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सीतामढ़ी: लखनदेई नदी का सफाई अभियान शुरू, DM ने रैयतों के मांग पत्र को किया स्वीकार - मनुष्य मारा नदी

डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने इस दिशा में गंभीरतापूर्वक प्रयास शुरू किया था. वह रैयतों के गांव गई और वहां उनसे बातचीत की. साथ ही क्षेत्र का स्थल निरीक्षण भी किया. रैयतों को विस्तार से इस योजना के महत्व के बारे में समझाया.

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बैठक आयोजित
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Published : Dec 20, 2019, 12:09 PM IST

सीतामढ़ी: जिले में लखनदेई नदी से गंदगी निकालने का अभियान जल्द शुरू किया जाएगा. जिसके लिये समाहरणालय में डीएम के साथ रैयतों की बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में रैयत किसानों के मांगों को स्वीकार कर लिया गया है. सभी किसानों ने खुशी-खुशी डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा को अपनी सहमति पत्र का ज्ञापन भी सौंप दिया है. जिसके लिए डीएम ने सभी किसानों को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया है.

बता दें कि लखनदेई नदी के ड्रेनेज कार्य की अंतिम बाधा खत्म हो गई. डीएम की पहल रंग लाई है. डीएम के इस प्रयास के बाद लखनदेई एक बार फिर से अपने मूल स्वरूप में लौटेगा. सरकार के जल-जीवन-हरियाली अभियान को इससे गति मिलेगी. इस नदी की उराही के बाद मनुष्यमरा नदी का भी काम जल्द प्रारंभ किया जाएगा. जिसकी जानकारी डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने दी.

डीएम ने की बैठक

सरकार के निर्देश पर ड्रेनेज कार्य शुरू
लखनदेई नदी नेपाल से निकलने के बाद बिहार के सीतामढ़ी जिले में छोटी भाषार गांव के पास प्रवेश करती है. जहां अतिक्रमण औक गाद के कारण कई भागों में बंट जाती है. लखनदेई को उसके पुराने स्वरूप में लौटाने और अविरल प्रवाह को लेकर सरकार के निर्देश पर लखनदेई नदी के ड्रेनेज कार्य शुरू किया गया है. सोनबरसा अंचल के तीन गांव पीपरा कल्याण,खाप खोपरह और भारसंड में रैयतों के साथ भू अर्जन दर सहित कुछ बातों को लेकर असहमति थी. जिस कारण जिले की इस महत्वपूर्ण योजना में देर हो रहा था.

डीएम ने स्थल का किया था निरीक्षण
डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने इस दिशा में गंभीरतापूर्वक प्रयास शुरू किया था. वह रैयतों के गांव गई और वहां उनसे बातचीत की. साथ ही क्षेत्र का स्थल निरीक्षण भी किया. रैयतों को विस्तार से इस योजना के महत्व के बारे में समझाया. डीएम के प्रयास को तीनों गांवों के रैयतों ने भी साथ दिया. समाहरणालय में आयोजित बैठक में रैयतों के मांगों को स्वीकार कर लिया गया.

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रैयतों ने डीएम को सौंपा मांग पत्र

क्षेत्र में आयेगी हरियाली
लखनदेई नदी सरकार के जल-जीवन-हरियाली अभियान को एक बड़ी गति प्रदान करेगी. नेपाल भाग से लिंक होते ही लखनदेई की अविरलता काफी बढ़ जाएगी. जिले के किसानों को सिंचाई की सुविधा बढ़ेगी. पानी के अविरल प्रवाह से नदी में जल कुम्भी उगने की समस्या खत्म हो जाएगी. लखनदेई नदी की सफाई हो जाने के कारण पानी का प्रवाह अविरल होगा. जिससे बारिश या बाढ़ के समय भी उसका पानी बड़ी ही आसानी से निकल जायेगी. जब लखनदेई नदी में जल का प्रवाह निरन्तर होगा, तो निश्चित रूप से उसके आस-पास के क्षेत्र में हरियाली आयेगी.

62 करोड़ की राशि हो चुकी खर्च
लखनदेई नदी की उराही और गाद सफाई के बाद नेपाल से निकलकर मनुष्य मारा नदी का भी कायाकल्प किया जाएगा. हालांकि मनुष्य मारा नदी पर अब तक 62 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है. इसके बावजूद उस नदी का अब भी उतना ही बुरा हाल है, जितना पहले था. स्थानीय लोगों ने बताया कि विभाग की उदासीनता और रीगा मील की मनमानी के कारण मनुष्य मारा नदी का जल बेहद दूषित हो चुका है. जिस कारण जलीय जीव के साथ किसानों के फसल के लिए भी यह पानी काफी जहरीला साबित हो रहा है.

सीतामढ़ी: जिले में लखनदेई नदी से गंदगी निकालने का अभियान जल्द शुरू किया जाएगा. जिसके लिये समाहरणालय में डीएम के साथ रैयतों की बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में रैयत किसानों के मांगों को स्वीकार कर लिया गया है. सभी किसानों ने खुशी-खुशी डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा को अपनी सहमति पत्र का ज्ञापन भी सौंप दिया है. जिसके लिए डीएम ने सभी किसानों को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया है.

बता दें कि लखनदेई नदी के ड्रेनेज कार्य की अंतिम बाधा खत्म हो गई. डीएम की पहल रंग लाई है. डीएम के इस प्रयास के बाद लखनदेई एक बार फिर से अपने मूल स्वरूप में लौटेगा. सरकार के जल-जीवन-हरियाली अभियान को इससे गति मिलेगी. इस नदी की उराही के बाद मनुष्यमरा नदी का भी काम जल्द प्रारंभ किया जाएगा. जिसकी जानकारी डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने दी.

डीएम ने की बैठक

सरकार के निर्देश पर ड्रेनेज कार्य शुरू
लखनदेई नदी नेपाल से निकलने के बाद बिहार के सीतामढ़ी जिले में छोटी भाषार गांव के पास प्रवेश करती है. जहां अतिक्रमण औक गाद के कारण कई भागों में बंट जाती है. लखनदेई को उसके पुराने स्वरूप में लौटाने और अविरल प्रवाह को लेकर सरकार के निर्देश पर लखनदेई नदी के ड्रेनेज कार्य शुरू किया गया है. सोनबरसा अंचल के तीन गांव पीपरा कल्याण,खाप खोपरह और भारसंड में रैयतों के साथ भू अर्जन दर सहित कुछ बातों को लेकर असहमति थी. जिस कारण जिले की इस महत्वपूर्ण योजना में देर हो रहा था.

डीएम ने स्थल का किया था निरीक्षण
डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने इस दिशा में गंभीरतापूर्वक प्रयास शुरू किया था. वह रैयतों के गांव गई और वहां उनसे बातचीत की. साथ ही क्षेत्र का स्थल निरीक्षण भी किया. रैयतों को विस्तार से इस योजना के महत्व के बारे में समझाया. डीएम के प्रयास को तीनों गांवों के रैयतों ने भी साथ दिया. समाहरणालय में आयोजित बैठक में रैयतों के मांगों को स्वीकार कर लिया गया.

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रैयतों ने डीएम को सौंपा मांग पत्र

क्षेत्र में आयेगी हरियाली
लखनदेई नदी सरकार के जल-जीवन-हरियाली अभियान को एक बड़ी गति प्रदान करेगी. नेपाल भाग से लिंक होते ही लखनदेई की अविरलता काफी बढ़ जाएगी. जिले के किसानों को सिंचाई की सुविधा बढ़ेगी. पानी के अविरल प्रवाह से नदी में जल कुम्भी उगने की समस्या खत्म हो जाएगी. लखनदेई नदी की सफाई हो जाने के कारण पानी का प्रवाह अविरल होगा. जिससे बारिश या बाढ़ के समय भी उसका पानी बड़ी ही आसानी से निकल जायेगी. जब लखनदेई नदी में जल का प्रवाह निरन्तर होगा, तो निश्चित रूप से उसके आस-पास के क्षेत्र में हरियाली आयेगी.

62 करोड़ की राशि हो चुकी खर्च
लखनदेई नदी की उराही और गाद सफाई के बाद नेपाल से निकलकर मनुष्य मारा नदी का भी कायाकल्प किया जाएगा. हालांकि मनुष्य मारा नदी पर अब तक 62 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है. इसके बावजूद उस नदी का अब भी उतना ही बुरा हाल है, जितना पहले था. स्थानीय लोगों ने बताया कि विभाग की उदासीनता और रीगा मील की मनमानी के कारण मनुष्य मारा नदी का जल बेहद दूषित हो चुका है. जिस कारण जलीय जीव के साथ किसानों के फसल के लिए भी यह पानी काफी जहरीला साबित हो रहा है.

Intro:डीएम के प्रयास से लखनदेई नदी से गाद निकालने का अभियान जल्द होगा प्रारंभ रैयत किसानों से वार्ता के बाद नदी की उड़ाही का रास्ता साफ।Body:जिले से गुजरने वाली लखनदेई नदी के ड्रेनेज कार्य (गाद सफाई) की अंतिम बाधा खत्म हो गई है। डीएम की पहल रंग लाई है। उनके प्रयास से रैयतों ने खुशी -खुशी अपनी सहमति पत्र सौप दी है। और इस प्रयास के बाद लखनदेई एक बार पुनः अपने मूल स्वरूप में लौटेगी। सरकार के जल-जीवन-हरियाली अभियान को इससे गति मिलेगी। और इस नदी की उराही के बाद मनुष्यमरा नदी का भी काम जल्द प्रारंभ किया जाएगा जिसकी जानकारी डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने दी।
डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा का प्रयास रंग लाई,और लखदेई नदी के ड्रेनेज कार्य की अंतिम बाधा भी समाप्त हो गई। लखनदेई नदी नेपाल से निकलने के बाद बिहार के सीतामढ़ी जिले में छोटी भाषार गाँव के पास प्रवेश करती है। जहाँ अतिक्रमण एवम गाद के कारण कई भागों में बंट जाती है। लखनदेई को उसके पुराने स्वरूप में लौटाने एवम अविरल प्रवाह को लेकर सरकार के निर्देश पर लखनदेई नदी के ड्रेनेज कार्य शुरू किया गया है।,जिसमे दुलारपुर घाट से नेपाल के भाग से लिंक करने का निर्माण प्रक्रियाधीन है। उक्त लिंक चैनल हेतू सोनबरसा अंचल के तीन गाँव पीपरा कल्याण,खाप खोपरह एवम भारसंड में रैयतों के साथ भूअर्जन दर सहित कुछ बातों को लेकर असहमति थी। जिस कारण जिले की इस महत्वपूर्ण योजना में अनावश्यक विलंब हो रहा थी। डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा इस कार्य की महत्ता को देखते हुए इस दिशा में उन्होंने गंभीरतापूर्वक प्रयास शुरू किया था। उन्होंने रैयतों के गाँव पहुँचकर उनसे मिलकर बातें किया,साथ ही नदी क्षेत्र का स्थल निरीक्षण भी किया। उन्होंने रैयतों को विस्तार से इस योजना के महत्व के बारे में समझाया। डीएम के प्रयास को उक्त तीनों गांवों के रैयतों ने भी साथ दिया। समाहरणालय में आयोजित बैठक में रैयतों के मांगों को स्वीकार कर लिया गया। सभी रैयतों ने खुशी- खुशी से डीएम को अपनी सहमति पत्र भी सौपी। डीएम ने भी सभी रैयतों को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया।
अब शीघ्र ही लखनदेई अपने मूलस्वरूप में लौटेगी। सरकार के जल-जीवन-हरियाली अभियान को एक बड़ी गति प्रदान करेगी लखनदेई। नेपाल भाग से लिंक होते ही लखनदेई की अविरलता काफी बढ़ जाएगी। जिले के किसानों को सिंचाई हेतू सुविधा बढ़ेगी। पानी के अविरल प्रवाह से नदी में जहां-तहाँ जल कुम्भी उगने की समस्या समाप्त हो जाएगी। लखनदेई नदी की सफाई हो जाने के कारण पानी का प्रवाह अविरल होगा,जिससे अतिवृष्टि या बाढ़ के समय भी उसका पानी बड़ी ही आसानी से निकल जायेगी।जब लखनदेई नदी में जल का प्रवाह निरन्तर होगा,तो निश्चित रूप से उसके आस-पास के क्षेत्र में हरियाली आयगी।
बाइट 1. अभिलाषा कुमारी शर्मा। जिला अधिकारी सीतामढ़ी।
विजुअल 2,3,4,5,6Conclusion:लखनदेई नदी की उराही और गाद सफाई के बाद नेपाल से निकलकर भैंसा लोटन तक जाने वाली मनुष्य मरा नदी का भी कायाकल्प किया जाएगा। हालांकि मनुष्य मारा नदी पर अब तक 62 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है। इसके बावजूद उस नदी का अब भी उतना ही बुरा हाल है जितना पूर्व में था। स्थानीय लोगों का बताना है कि विभाग की उदासीनता और रीगा मील की मनमानी के कारण मनुष्य मारा नदी का जल बेहद दूषित हो चुका है। जिस कारण जलीय जीव के साथ किसानों के फसल के लिए भी यह पानी काफी जहरीला साबित हो रहा है।
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