सीतामढ़ी: कोरोना वायरस को लेकर देशव्यापी लॉकडाउन जारी है. ऐसे में लगातार आंधी-बारिश होने से समस्या दोगुनी हो गई है. खेतों में फसल सड़ रही है. किसानों की परेशानी का आलम ये है कि बैंक में रुपये रहने के बावजूद उन्हें कर्ज लेकर खेती करनी पड़ रही है.
दरअसल, गेहूं की फसल की कटनी समय से नहीं हो सकी. इधर जब सरकार ने किसानों को थोड़ी रियायत दी, तब प्राकृतिक मार शुरू हो गई. जब किसानों ने मजदूरों की आस छोड़ खुद दौनी शुरू करने की सोची तो एटीएम में रुपये नहीं मिल रहे हैं.
'खेती में आ रही काफी परेशानी'
भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र के किसानों का बताना है कि वे गेहूं के दौनी के लिए कर्ज ले रहे हैं. पैसे के अभाव में डीजल की खरीदारी में कठिनाई आ रही है, जिस कारण दौनी नहीं हो पा रही है. किसान कर्ज लेकर ट्रैक्टर मालिक को दौनी के लिए पैसा दे रहे हैं. किसानों का कहना है कि उनकी माली हालत बेहद खराब है.
पलायन की सोच रहे किसान
बार्डर के मुशाचक गांव के किसान दीनबंधु प्रसाद ने बताया कि कोरोना वायरस महामारी को लेकर सरकार ने लॉकडाउन कर दिया. जिसको लेकर समय से कटनी नहीं हो सकी. इधर सीमावर्ती क्षेत्र के एटीएम में पैसा नहीं रहने के कारण किसान कर्ज लेने पर मजबूर हैं. अब किसानों की स्थिति यह है कि लॉकडाउन के बाद वे अपने परिवार के भरण-पोषण करने के लिए महानगरों की तरफ रुख करेंगे.
सरकार से मदद की आस
किसान दीनबंधु प्रसाद ने बताया कि सरकार उनके लिए कुछ नहीं कर रही है. फिर भी वे बार-बार गुहार लगा रहे हैं. अगर किसानों को सरकार कुछ राहत पैकेज दे तो जान बच सकती है. वरना वे भुखमरी की कगार पर चले जाएंगे. किसानों को जमीन बेचकर ही कर्ज चुकाना होगा.