सीतामढ़ी: कोरोना वायरस के कारण बिहार को 31 मार्च तक के लिए लॉक डाउन किया है. आलम यह है कि लोग अपने घर में राशन और सब्जियों के स्टॉक जमा करने लगे हैं. लोगों को डर है कि कहीं ऐसी स्थिति न उत्पन्न हो जाए कि खाने-पीने का सामान भी न मिल पाए. इस कारण पहले 15-20 रुपये में मिल रहा था, वहीं, अब 30-40 रुपये में बिक रहा है. इस कारण लोग परेशान हैं. जिला प्रशासन से लोगों ने इस समस्या को लेकर शिकायत की है, लेकिन प्रशासन ने अब तक इस मामले को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई है.
22 मार्च तक जिले में आलू ₹12 प्रति किलो और प्यार ₹24 प्रति किलो की दर से बिक रही थी, लेकिन लॉक डाउन लागू होने के बाद से वहीं, आलू 20 से ₹25 प्रति किलो और प्याज 35 से ₹40 प्रति किलो की दर से बेची जा रही है. इस समस्या की शिकायत पीड़ित जनता ने स्थानीय अधिकारियों से की है, लेकिन अब तक कालाबाजारी करने वाले व्यवसाई के खिलाफ किसी भी प्रकार की करवाई नहीं की गई है.
खाद्य सामग्रियों के दाम में वृद्धि
आलू प्याज के साथ-साथ सभी प्रकार की आवश्यक खाद्य सामग्रियों के दाम में भी वृद्धि कर दी गई है. ₹38 प्रति केजी की दर से बिकने वाला चीनी ₹50 किलो तक बेचे जा रहे हैं. इसके साथ ही सरसों तेल, रिफाइंड, सोयाबीन, दाल, मैदा, सूजी चना और हरी सब्जी भी महंगी कर दी गई है. हालांकि स्थानीय लोगों की फरियाद के बाद अधिकारियों ने वैसे व्यवसाई को चिन्हित कर कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन कालाबाजारी करने वाला व्यवसाई को इस कानूनी कार्रवाई का डर नहीं है और वह खुलेआम इस आपदा की घड़ी में भी कालाबाजारी को अंजाम देने में दिन-रात लगे हुए हैं.
'बाजार समिति में भी समान महंगा'
वैश्विक आपदा के बीच कालाबाजारी का यह गंदा खेल प्रखंड मुख्यालय के साथ-साथ जिला मुख्यालय में भी किया जा रहा है. कालाबाजारी करने वाले व्यवसायियों का कहना है कि मुजफ्फरपुर और बाजार समिति सीतामढ़ी के बड़े व्यवसाई लॉक डाउन होने के बाद से सामग्री के दामों में बेतहाशा वृद्धि कर दिया है. इसलिए महंगा खरीद होने के कारण महंगा बेचा जा रहा है.