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सीतामढ़ीः बाल अधिकार सप्ताह के तहत बच्चों ने डीएम से की मुलाकात, अपनी समस्याओं पर की चर्चा

बाल अधिकार सप्ताह (child rights week) के तहत सीतामढ़ी के स्कूली बच्चों ने डीएम सुनील कुमार यादव (DM Sunil Kumar Yadav) से मुलाकात की. जहां बच्चों ने डीएम को अपनी समस्याओं, मुद्दों और अधिकारों को लेकर तैयार किए गए चार्टर ऑफ डिमांड्स और सुझाव सौंपे.

ननन
बच्चों की डीएम से मुलाकात
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Published : Nov 17, 2021, 9:18 PM IST

सीतामढ़ीः समाहरणालय स्थित जिलाधिकारी कार्यालय में बुधवार को बच्चों के 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने डीएम सुनील कुमार यादव (DM Sunil Kumar Yadav) से मुलाकात की. जहां समाज कल्याण विभाग और यूनिसेफ द्वारा राष्ट्रीय बाल दिवस के मौके पर लगने वाले बाल अधिकार सप्ताह (child rights week) में बच्चों ने अपनी परेशानियों पर चर्चा की. बता दें कि 14 नवंबर से 20 नवंबर तक जनता दरबार की तर्ज पर शुरू किए गए इस पहल के जरिए बच्चों को एक प्रभावी मंच मुहैया कराया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- RJD ने कानून-व्यवस्था पर नीतीश सरकार को घेरा, तो बोली BJP- 'जो अपराध करेंगे, जेल जाएंगे'

डीएम से मुलाकात के दौरान बच्चों और किशोरियों ने बीते रविवार 14 नवंबर को जिला बाल संरक्षण इकाई/ बाल गृह और प्रथम संस्था के सहयोग से आयोजित बाल दरबार में अपनी समस्याओं, मुद्दों और अधिकारों को लेकर तैयार किए गए चार्टर ऑफ डिमांड्स और सुझाव सौंपे.

देखें वीडियो

जिलाधिकारी सुनील कुमार यादव ने राज्य सरकार और यूनिसेफ़ की इस अनूठी पहल की सराहना करते हुए कहा कि बाल हित के लिए एक सराहनीय पहल है. उन्होंने कहा कि हमारे लिए हर एक बच्चा महत्वपूर्ण है. बच्चों का अधिकार दिलवाने के लिए जिला प्रशासन गंभीर है. डीएम से मिलकर और उनसे बातचीत कर बच्चे-बच्चियां काफी उत्साहित थे. 16 वर्षीय मो. वाहिद रजा ने कहा कि बालश्रम की उन्मूलन एवं पुनर्वास जरूरी है. 16 साल की अमृता आर्य ने कहा कि बाल विवाह में कमी आयी है लेकिन उन्मूलन की दिशा में जागरुकता की जरूरत है.

वहीं, सोनाक्षी ने बताया कि विद्यालय में संगीत की पढ़ाई हो, बेटी बचाने की दिशा में कार्रवाई की जरूरत है. अपनी बात रखते हुए काल्पनिक नाम एसब छोटू बच्चा ने होम से बाहर पढ़ाई करने की बात बताई. जिलाधिकारी ने सभी बच्चों को बहुत धैर्य से सुना और उनके सवालों के जवाब भी दिया. दो-तीन महत्वपूर्ण सवालों को लेकर डीएम ने टास्क फोर्स की बैठक करने, नगरपालिका और विद्यालय में संगीत शिक्षक के लिए भी संबंधित पदाधिकारी को निर्देश दिया.

बता दें कि जनता दरबार की तर्ज पर शुरू किए गए इस पहल के जरिए बच्चों को एक प्रभावी मंच मुहैया करवाया जा रहा है. जहां वे अपने मुद्दों, समस्याओं और सरोकारों के बारे में आपस में खुलकर चर्चा कर सकें. इसी कड़ी में उन्हें जिलास्तरीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से खुलकर संवाद करने का भी मौका मिलेगा. संवाद के दौरान मिले बच्चों के सुझावों के आधार पर तैयार किए गए चार्टर ऑफ़ डिमांड्स को बच्चों के प्रतिनिधिमंडल द्वारा जिला एवं राज्य स्तर पर संबद्ध अधिकारियों और नीतिनिर्धारकों को सौंपा जाएगा.

ये भी पढ़ें- VIDEO: नोट के दम पर वोट बटोरने चले थे मुखिया प्रत्याशी के पति, लोगों ने पकड़कर कर दी धुनाई

14 से 16 नवंबर के बीच राज्य के 29 जिलों में राज्य बाल संरक्षण समिति, समाज कल्याण विभाग के निर्देशन में सेव द चिल्ड्रेन, ऐक्शन एड, प्रथम, उदयन केयर, सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस इन ऑल्टरनेटिव केयर की टीम के माध्यम से आयोजित किया जा रहा है. इसमें राज्य के सभी 34 बाल/बालिका गृहों से भी बच्चे-बच्चियां शामिल होंगे. जिला स्तरीय आयोजन के बाद हर जिले से एक लड़का या लड़की राज्य स्तर पर 19 नवंबर को आयोजित होने वाले राज्य बाल दरबार में भाग लेंगे.

इस विशेष पहल के उद्देश्य पर रौशनी डालते हुए समाज कल्याण विभाग के निदेशक राजकुमार ने कहा कि इससे जहां विभिन्न सरकारी विभागों को बाल अधिकारों के बारे में जागरूक करने में मदद मिलेगी. वहीं बच्चों से सीधे संवाद कर नीति निर्धारकों को किशोर और किशोरियों के मुद्दों और सरोकारों को बेहतर ढंग से जानने-समझने और कारगर योजनाएं बनाने में भी मदद मिलेगी.

सीतामढ़ीः समाहरणालय स्थित जिलाधिकारी कार्यालय में बुधवार को बच्चों के 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने डीएम सुनील कुमार यादव (DM Sunil Kumar Yadav) से मुलाकात की. जहां समाज कल्याण विभाग और यूनिसेफ द्वारा राष्ट्रीय बाल दिवस के मौके पर लगने वाले बाल अधिकार सप्ताह (child rights week) में बच्चों ने अपनी परेशानियों पर चर्चा की. बता दें कि 14 नवंबर से 20 नवंबर तक जनता दरबार की तर्ज पर शुरू किए गए इस पहल के जरिए बच्चों को एक प्रभावी मंच मुहैया कराया जा रहा है.

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डीएम से मुलाकात के दौरान बच्चों और किशोरियों ने बीते रविवार 14 नवंबर को जिला बाल संरक्षण इकाई/ बाल गृह और प्रथम संस्था के सहयोग से आयोजित बाल दरबार में अपनी समस्याओं, मुद्दों और अधिकारों को लेकर तैयार किए गए चार्टर ऑफ डिमांड्स और सुझाव सौंपे.

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जिलाधिकारी सुनील कुमार यादव ने राज्य सरकार और यूनिसेफ़ की इस अनूठी पहल की सराहना करते हुए कहा कि बाल हित के लिए एक सराहनीय पहल है. उन्होंने कहा कि हमारे लिए हर एक बच्चा महत्वपूर्ण है. बच्चों का अधिकार दिलवाने के लिए जिला प्रशासन गंभीर है. डीएम से मिलकर और उनसे बातचीत कर बच्चे-बच्चियां काफी उत्साहित थे. 16 वर्षीय मो. वाहिद रजा ने कहा कि बालश्रम की उन्मूलन एवं पुनर्वास जरूरी है. 16 साल की अमृता आर्य ने कहा कि बाल विवाह में कमी आयी है लेकिन उन्मूलन की दिशा में जागरुकता की जरूरत है.

वहीं, सोनाक्षी ने बताया कि विद्यालय में संगीत की पढ़ाई हो, बेटी बचाने की दिशा में कार्रवाई की जरूरत है. अपनी बात रखते हुए काल्पनिक नाम एसब छोटू बच्चा ने होम से बाहर पढ़ाई करने की बात बताई. जिलाधिकारी ने सभी बच्चों को बहुत धैर्य से सुना और उनके सवालों के जवाब भी दिया. दो-तीन महत्वपूर्ण सवालों को लेकर डीएम ने टास्क फोर्स की बैठक करने, नगरपालिका और विद्यालय में संगीत शिक्षक के लिए भी संबंधित पदाधिकारी को निर्देश दिया.

बता दें कि जनता दरबार की तर्ज पर शुरू किए गए इस पहल के जरिए बच्चों को एक प्रभावी मंच मुहैया करवाया जा रहा है. जहां वे अपने मुद्दों, समस्याओं और सरोकारों के बारे में आपस में खुलकर चर्चा कर सकें. इसी कड़ी में उन्हें जिलास्तरीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से खुलकर संवाद करने का भी मौका मिलेगा. संवाद के दौरान मिले बच्चों के सुझावों के आधार पर तैयार किए गए चार्टर ऑफ़ डिमांड्स को बच्चों के प्रतिनिधिमंडल द्वारा जिला एवं राज्य स्तर पर संबद्ध अधिकारियों और नीतिनिर्धारकों को सौंपा जाएगा.

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14 से 16 नवंबर के बीच राज्य के 29 जिलों में राज्य बाल संरक्षण समिति, समाज कल्याण विभाग के निर्देशन में सेव द चिल्ड्रेन, ऐक्शन एड, प्रथम, उदयन केयर, सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस इन ऑल्टरनेटिव केयर की टीम के माध्यम से आयोजित किया जा रहा है. इसमें राज्य के सभी 34 बाल/बालिका गृहों से भी बच्चे-बच्चियां शामिल होंगे. जिला स्तरीय आयोजन के बाद हर जिले से एक लड़का या लड़की राज्य स्तर पर 19 नवंबर को आयोजित होने वाले राज्य बाल दरबार में भाग लेंगे.

इस विशेष पहल के उद्देश्य पर रौशनी डालते हुए समाज कल्याण विभाग के निदेशक राजकुमार ने कहा कि इससे जहां विभिन्न सरकारी विभागों को बाल अधिकारों के बारे में जागरूक करने में मदद मिलेगी. वहीं बच्चों से सीधे संवाद कर नीति निर्धारकों को किशोर और किशोरियों के मुद्दों और सरोकारों को बेहतर ढंग से जानने-समझने और कारगर योजनाएं बनाने में भी मदद मिलेगी.

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