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अब भी खेतों में फसल के अवशेष जला रहे हैं किसान, नहीं है कानूनी प्रावधानों की जानकारी

किसान फसल के अवशेषों को अपनी खेतों में न जलाकर अगर उसे अवशेष में पानी डालकर, उसे सड़ाकर खाद के रूप में उपयोग करें तो उत्पादन में काफी बढ़ोतरी होगी. खाद बनाने के लिए अवशेषों में पानी डालकर और उसमें वेस्ट डी कंपोजर नामक केमिकल का उपयोग कर, उसे जैविक खाद बनाया जा सकता है.

फसल का अवशेष जलाने से पर्यावरण को हो रहा नुकसान
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Published : Nov 23, 2019, 1:47 PM IST

सीतामढ़ी: सरकार के प्रतिबंध लगाने के बावजूद जिले में जागरुकता की कमी के कारण अधिकांश किसान अपनी फसल के अवशेष को खुलेआम खेतों में जलाकर वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं. जबकि सरकार की ओर से अवशेष जलाने पर कठोर कार्रवाई के प्रावधान किए गए हैं. लेकिन इस कानूनी कार्रवाई की बात से किसान अनभिज्ञ हैं.

उन्हें कृषि विभाग की ओर से अब तक इस बात की जानकारी नहीं दी गई है कि खेतों में फसल के अवशेष जलाने पर क्या क्षति होती है. इसकी वजह से अधिकांश प्रखंडों के किसान अवशेष को खुलेआम जलाकर प्रदूषण को बढ़ावा देने में लगे हैं.

पर्यावरण को हो रहा है नुकसान
कृषि विभाग के कर्मी के अनुसार अवशेष जलाने से जहां पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. वहीं धरती की 6 इंच भूमि में पोषक तत्व होता है जो फसल को बेहतर बनाने में सहायक होता है. वह पोषक तत्व आग जलाने के बाद नष्ट हो जाते हैं. जिसके कारण पैदावार काफी कम होती है और ये कानूनन अपराध भी है. कृषि विभाग के कर्मियों का कहना है कि मिट्टी में मित्र और शत्रु दोनों प्रकार के कीट पाए जाते हैं. जो आग जलाने के बाद नष्ट हो जाते हैं. इसलिए फसल के अवशेष को खेतों में न जलाकर उसका उपयोग जैविक खाद बनाने में किया जा सकता है.

burning of crop residues causing pollution
खेतों में जलता फसल का अवशेष

जैविक खाद बनाने का तरीका
किसान फसल के अवशेषों को अपनी खेतों में न जलाकर अगर उसे अवशेष में पानी डालकर, उसे सड़ाकर खाद के रूप में उपयोग करें तो उत्पादन में काफी बढ़ोतरी होगी. खाद बनाने के लिए अवशेषों में पानी डालकर और उसमें वेस्ट डी कंपोजर नामक केमिकल का उपयोग कर, उसे जैविक खाद बनाया जा सकता है. इसका उपयोग फसल में करने पर उत्पादन में काफी बढ़ोतरी होती है. साथ ही वो खेतों और फसलों के लिए काफी लाभदायक भी साबित होता है.

जानकारी देते कृषि समन्वयक

ये भी पढ़ें: ईटीवी भारत की पहल: गैस सिलेंडर लेते वक्त इन बातों का रखें ध्यान, जरा सी लापरवाही बन सकती है जानलेवा

जानकारी के अभाव में जला रहे अवशेष
अवशेष जलाने वाले किसानों ने कहा कि वो ऐसा जानकारी के अभाव में कर रहे हैं. उन्हें ये पता नहीं है कि अवशेष जलाने से वातावरण के साथ-साथ खेतों के लिए भी ये कितना नुकसानदेह होता है. इसके लिए कृषि विभाग की ओर से उन्हें अब तक जागरूक नहीं किया गया है. लिहाजा वो अवशेष को जलाकर उसे खाद के रूप में प्रयोग करते हैं. किसान कहते हैं कि उन्हें ये भी नहीं मालूम कि सरकार की ओर से इसके लिए कठोर कानून भी बनाए गए हैं.

सीतामढ़ी: सरकार के प्रतिबंध लगाने के बावजूद जिले में जागरुकता की कमी के कारण अधिकांश किसान अपनी फसल के अवशेष को खुलेआम खेतों में जलाकर वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं. जबकि सरकार की ओर से अवशेष जलाने पर कठोर कार्रवाई के प्रावधान किए गए हैं. लेकिन इस कानूनी कार्रवाई की बात से किसान अनभिज्ञ हैं.

उन्हें कृषि विभाग की ओर से अब तक इस बात की जानकारी नहीं दी गई है कि खेतों में फसल के अवशेष जलाने पर क्या क्षति होती है. इसकी वजह से अधिकांश प्रखंडों के किसान अवशेष को खुलेआम जलाकर प्रदूषण को बढ़ावा देने में लगे हैं.

पर्यावरण को हो रहा है नुकसान
कृषि विभाग के कर्मी के अनुसार अवशेष जलाने से जहां पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. वहीं धरती की 6 इंच भूमि में पोषक तत्व होता है जो फसल को बेहतर बनाने में सहायक होता है. वह पोषक तत्व आग जलाने के बाद नष्ट हो जाते हैं. जिसके कारण पैदावार काफी कम होती है और ये कानूनन अपराध भी है. कृषि विभाग के कर्मियों का कहना है कि मिट्टी में मित्र और शत्रु दोनों प्रकार के कीट पाए जाते हैं. जो आग जलाने के बाद नष्ट हो जाते हैं. इसलिए फसल के अवशेष को खेतों में न जलाकर उसका उपयोग जैविक खाद बनाने में किया जा सकता है.

burning of crop residues causing pollution
खेतों में जलता फसल का अवशेष

जैविक खाद बनाने का तरीका
किसान फसल के अवशेषों को अपनी खेतों में न जलाकर अगर उसे अवशेष में पानी डालकर, उसे सड़ाकर खाद के रूप में उपयोग करें तो उत्पादन में काफी बढ़ोतरी होगी. खाद बनाने के लिए अवशेषों में पानी डालकर और उसमें वेस्ट डी कंपोजर नामक केमिकल का उपयोग कर, उसे जैविक खाद बनाया जा सकता है. इसका उपयोग फसल में करने पर उत्पादन में काफी बढ़ोतरी होती है. साथ ही वो खेतों और फसलों के लिए काफी लाभदायक भी साबित होता है.

जानकारी देते कृषि समन्वयक

ये भी पढ़ें: ईटीवी भारत की पहल: गैस सिलेंडर लेते वक्त इन बातों का रखें ध्यान, जरा सी लापरवाही बन सकती है जानलेवा

जानकारी के अभाव में जला रहे अवशेष
अवशेष जलाने वाले किसानों ने कहा कि वो ऐसा जानकारी के अभाव में कर रहे हैं. उन्हें ये पता नहीं है कि अवशेष जलाने से वातावरण के साथ-साथ खेतों के लिए भी ये कितना नुकसानदेह होता है. इसके लिए कृषि विभाग की ओर से उन्हें अब तक जागरूक नहीं किया गया है. लिहाजा वो अवशेष को जलाकर उसे खाद के रूप में प्रयोग करते हैं. किसान कहते हैं कि उन्हें ये भी नहीं मालूम कि सरकार की ओर से इसके लिए कठोर कानून भी बनाए गए हैं.

Intro:सरकार के लाख प्रतिबंध के बावजूद जिले के किसान खुलेआम खेतों में जला रहे अवशेष।वातावरण को कर रहे प्रदूषित।Body: सरकार के प्रतिबंध लगाने के बावजूद जिले में जागरूकता की कमी के कारण अधिकांश किसान अपने फसल के मलबे (अवशेष ) को खुलेआम खेतों में जलाकर वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं। जबकि सरकार की ओर से अवशेष जलाने पर कठोर कार्रवाई के प्रावधान किए गए हैं। लेकिन इस कानूनी कार्रवाई की बात से किसान अनभिज्ञ हैं और उन्हें कृषि विभाग की ओर से अब तक इस बात की जानकारी नहीं दी गई है कि खेतों में फसल के अवशेष जलाने पर क्या क्षति होती है।इस कारण अधिकांश प्रखंडों के किसान अवशेष को खुलेआम जलाकर प्रदूषण को बढ़ावा देने में लगे हैं।
उपला जलाने से नुकसान:____
कृषि विभाग के कर्मी के अनुसार अवशेष जलाने से जहां पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। वहीं धरती कि 6 इंच भूमि में पोषक तत्व होता है जो फसल को बेहतर बनाने में सहायक होता है वह पोषक तत्व आग जलाने के बाद नष्ट हो जाता है। जिस कारण पैदावार काफी कम होती है। और यह कानूनन रूप से अपराध भी है। कृषि विभाग के कर्मियों का बताना है कि मिट्टी में मित्र और शत्रु दोनों प्रकार के कीट पाए जाते हैं जो आग जलाने के बाद नष्ट हो जाता है। इसलिए फसल के अवशेष को खेतों में ना जला कर उसका उपयोग जैविक खाद बनाने में किया जा सकता है।
जैविक खाद बनाने का तरीका:_______
किसान फसल के अवशेषों को अपने खेतों में ना जला कर अगर उस अवशेष में पानी डालकर उसे संडा कर खाद के रूप में उपयोग करें तो उत्पादन में काफी बढ़ोतरी होगी। खाद बनाने के लिए अवशेषों में पानी डालकर और उसमें वेस्ट डी कंपोजर नामक केमिकल का उपयोग कर उसे जैविक खाद बनाया जाए और उसका उपयोग फसल में करने पर उत्पादन में काफी वृद्धि होती है। और वह खेतों और फसलों के लिए काफी लाभदायक भी साबित होता है।
किसानों की शिकायत:_______
अवशेष जलाने वाले किसानों ने कैमरे से बचते हुए ऑफ द रिकॉर्ड बताया कि वह ऐसा जानकारी के अभाव में कर रहे हैं। उन्हें यह पता नहीं कि अवशेष जलाने से वातावरण के साथ-साथ खेतों के लिए यह कितना नुकसानदेह होता है। इसके लिए कृषि विभाग की ओर से उन्हें अब तक जागरूक नहीं किया गया है। लिहाजा वह अवशेष को जलाकर उसे खाद के रूप में प्रयोग करने की बात कहते हैं। उन्हें यह भी नहीं मालूम कि सरकार की ओर से इसके लिए कठोर कानून भी बनाए गए हैं। लिहाजा जानकारी के अभाव में किसान अवशेषों को जलाने में जुटे हुए हैं। अगर इससे होने वाले नुकसान की सही जानकारी उन्हें दी जाती है या मिल गई है तो अब वह भविष्य में ऐसा नहीं करेंगे।
बाइट 1. समीर कुमार। कृषि समन्वयक।
पी टू सी 2.
विजुअल 3,4,5,6,7,8,9,10Conclusion:पी टू सी :__राहुल देव सोलंकी। सीतामढ़ी।

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