सीतामढ़ी: मौसम में लगातार बदलाव होने का खामियाजा लीची कारोबारी और किसानों को भुगतना पड़ रहा है. लीची कारोबारियों को इस बार पेड़ पर लगी लीची देखकर अच्छे मुनाफे की उम्मीद थी, लेकिन खराब मौसम ने उस पर पानी फेर दिया.
आलम ये है कि बेमौसम हुई बारिश और बीच-बीच में ज्यादा गर्मी के कारण पेड़ों पर लगा फल अधिक मात्रा में खराब होकर जमीन पर गिर रहा है, इसलिए लीची का बगीचा खरीदने वाले कारोबारियों को काफी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. एक महिला लीची व्यवसायी ने बताया कि इस बार का घाटा भरपाई करना बेहद मुश्किल हो गया है. जितना घाटा इसबार उठाना पड़ रहा है उतना पहले कभी नहीं हुआ. महिला कारोबारी ने कहा कि किसानों को पैसे देने तक की हालत नहीं है. हर बार से इस बार ज्यादा घाटा हुआ है.
बदलते मौसम ने सबकुछ किया तबाह
बता दें कि जिले के किसान दो तरह की लीची अपने बगीचे में लगाए हुए हैं. जिसमें शाही और चाइना लीची शामिल है. शाही लीची का समय समाप्त हो चुका है, अब चाइना लीची के पकने का समय है जो बाजारों में अभी बिक्री किया जा रहा है, लेकिन खराब मौसम के कारण चाइना लीची का अधिकांश फल खराब होकर जमीन पर गिर रहा है. जिसे देखकर बगीचा खरीदने वाले व्यवसायी काफी दुखी हैं.
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तापमान में बदलाव है कारण
इस संबंध में पूछे जाने पर जिला उद्यान सहायक निदेशक नीरज झा ने बताया कि लीची की बेहतर पैदावार के लिए 30 डिग्री से नीचे का तापमान होना बेहद जरूरी होता है, लेकिन इस बार तापमान में बार-बार बदलाव हो रहा है, इसलिए लीची का अधिकांश फल खराब होकर गिर रहा है और इसका खामियाजा लीची कारोबारी को भुगतना पड़ रहा है. बेहतर पैदावार के लिए 30 डिग्री से नीचे का तापमान होना बहुत जरूरी होता है, लेकिन इस बार हुई बेमौसम बारिश फिर अत्यधिक गर्मी पड़ने के कारण लीची की फसल को भारी नुकसान हुआ है.
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लीची बिक्री की दर
जिले में लीची की बिक्री दर थोक और खुदरा भाव में अलग-अलग है. बगीचा खरीदने वाले व्यवसायी खुदरा कारोबारी को 60 से 70 रुपये सैकड़े की दर से लीची देते हैं. जिसे खुदरा कारोबारी 80 से 100 रुपये प्रति सैकड़ा की दर से बिक्री करते हैं. अगर लीची की पैदावार प्रभावित नहीं होती तो इस बार बगीचा खरीदने वाले कारोबारी और खुदरा विक्रेता दोनों को बेहतर आमदनी होती.
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