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सीतामढ़ी: असामाजिक तत्वों का अड्डा बना सरकारी बस स्टैंड, यात्रियों को हो रही परेशानी

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Published : Nov 30, 2019, 2:01 PM IST

लोगों की मानें तो सरकारी बस पड़ाव कि ऐसी स्थिति निजी बस के एजेंट द्वारा बनाई गई है क्योंकि कई बार सरकारी बस के कर्मियों के साथ निजी बस के एजेंट द्वारा मारपीट की घटना को अंजाम देकर दहशत पैदा किया गया है. इसलिए सरकारी बस के कर्मी अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं और इसका परिचालन चंदौली बांध से करते हैं.

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असामाजिक तत्वों का अड्डा बना सरकारी बस स्टैंड

सीतामढ़ी: जिले के बेलसंड अनुमंडल की करीब आठ लाख की आबादी के लिए सरकार ने बस पड़ाव की सुविधा साल 2016 के दिसंबर में बहाल कराई गई. लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी इस बस स्टैंड का लाभ ना तो बस ठहराव के लिए सरकारी बस कर्मियो को मिल पा रहा है और न ही यात्रियों को. लिहाजा यह बस स्टैंड मवेशियों का चारागाह बना हुआ है. शाम ढलते ही यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगता है.

पिछले तीन सालों में इस डेढ़ करोड़ की लागत से बने भवन से चोरों ने विद्युत आपूर्ति के लिए लगाए गए उपकरण, जलापूर्ति के लिए लगाए गए पाइपलाइन के अलावा अन्य सामानों पर हाथ साफ कर लिया. वहीं देखरेख के अभाव में इसके खिड़की और दरवाजे में लगे कांच के पल्ले भी तोड़ टूट चुके हैं. स्थानीय लोगों द्वारा इस भवन का उपयोग गोदाम के रूप में किया जाता है.

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सरकारी बस स्टैंड की स्थिति बदहाल

असामाजिक तत्वों का अड्डा बना सरकारी बस स्टैंड
बता दें कि 24 दिसंबर 2016 को नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा डेढ़ करोड़ 40 लाख की लागत से इस बस स्टैंड का निर्माण कराया गया जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तत्कालीन नगर विकास एवं आवास मंत्री महेश्वर हजारी ने किया था. तब से यह भवन आम लोगों को मुंह चिढ़ा रहा है. इस बस पड़ाव का आम यात्रियों के लिए कोई औचित्य नहीं रह गया है.

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सीएम नीतीश कुमार और तत्कालीन नगर विकास एवं आवास मंत्री ने किया था बस स्टैंड का उद्घाटन

प्रशासन बेसुध
बेलसंड अनुमंडल से प्रतिदिन बिहार राज्य पथ परिवहन की 3 बसें पटना के लिए प्रस्थान करती हैं जिसमें प्रतिदिन करीब 300 यात्री सफर करते हैं. लेकिन इस बस का संचालन बस पड़ाव से नहीं करके वहां से डेढ़ किलोमीटर दूर चंदौली बांध से किया जा रहा है. बस पड़ाव की इस दुर्दशा पर ना तो जिला प्रशासन का ध्यान जाता है ना ही नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी का. लिहाजा इस डेढ़ करोड़ के भवन में गाय, भैंस, बकरी के अलावे चरवाहा और असामाजिक तत्व आराम फरमाते हैं.

जानकारी देते स्थानीय और अंचलाधिकारी

अंधेरे का फायदा उठाकर अपराधी वारदात को देते हैं अंजाम
इसके अंदर कई टिकट काउंटर, शौचालय, प्रतिक्षालय सहित अन्य आवश्यक चीजें निर्माण कराई गई है. लेकिन इसके देखरेख के लिए किसी चतुर्थवर्गीय कर्मी की भी नियुक्ति नहीं की गई है और ना ही नाइट गार्ड को बहाल किया गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि शाम ढलते ही असामाजिक तत्वों का यहां जमावड़ा लग जाता है. अंधेरा होने के कारण इस जगह पर छिनतई की घटना को भी अपराधी अंजाम देते हैं.

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अरविंद प्रताप शाही, अंचलाधिकारी

ये भी पढ़ें- बेगूसराय में वर्चस्व के लिए गैंगवार, कई राउंड फायरिंग में दो कुख्यात की मौत

यात्रियों को हो रही परेशानी
लोगों की मानें तो सरकारी बस पड़ाव कि ऐसी स्थिति निजी बस के एजेंट द्वारा बनाई गई है क्योंकि कई बार सरकारी बस के कर्मियों के साथ निजी बस के एजेंट द्वारा मारपीट की घटना को अंजाम देकर दहशत पैदा किया गया है. इसलिए सरकारी बस के कर्मी अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं और इसका परिचालन चंदौली बांध से करते हैं. ऐसे में लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

सीतामढ़ी: जिले के बेलसंड अनुमंडल की करीब आठ लाख की आबादी के लिए सरकार ने बस पड़ाव की सुविधा साल 2016 के दिसंबर में बहाल कराई गई. लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी इस बस स्टैंड का लाभ ना तो बस ठहराव के लिए सरकारी बस कर्मियो को मिल पा रहा है और न ही यात्रियों को. लिहाजा यह बस स्टैंड मवेशियों का चारागाह बना हुआ है. शाम ढलते ही यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगता है.

पिछले तीन सालों में इस डेढ़ करोड़ की लागत से बने भवन से चोरों ने विद्युत आपूर्ति के लिए लगाए गए उपकरण, जलापूर्ति के लिए लगाए गए पाइपलाइन के अलावा अन्य सामानों पर हाथ साफ कर लिया. वहीं देखरेख के अभाव में इसके खिड़की और दरवाजे में लगे कांच के पल्ले भी तोड़ टूट चुके हैं. स्थानीय लोगों द्वारा इस भवन का उपयोग गोदाम के रूप में किया जाता है.

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सरकारी बस स्टैंड की स्थिति बदहाल

असामाजिक तत्वों का अड्डा बना सरकारी बस स्टैंड
बता दें कि 24 दिसंबर 2016 को नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा डेढ़ करोड़ 40 लाख की लागत से इस बस स्टैंड का निर्माण कराया गया जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तत्कालीन नगर विकास एवं आवास मंत्री महेश्वर हजारी ने किया था. तब से यह भवन आम लोगों को मुंह चिढ़ा रहा है. इस बस पड़ाव का आम यात्रियों के लिए कोई औचित्य नहीं रह गया है.

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सीएम नीतीश कुमार और तत्कालीन नगर विकास एवं आवास मंत्री ने किया था बस स्टैंड का उद्घाटन

प्रशासन बेसुध
बेलसंड अनुमंडल से प्रतिदिन बिहार राज्य पथ परिवहन की 3 बसें पटना के लिए प्रस्थान करती हैं जिसमें प्रतिदिन करीब 300 यात्री सफर करते हैं. लेकिन इस बस का संचालन बस पड़ाव से नहीं करके वहां से डेढ़ किलोमीटर दूर चंदौली बांध से किया जा रहा है. बस पड़ाव की इस दुर्दशा पर ना तो जिला प्रशासन का ध्यान जाता है ना ही नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी का. लिहाजा इस डेढ़ करोड़ के भवन में गाय, भैंस, बकरी के अलावे चरवाहा और असामाजिक तत्व आराम फरमाते हैं.

जानकारी देते स्थानीय और अंचलाधिकारी

अंधेरे का फायदा उठाकर अपराधी वारदात को देते हैं अंजाम
इसके अंदर कई टिकट काउंटर, शौचालय, प्रतिक्षालय सहित अन्य आवश्यक चीजें निर्माण कराई गई है. लेकिन इसके देखरेख के लिए किसी चतुर्थवर्गीय कर्मी की भी नियुक्ति नहीं की गई है और ना ही नाइट गार्ड को बहाल किया गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि शाम ढलते ही असामाजिक तत्वों का यहां जमावड़ा लग जाता है. अंधेरा होने के कारण इस जगह पर छिनतई की घटना को भी अपराधी अंजाम देते हैं.

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अरविंद प्रताप शाही, अंचलाधिकारी

ये भी पढ़ें- बेगूसराय में वर्चस्व के लिए गैंगवार, कई राउंड फायरिंग में दो कुख्यात की मौत

यात्रियों को हो रही परेशानी
लोगों की मानें तो सरकारी बस पड़ाव कि ऐसी स्थिति निजी बस के एजेंट द्वारा बनाई गई है क्योंकि कई बार सरकारी बस के कर्मियों के साथ निजी बस के एजेंट द्वारा मारपीट की घटना को अंजाम देकर दहशत पैदा किया गया है. इसलिए सरकारी बस के कर्मी अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं और इसका परिचालन चंदौली बांध से करते हैं. ऐसे में लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

Intro:जिले का सरकारी बस पड़ाव बना चरागाह। शाम ढलते ही बन जाता है असामाजिक तत्वों का अड्डा। खौफ और डर से नहीं हो रहा बस का संचालन। Body:जिले के बेलसंड अनुमंडल में निवास करने वाले करीब आठ लाख की आबादी के लिए सरकारी बस पड़ाव की सुविधा सरकार द्वारा वर्ष 2016 दिसंबर माह में बहाल कराई गई। लेकिन 3 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस बस स्टैंड का लाभ ना तो बस ठहराव के लिए सरकारी बस कर्मियो को मिल पा रही है। न ही यात्रियों को लिहाजा यह बस स्टैंड मवेशियों का चारागाह बना हुआ है और शाम ढलते ही इस पर असामाजिक तत्वों का कब्जा हो जाता है। 3 वर्षों के दौरान इस डेढ़ करोड़ के बने भवन से चोरों ने विद्युत आपूर्ति के लिए लगाए गए उपकरण जलापूर्ति के लिए लगाए गए पाइपलाइन के अलावा अन्य सामानों की चोरी कर चुके हैं। वहीं देखरेख नहीं होने के कारण इसके खिड़की और दरवाजे में लगे कांच के पल्ले को तोड़ दिया गया है। स्थानीय लोगों द्वारा इस भवन का उपयोग गोदाम के रूप में किया जाता है। जबकि 24 दिसंबर 2016 को नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा एक करोड़ 40 लाख की लागत से बस स्टैंड का निर्माण कराया गया। जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तत्कालीन नगर विकास एवं आवास मंत्री महेश्वर हजारी के द्वारा किया गया था। तब से यह भवन आम लोगों को मुंह चिढ़ा रहा है। इस बस पड़ाव का आम यात्रियों के लिए कोई औचित्य नहीं रह गया है।
जबकि बेलसंड अनुमंडल से प्रतिदिन बिहार राज्य पथ परिवहन की 3 बसें पटना के लिए प्रस्थान करती है। जिसमें प्रतिदिन करीब 300 यात्री सफर करते हैं। लेकिन इस बस का संचालन बस पडाव से नहीं करके वहां से डेढ़ किलोमीटर दूर चंदौली बांध से किया जा रहा है। और यह बस पडाव बेलसंड नगर पंचायत वार्ड नंबर 7 के अंदर आता है। बस पड़ाव की इस दुर्दशा पर ना तो जिला प्रशासन का ध्यान जाता है ना ही नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी का। लिहाजा इस डेढ़ करोड़ के भवन में गाय, भैंस, बकरी के अलावे चरवाहा और असामाजिक तत्व आराम फरमाते हैं। जबकि इसके अंदर कई टिकट काउंटर, शौचालय, प्रतिक्षालय सहित अन्य आवश्यक चीजें निर्माण कराई गई है। और इसे देखरेख करने के लिए किसी चतुर्थवर्गीय कर्मी की भी नियुक्ति नहीं की गई है ना ही नाइट गार्ड बहाल किया गया है। स्थानीय लोगों का बताना है कि शाम ढलते ही असामाजिक तत्व इसे मैंखाना में भी तब्दील कर देता हैं। साथ ही किसी के नहीं रहने और अंधेरा होने के कारण इस जगह पर चिंतई की घटना को भी अपराधी अंजाम देते हैं।
वहीं कुछ स्थानीय लोगों का बताना है कि सरकारी बस पड़ाव कि ऐसी स्थिति निजी बस के एजेंट द्वारा बना दी गई है। क्योंकि अब तक कई बार सरकारी बस के कर्मियों के साथ निजी बस के एजेंट द्वारा मारपीट की घटना को अंजाम देकर दहशत पैदा किया गया है। इसलिए सरकारी बस के कर्मी अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं और इसका परिचालन चंदौली बांध से करते हैं। ताकि वहां आम लोगों के होने के कारण निजी बस के एजेंट द्वारा किसी प्रकार की मारपीट या गाली गलौज नहीं किया जाता है।
बाइट 1. चालक। बिहार राज्य पथ परिवहन निगम।
बाइट 2. पूनम चौधरी। महिला यात्री।
बाइट 3. महावीर सिंह।स्थानीय नागरिक। निजी बस एजेंट के संबंध में जानकारी देते।
बाइट 4. प्रदीपन कुमार। स्थानीय युवक हरा शर्ट में।
बाइट 5. अरविंद प्रताप शाही। अंचलाधिकारी बैगनी शर्ट में।
पी टू सी 6.
विजुअल 7,8,9,10,11,12,13,14,15,16Conclusion:पी टू सी :_राहुल देव सोलंकी। सीतामढ़ी।
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