा हुआ है.

होगी कार्रवाई
हालांकि, इस गड़बड़ी को लेकर स्थानीय लोगों के द्वारा जिला अधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी से भी लिखित शिकायत कई बार की जा चुकी है. लेकिन अब तक इसका समाधान नहीं हो पाया है. जिले के सभी समुदाय के लोग यह चाहते हैं कि मंदिर में वंशवाद की परंपरा को समाप्त कर मां जगत जननी सीता की स्थली को सुरक्षित और संरक्षित रखने की दिशा में प्रयास किया जाए. इस संबंध में पूछे जाने पर जिला अधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा ने बताया कि मां जगत जननी सीता की जन्म भूमि से जुड़ा यह मामला है. इसकी जांच के लिए टीम गठित की जाएगी और एक-एक बिंदु पर जांच कराई जाएगी. अगर मंदिर की संपत्ति में किसी प्रकार से गड़बड़ी पाई गई, तो इसके लिए जो भी जिम्मेवार व्यक्ति हैं. उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

Intro:मां सीता की जन्म स्थली जानकी मंदिर के महंत पर मंदिर की भूमि और संपत्ति में गड़बड़ी करने का स्थानीय लोगों ने लगाया आरोप।Body:एक ओर अयोध्या में राम जन्मभूमि को संरक्षित और सुरक्षित करने के लिए केंद्र से लेकर राज्य तक प्रयास किए जा रहे हैं। और उसकी उन्नति और विकास के लिए कई योजनाएं बनाई गई है ताकि श्री रामचंद्र की उस पावन भूमि को सुरक्षित और संरक्षित रखा जाए। वहीं दूसरी ओर उनकी धर्मपत्नी मां जगत जननी सीता की जन्म स्थली जानकी स्थान में मंदिर की भूमि और वहां की संपत्ति को बंदरबांट करने का मामला प्रकाश में आया है।और इस मामले को लेकर स्थानीय लोगों और महंत के बीच सियासत तेज हो गई है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि महंत वंशवाद का नाजायज फायदा उठाते हुए मंदिर की भूमि और सैकड़ों दुकानों से आने वाले राशि का बंदरबांट कर रहे हैं। और अपना नाम बदलकर मंदिर की संपत्ति को बेच रहे हैं। लेकिन मंदिर के विकास की दिशा में कोई काम नहीं किया जा रहा है। इसलिए मां जगत जननी की यह स्थली पर्यटकों के लिए उदासीन बनी हुई है। वही महंत के द्वारा मंदिर परिसर में स्थित अन्य देवी-देवताओं के स्थलों को मुंह बोले दाम पर दूसरे पुजारियों के हवाले कर दिया गया है।
हालांकि स्थानीय दुकानदारों और महंत के बीच प्रॉपर्टी विवाद को लेकर स्थानीय न्यायालय में मामला भी दायर है। इस संबंध में पूछे जाने पर महंत विनोद दास ने बताया कि मंदिर का इतिहास 1599 से जुड़ा है। 1599 में उनके वंशज और पूर्वज श्री हीरा राम दास जी के द्वारा सीता की जन्म स्थली का खोज किया गया था। जिसके बाद से उनकी यह 12वीं पीढ़ी है जो महंत के पदों पर आसीन होते आ रहे हैं। मंदिर से जुड़े जानकारों का बताना है कि 1599 में जब जानकी स्थान की खोज हुई थी उसके बाद दरभंगा के महाराज श्री नरपत सिंह देव जी के द्वारा मां जगत जननी सीता की सेवा के लिए करीब 51 सौ एकड़ भूमि दान में दी गई थी। जिसमें अब मात्र 30 एकड़ भूमि ही बची हुई है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि महंत द्वारा औने पौने दामों में मंदिर की भूमि को निजी आदमी के हाथों बेच दी गई है। लेकिन महंत विनोद दास का बताना है कि मंदिर की सभी संपत्ति बरकरार है। उन्हे और उनके पूर्वजों को सरकार द्वारा सीलिंग एक्ट के तहत जो भूमि दी गई है। उस पर करीब 200 दुकानें संचालित हो रही है जिसके किराएदार भाड़ा बढ़ाने की बात पर इनके साथ अभद्र व्यवहार करते हैं और अपनी मनमर्जी से उस किराए की दुकान में अवैध निर्माण भी कर रहे हैं। जिसको रोकने का प्रयास किया जाता है तो किराएदार के द्वारा मारपीट गाली-गलौज किया जाता है। इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच मां जगत जननी सीता की संपत्ति का अस्तित्व दांव पर लगा हुआ है।
हालांकि इस गड़बड़ी को लेकर स्थानीय लोगों के द्वारा जिला अधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी से भी लिखित शिकायत कई बार की जा चुकी है। लेकिन अब तक इसका समाधान नहीं हो पाया है। जिले के सभी समुदाय के लोग यह चाहते हैं कि मंदिर में वंशवाद की परंपरा को समाप्त कर मां जगत जननी सीता की स्थली को सुरक्षित और संरक्षित रखने की दिशा में प्रयास किया जाए।
इस संबंध में पूछे जाने पर जिला अधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा ने बताया कि मां जगत जननी सीता की जन्म भूमि से जुड़ा यह मामला है। इसकी जांच के लिए टीम गठित की जाएगी और एक-एक बिंदु पर जांच कराई जाएगी। अगर मंदिर की संपत्ति में किसी प्रकार से गड़बड़ी पाई गई तो इसके लिए जो भी जिम्मेवार व्यक्ति हैं उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बाइट 1. मोहम्मद फारुख। स्थानीय व्यवसाई सीतामढ़ी चश्मा में।
बाइट 2. आलोक कुमार। जिला अध्यक्ष विश्व हिंदू परिषद सह जानकी जन्मोत्सव आयोजन समिति के जिला अध्यक्ष हाफ स्वेटर में।
बाइट 3. महंत विनोद दास। जानकी स्थान सीतामढ़ी उजला शॉल में सोफा पर बैठे हुए।
बाइट 4 अभिलाषा कुमारी शर्मा। जिला अधिकारी सीतामढ़ी।
पी टू सी 5.
विजुअल 6,7,8,9,10,11,12,13Conclusion:पी टू सी :_राहुल देव सोलंकी। सीतामढ़ी।
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