सीतामढ़ीः जिले में लगातार भारी बारिश से आम जनजीवन काफी प्रभावित है. अत्यधिक बारिश से किसानों के खेतों में जरुरत से ज्यादा जलजमाव हो गया है. धान, सब्जी और अन्य फसल पूरी तरह बर्बाद हो गया है. वहीं, अत्यधिक बारिश होने के कारण नदियों के जलस्तर में भी वृद्धि जारी है. जिससे जिलावासियों को अब भीषण बाढ़ का खतरा भी सता रहा है. पीड़ित किसान राजू सिंह का कहना है कि पिछले साल से बार-बार आ रही प्राकृतिक आपदा ने किसानों की कमर तोड़ दी है.
मौसम विभाग के जारी अलर्ट के बाद से जिले में लगातार भारी बारिश हो रही है. नेपाल से निकलने वाली बागमती नदी ढेंग गांव के समीप खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. वहीं, इस नदी का जलस्तर सोनाखान, डूबा घाट और चंदौली घाट के समीप काफी तेजी से बढ़ रहा है. कटौझा के पास नदी लगातार कई दिनों से खतरे के निशान से ऊपर है. इसके अलावा ललबेकिया नदी के जलस्तर में भी लगातार वृद्धि जारी है. नदियों के जल स्तर में वृद्धि से जिलावासी काफी डरे सहमे हैं.
बारिश के कारण महंगी हुई सब्जी
भारी बारिश के कारण खेत में लगी सब्जी की फसल पूरी तरह खराब हो गई है. इसलिए हरी सब्जी मिलना मुश्किल हो रहा है. मजबूरन लोग केला, आलू, चना, सोयाबीन जैसी सब्जियों का उपयोग कर रहे हैं. खेतों में सब्जी की फसल बर्बाद हो जाने के कारण 20 से 25 रुपये प्रति दर्जन बिकने वाला कच्चा केला 40 से 50 रुपये दर्जन बिक्री हो रहा है. वहीं आलू के दामों में भी काफी वृद्धि होने से किसानों के थाली में हरी सब्जी नसीब नहीं हो रहा है. केला विक्रेता जयप्रकाश कुमार ने बताया कि हरी सब्जी नहीं मिलने के कारण कच्चे केले की कीमतों में तेजी आई है. इसलिए 10 रुपये का दो पीस केला बिक रहा है.
अलर्ट मोड पर जिला प्रशासन
जिलाधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा ने सभी प्रखंडों के अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रहने का निर्देश दिया है. ताकि बारिश से होने वाली तबाही और जान माल की क्षति को रोका सके. वहीं, डीएम ने जिला वासियों से बारिश के दौरान घरों में सुरक्षित रहने की अपील की है. बता दें कि पिछले साल 13 जुलाई को जिले में भीषण बाढ़ आई थी. 17 प्रखंडों की 42 लाख आबादी को तबाही झेलनी पड़ी थी. वहीं, इस साल फरवरी से लेकर मई माह तक बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि का सामना करना पड़ा. जिससे जिले के किसानों को भारी क्षति उठानी पड़ी. वहीं, बारिश की वजह से धान और सब्जी की फसल तबाह हो गई है.