सीतामढ़ी: जिले के परसौनी थाना क्षेत्र के रमुनि गांव निवासी बीएसएफ जवान आनंद कुमार सिंह की श्रीनगर के पठान चौक में मौत की सूचना मिलने के बाद परिवार में कोहराम मचा हुआ है. लोगों को अपने सुने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा है. पूरे लॉकडाउन के दौरान आनंद अपने गांव पर ही रहा. 5 जून को ही वह गांव से रवाना हुआ था और 6 जुलाई को उसकी मौत की खबर आ गई. जिससे लोग हैरत में हैं.
आसपास के क्षेत्रों में शोक की लहर
मौत की सूचना मिलने के बाद आनंद कुमार सिंह के बड़े भाई, उनकी पत्नी और पुत्र श्रीनगर के लिए रवाना हो गए हैं. आनंद कुमार 22 वर्ष पूर्व इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद बीएसएफ में बहाल हुए थे. विगत 10 वर्षों से वह श्रीनगर के पुलवामा और आसपास के क्षेत्रों में तैनात रहे. रविवार यानी 5 जुलाई की रात आनंद ने अपनी पत्नी रिंकू सिंह से मोबाइल पर बातचीत कर परिवार के समाचार की जानकारी भी ली थी. लेकिन अचानक सोमवार को बीएसएफ के वरीय पदाधिकारी ने आनंद कुमार सिंह की पत्नी को फोन कर उनकी मौत की सूचना दी. जिसके बाद से परिवार में कोहराम मच गया.
कोरोना संक्रमण के कारण हुई मौत
सूचना के बाद आनंद के बड़े भाई ध्रुव कुमार सिंह, आनंद की पत्नी और पुत्र श्रीनगर पहुंच गए हैं. परिवार के सदस्यों का कहना है कि बीएसएफ के पदाधिकारियों ने आनंद के मौत का कारण कोरोना संक्रमण बताया है. जबकि आनंद रविवार की रात अपनी पत्नी से बातचीत करने के दौरान तबीयत खराब होने की बात भी नहीं कही थी. अचानक सोमवार को कोरोना से मौत की खबर मिलने के बाद से परिवार के सदस्यों को तरह-तरह की आशंका सता रही है. आखिर आनंद की मौत का सही कारण क्या है?
5 जून को श्रीनगर के लिए हुए रवाना
मृतक बीएसएफ जवान आनंद कुमार सिंह के बड़े भाई और ग्रामीणों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान आनंद अपने गांव पर ही रहा. 5 जून को वह श्रीनगर के लिए रवाना हुआ था. उस दौरान दिल्ली में 14 दिनों तक वह क्वॉरेंटाइन में भी रहा. उसके बाद वह श्रीनगर गया, तब से वह ड्यूटी पर तैनात था. प्रतिदिन परिवार के सदस्यों से बातचीत किया करता था. लेकिन वह अपनी तबीयत खराब के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी थी.
जदयू जिलाध्यक्ष ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग
वहीं घटना की सूचना प्राप्त होने के बाद जदयू जिलाध्यक्ष राणा रणधीर सिंह चौहान मृतक आनंद कुमार सिंह के परिजनों से मिलने उनके पैतृक गांव पहुंचे. इस दौरान राणा रणधीर सिंह ने बताया कि बीएसएफ जवान आनंद कुमार सिंह शहीद हुए हैं. उनकी शहादत बेकार नहीं जाने देंगे. उनकी मौत की जो सूचना पदाधिकारियों ने दी है. उसमें हमें संशय है. क्योंकि प्रोटोकॉल के तहत देश की सेवा करने वाले किसी जवान या पदाधिकारी की मौत होती है तो सबसे पहले उसके गृह जिले के जिलाधिकारी और एसपी को इसकी सूचना दी जाती है. लेकिन बीएसएफ के पदाधिकारियों ने आनंद के मौत की कोई भी सूचना जिले के पदाधिकारियों को नहीं दी है. जब आनंद कोरोना से संक्रमित था तो पहले इसकी जानकारी परिजनों को क्यों नहीं दी गई? आगे उन्होंने कहा कि आनंद की शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देंगे और उसकी मौत की उच्च स्तरीय जांच की मांग करेंगे. ताकि आनंद की मौत के सही कारणों का पता चल सके.
बच्चों के सर से उठा पिता का साया
मृतक बीएसएफ जवान आनंद कुमार सिंह ड्यूटी के दौरान कर्तव्य का निर्वहन करते-करते मौत को गले लगा लिया. लेकिन उसने अपने दर्द को कभी पत्नी और बच्चों से बयां नहीं किया. आनंद अपने पीछे दो पुत्री और एक पुत्र छोड़ गए हैं. बड़ी पुत्री बीएससी द्वितीय वर्ष, छोटी पुत्री आईएससी और पुत्र वर्ग 8 का छात्र है. सभी की पढ़ाई-लिखाई सीतामढ़ी में ही हो रही थी. लेकिन अब पिता के नहीं रहने से तीनों बच्चों के सामने भरण-पोषण और आगे की पढ़ाई जारी रखने की समस्या आ खड़ी है.
डीएम एसपी ने जताई अनभिज्ञता
आनंद कुमार सिंह की मौत के संबंध में जब जिले के डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा और एसपी अनिल कुमार से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बीएसएफ के पदाधिकारियों ने आनंद कुमार सिंह की मौत की कोई जानकारी उन्हें नहीं दी है. आखिर जिले के सपूत आनंद की मौत बीमारी से हुई है या किसी अन्य कारणों से, इसकी जानकारी जिला पदाधिकारी और पुलिस पदाधिकारी को मिलनी चाहिए थी. लेकिन बीएसएफ के पदाधिकारियों ने ऐसा ना कर सिर्फ आनंद की मौत की सूचना उनकी पत्नी को दी है और मौत का कारण कोरोना संक्रमण बताया है. इसलिए परिवार और उनके करीबी लोगों के मन में तरह-तरह की आशंका उत्पन्न हो रही है. सभी आनंद कुमार के मौत के सही कारणों को जानना चाहते हैं.