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ग्राउंड रिपोर्ट: सुखाड़ और खराब मौसम के कारण हजारों हेक्टेयर में आम बर्बाद

आम का बगीचा खरीदने वाले व्यापारी और खुदरा विक्रेताओं का कहना है कि इस बार भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. क्योंकि सुखाड़ और पुरवा हवा के कारण अधिकांश फल खराब हो गए हैं.

आम का बगीचा
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Published : Jun 13, 2019, 2:06 PM IST

सीतामढ़ी: जिले में मौसम अनुकूल नहीं रहने के कारण इस बार आम की फसल लगाने वाले हजारों किसानों और व्यापारियों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. गर्मी के कारण पेड़ों पर अधिकांश फल खराब हो रहे हैं. इस कारण आम की खेती करने वाले किसान और व्यपारी दोनों बेहद मायुस है. गौरतलब है कि उद्यान विभाग के सर्वे के अनुसार जिले के सभी 17 प्रखंडों में कुल 5300 हेक्टेयर में आम का बगीचा लगाया गया है.

मोटी रकम देकर आम का बगीचा खरीदने वाले व्यापारी और खुदरा विक्रेताओं का कहना है कि इस बार भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. क्योंकि बगीचा खरीदने के समय मंजर और फल देखकर लगता था की इस बार मुनाफा संतोष जनक होगा. लेकिन सुखाड़ और पुरवा हवा के कारण अधिकांश फल खराब हो गए हैं. फल पकने के समय आंधी, तूफान और ओलाबृष्टि सारे फल को बर्बाद कर दिया है. साथ ही उनलोगों ने कहा कि पिछले वर्ष इस तरह का नुकसान नहीं उठाना पड़ा था.

आम की फसल खराब होने से किसनों में मायूसी

किसानों में मायूसी

वहीं, बगीचा लगाने वाले किसानों ने कहा कि इस बार जिस पेड़ पर 5 क्विंटल से अधिक फल लगने चाहिए. उस पेड़ से मात्र 50 से 60 केजी फल निकल रहे हैं और उसमें भी अधिकांश फल कीड़ा ग्रस्त या खराब निकल रहे हैं. इसलिए व्यापारी भी फल खरीदने से हिचक रहे हैं. इस बार हजारों हेक्टेयर में लगे आम का बगीचा घाटे का सौदा साबित हुआ है.

सीतामढ़ी: जिले में मौसम अनुकूल नहीं रहने के कारण इस बार आम की फसल लगाने वाले हजारों किसानों और व्यापारियों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. गर्मी के कारण पेड़ों पर अधिकांश फल खराब हो रहे हैं. इस कारण आम की खेती करने वाले किसान और व्यपारी दोनों बेहद मायुस है. गौरतलब है कि उद्यान विभाग के सर्वे के अनुसार जिले के सभी 17 प्रखंडों में कुल 5300 हेक्टेयर में आम का बगीचा लगाया गया है.

मोटी रकम देकर आम का बगीचा खरीदने वाले व्यापारी और खुदरा विक्रेताओं का कहना है कि इस बार भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. क्योंकि बगीचा खरीदने के समय मंजर और फल देखकर लगता था की इस बार मुनाफा संतोष जनक होगा. लेकिन सुखाड़ और पुरवा हवा के कारण अधिकांश फल खराब हो गए हैं. फल पकने के समय आंधी, तूफान और ओलाबृष्टि सारे फल को बर्बाद कर दिया है. साथ ही उनलोगों ने कहा कि पिछले वर्ष इस तरह का नुकसान नहीं उठाना पड़ा था.

आम की फसल खराब होने से किसनों में मायूसी

किसानों में मायूसी

वहीं, बगीचा लगाने वाले किसानों ने कहा कि इस बार जिस पेड़ पर 5 क्विंटल से अधिक फल लगने चाहिए. उस पेड़ से मात्र 50 से 60 केजी फल निकल रहे हैं और उसमें भी अधिकांश फल कीड़ा ग्रस्त या खराब निकल रहे हैं. इसलिए व्यापारी भी फल खरीदने से हिचक रहे हैं. इस बार हजारों हेक्टेयर में लगे आम का बगीचा घाटे का सौदा साबित हुआ है.

Intro:सुखार और खराब मौसम के कारण हजारों हेक्टेयर में लगी आम की फसल खराब। किसान और व्यापारी को भारी क्षति।


Body:मौसम अनुकूल नहीं रहने के कारण इस बार जिले में आम की फसल लगाने वाले हजारों किसानों और व्यापारियों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह है पेड़ों पर अधिकांश फलों का सड़ जाना। इस कारण इसकी खेती करने वाले किसान और बिक्री करने वाले व्यपारी दोनों बेहद मायुस है। क्योंकि पर रही प्रचंड गर्मी और पुरवा हवा चलने के कारण पेड़ पर लगा अधिकांश फल सड़ कर नीचे गिर रहा है। मोटी रकम देकर बगीचा खरीदने वाला व्यपारी और खुदरा बिक्रेता का बताना है कि इस बार भारी नुकसान उठाना पर रहा है। चुकी बगीचा खरीदने के समय मोजर और फल देखकर लगता था की इस बार मुनाफा संतोष जनक होगा। लेकिन मौसम की मार ने भूखे मरने पर मजबूर कर दिया है। अब फल पकने का समय आया तो आंधी, तूफान और ओलाबृष्टि सारे फल को बर्वाद कर दिया है। पिछले वर्ष इस तरह की तबाही नही उठानी पड़ी थी। वंही बगीचा लगाने वाले किसानों का बताना है कि जिस पेड़ पर 5 क्विंटल से अधिक फल निकलना चाहिए उस पेड़ पर मात्र 50 से 60 केजी फल निकल रहा है। और उसमें अधिकांश फल कीड़ा ग्रस्त या सड़ा निकल जा रहा है। इसलिए व्यापारी भी खरीदने से हिचक रहे है। इस बार यह घाटे का सौदा साबित हुआ है। हजारों हेक्टेयर में आम का बगीचा।। उद्यान विभाग के सर्वे के अनुसार जिले के सभी 17 प्रखंडों में कुल 5300 हेक्टेयर में आम का बगीचा लगाया गया है। जिसमें सभी वैरायटी के आम लगाए गए हैं। जैसे मालदह, मुंबई ग्रीन और मुंबई पीला कलकतिया, आम्रपाली, कृष्णभोग,जर्दा, केरवा सहित और अन्य कई प्रभेदों के आम इस जिले में किसानों द्वारा लगाए गए हैं। किसानों को उम्मीद थी कि अगर मौसम का साथ मिला तो इस बार आमदनी अच्छी होगी। लेकिन सुखार और पुरवा हवा के कारण अधिकांश फल सर गए हैं। इसका नतीजा है कि व्यापारियों के साथ जिले के किसान भी बेहद मायूस। और आर्थिक तंगी झेलने को विवश है। बाइट-1. आम की फसल लगाने वाले किसान और बिक्री करने वाले व्यापारी। बाइट-2. रण केसरी सिंह। प्रखंड उद्यान पदाधिकारी रीगा। विजुअल------------ पी टू सी-------


Conclusion:p2c राहुल देव सोलंकी।सीतामढ़ी।
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