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बाढ़ राहत राशि नहीं मिलने से पीड़ितों में नाराजगी, प्रशासन पर उदासीनता का आरोप - heavy rain

सीतामढ़ी में बाढ़ (Flood in Sitamarhi) आने के बाद बाढ़ पीड़ितों की सूची तैयार करने के बावजूद राहत राशि (Relief Fund) नहीं दिए जाने से लोगों में नाराजगी है. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन पर उदासीनता का आरोप लगाया है. पढ़ें रिपोर्ट..

सीतामढ़ी
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Published : Jul 22, 2021, 6:31 PM IST

Updated : Jul 22, 2021, 9:05 PM IST

सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी (Sitamarhi) में नेपाल (Nepal) की तराई में हो रही भारी बारिश (Heavy Rain) के कारण इस बार समय से पूर्व ही बाढ़ (Flood) ने जिले में दस्तक दे दी है. इसका नतीजा है कि बाढ़ का पानी जिले के अधिकांश प्रखंड क्षेत्रों में फैल गया है.

ये भी पढ़ें- बाढ़ पीड़ितों को मिलने लगा फसल क्षति का मुआवजा, आपदा प्रबंधन विभाग ने दिया 100 करोड़

इस बाढ़ के पानी के कारण किसानों की खेतों में लगी धान, मक्का, सब्जी, गन्ना और मूंग की फसलें पूरी तरह डूबकर बर्बाद हो गई हैं. वहीं, निचले हिस्सों में निवास करने वाले लोगों के घरों में भी पानी प्रवेश कर गया है. यह तबाही और विकराल समस्या हर साल जिले के बाढ़ पीड़ितों को झेलनी पड़ती है.

बेलसंड नगर पंचायत के चेयरमैन रणधीर कुमार ने बताया कि हर साल मनुष्मरा नदी का पानी नगर पंचायत क्षेत्र के कई वार्डों में फैल जाता है और इससे भारी तबाही होती है. इसके बावजूद पिछले कई सालों से बाढ़ पीड़ितों को राहत राशि (Relief Fund) से वंचित कर दिया जाता है.

देखें रिपोर्ट

''हर साल बाढ़ आने के बाद पीड़ितों की सूची तैयार कर जिला मुख्यालय को भेजी जाती है. उस सूची को बनाने में काफी राशि खर्च होती है. सूची तैयार करने के लिए बाढ़ पीड़ितों से बार-बार आधार कार्ड और बैंक खाता की छाया प्रति जमा कराई जाती है, लेकिन जब बाढ़ राहत राशि लेने का समय आता है, तो बाढ़ पीड़ितों को सिर्फ निराशा हाथ लगती है.''- रणधीर कुमार, चेयरमैन, नगर पंचायत बेलसंड

ये भी पढ़ें- सीतामढ़ी: नाव के अभाव में बाढ़ पीड़ितों का बुरा हाल, 42 लाख की आबादी पर मात्र 130 नाव उपलब्ध

बाढ़ राहत राशि को लेकर अधिकांश बाढ़ पीड़ितों में नाराजगी है. सौली, रुपौली, सिरसिया सहित अन्य गांवों के बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि पिछले कई सालों से बाढ़ के दौरान और बाढ़ आने से पहले जिला प्रशासन के निर्देश पर बाढ़ पीड़ितों की सूची तैयार की जाती है. लेकिन, बाढ़ की विभीषिका झेलने के बाद अधिकांश बाढ़ पीड़ित बाढ़ राहत राशि पाने से वंचित रहते हैं.

आखिर सरकार और जिला प्रशासन की यह कैसी दोहरी नीति है, जो आपदा के दौरान भी बाढ़ पीड़ितों को सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि से वंचित कर दिया जाता है. जबकि बाढ़ आने से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में फसल डूबकर बर्बाद हो जाती है. साथ ही कच्चे मकान भी क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. इसके बावजूद बाढ़ राहत राशि का नहीं दिया जाना बाढ़ पीड़ितों के साथ घोर अन्याय है.

''सरकार द्वारा जारी संपुष्टि पोर्टल के माध्यम से अब तक 5:15 लाख बाढ़ पीड़ितों का डेटा तैयार कर लिया गया है. समस्या आने और जरूरत पड़ने पर डीबीटी और आरटीजीएस के माध्यम से बाढ़ पीड़ितों के खाते में बाढ़ राहत राशि देने की तैयारी की जा चुकी है.''- सुनील कुमार यादव, जिला अधिकारी, सीतामढ़ी

ये भी पढ़ें- Flood In Bagha : बाढ़ के बाद अब 'कटाव' का दंश, दोतरफा मार ने लोगों की बढ़ाई मुश्किल

वहीं, नगर पंचायत के चेयरमैन रणधीर कुमार का आरोप है कि बाढ़ की तबाही झेलने के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी ने बाढ़ पीड़ितों की सूची मंगाए जाने के बावजूद भी राहत राशि नहीं दी गई. जिस कारण बाढ़ पीड़ितों में जिला प्रशासन और सरकार के प्रति नाराजगी व्याप्त है. आखिर आपदा की घड़ी में सरकार द्वारा सहायता दिए जाने का प्रावधान है, इसके बावजूद बाढ़ पीड़ित सरकारी सहायता लेने से वंचित रह जाते हैं.

सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी (Sitamarhi) में नेपाल (Nepal) की तराई में हो रही भारी बारिश (Heavy Rain) के कारण इस बार समय से पूर्व ही बाढ़ (Flood) ने जिले में दस्तक दे दी है. इसका नतीजा है कि बाढ़ का पानी जिले के अधिकांश प्रखंड क्षेत्रों में फैल गया है.

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इस बाढ़ के पानी के कारण किसानों की खेतों में लगी धान, मक्का, सब्जी, गन्ना और मूंग की फसलें पूरी तरह डूबकर बर्बाद हो गई हैं. वहीं, निचले हिस्सों में निवास करने वाले लोगों के घरों में भी पानी प्रवेश कर गया है. यह तबाही और विकराल समस्या हर साल जिले के बाढ़ पीड़ितों को झेलनी पड़ती है.

बेलसंड नगर पंचायत के चेयरमैन रणधीर कुमार ने बताया कि हर साल मनुष्मरा नदी का पानी नगर पंचायत क्षेत्र के कई वार्डों में फैल जाता है और इससे भारी तबाही होती है. इसके बावजूद पिछले कई सालों से बाढ़ पीड़ितों को राहत राशि (Relief Fund) से वंचित कर दिया जाता है.

देखें रिपोर्ट

''हर साल बाढ़ आने के बाद पीड़ितों की सूची तैयार कर जिला मुख्यालय को भेजी जाती है. उस सूची को बनाने में काफी राशि खर्च होती है. सूची तैयार करने के लिए बाढ़ पीड़ितों से बार-बार आधार कार्ड और बैंक खाता की छाया प्रति जमा कराई जाती है, लेकिन जब बाढ़ राहत राशि लेने का समय आता है, तो बाढ़ पीड़ितों को सिर्फ निराशा हाथ लगती है.''- रणधीर कुमार, चेयरमैन, नगर पंचायत बेलसंड

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बाढ़ राहत राशि को लेकर अधिकांश बाढ़ पीड़ितों में नाराजगी है. सौली, रुपौली, सिरसिया सहित अन्य गांवों के बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि पिछले कई सालों से बाढ़ के दौरान और बाढ़ आने से पहले जिला प्रशासन के निर्देश पर बाढ़ पीड़ितों की सूची तैयार की जाती है. लेकिन, बाढ़ की विभीषिका झेलने के बाद अधिकांश बाढ़ पीड़ित बाढ़ राहत राशि पाने से वंचित रहते हैं.

आखिर सरकार और जिला प्रशासन की यह कैसी दोहरी नीति है, जो आपदा के दौरान भी बाढ़ पीड़ितों को सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि से वंचित कर दिया जाता है. जबकि बाढ़ आने से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में फसल डूबकर बर्बाद हो जाती है. साथ ही कच्चे मकान भी क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. इसके बावजूद बाढ़ राहत राशि का नहीं दिया जाना बाढ़ पीड़ितों के साथ घोर अन्याय है.

''सरकार द्वारा जारी संपुष्टि पोर्टल के माध्यम से अब तक 5:15 लाख बाढ़ पीड़ितों का डेटा तैयार कर लिया गया है. समस्या आने और जरूरत पड़ने पर डीबीटी और आरटीजीएस के माध्यम से बाढ़ पीड़ितों के खाते में बाढ़ राहत राशि देने की तैयारी की जा चुकी है.''- सुनील कुमार यादव, जिला अधिकारी, सीतामढ़ी

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वहीं, नगर पंचायत के चेयरमैन रणधीर कुमार का आरोप है कि बाढ़ की तबाही झेलने के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी ने बाढ़ पीड़ितों की सूची मंगाए जाने के बावजूद भी राहत राशि नहीं दी गई. जिस कारण बाढ़ पीड़ितों में जिला प्रशासन और सरकार के प्रति नाराजगी व्याप्त है. आखिर आपदा की घड़ी में सरकार द्वारा सहायता दिए जाने का प्रावधान है, इसके बावजूद बाढ़ पीड़ित सरकारी सहायता लेने से वंचित रह जाते हैं.

Last Updated : Jul 22, 2021, 9:05 PM IST
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