शेखपुरा: जिला में दो दिनों पहले सदर अस्पताल से नवजात के चोरी होने का मामला सामने आया था. इस घटना को घटित हुए 48 घंटे बीत चुके हैं. लेकिन दोषियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. वहीं प्रशासन की कार्यशैली से नाराज सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण एवं परिजन अस्पताल में इकट्ठा होकर बच्चा वापसी की मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही अस्पताल में घुसकर जहां-तहां तोड़फोड़ करना शुरू कर दिया है.
सीसीटीवी फुटेज में दिखी संदिग्ध महिला
इस मामले में घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने सदर अस्पताल के घटना के समय सीसीटीवी बंद रहने के कारण दवा दुकान के सीसीटीवी को खंगाला. इस फुटेज में एक महिला दूसरी महिला को बच्चा देकर बाइक पर सवार होकर बच्चे को ले जाते हुए देखी गई है. पुलिस महिला की पहचान के लिए जगह-जगह तलाश करना शुरू कर दी है. इस दौरान आक्रोशित ग्रामीणों और परिजनों के बुलाने पर स्थानीय सामाजिक कार्यकर्त्ता राजद के प्रदेश महासचिव विजय सम्राट और लोजपा जिलाध्यक्ष इमाम गजाली अस्पताल पहुंचे. इस दौरान उन्होंने बच्चें की बरामदगी और चोर की पहचान करने के लिए अस्पताल प्रबंधन और सदर थाना को तत्वरित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है. इस दौरान राजद की टीम ने जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से 24 घंटे के अन्दर बच्चे की सकुशल वापसी का अल्टीमेटम दिया है. वहीं पुलिस ने घटना के दौरान ड्यूटी पर तैनात तीन स्वास्थ्य कर्मियों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है.
बच्चा चोरी कर जाती हुई महिला हिरासत में तीन स्वास्थ्यकर्मी दवा दुकान की सीसीटीवी में देखा गया कि एक महिला हरे रंग की साड़ी में, जो दूसरी महिला लाल रंग की साड़ी में है उसे बच्चे को दे रही है. वहीं हरे रंग की साड़ी पहनी महिला एक बाइक सवार के साथ अस्पताल से बाहर निकल गई. दूसरी महिला भी बच्चे को लेकर धीरे-धीरे अस्पताल परिसर के बाहर निकल गई. इस फुटेज के आधार पुलिस प्रशासन महिला की तलाशी में जुट गए है. इसके साथ ही तीन स्वास्थ्यकर्मी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दिया गया है.
सदर अस्पताल की विधि व्यवस्था लाचार राजद के प्रदेश महासचिव विजय सम्राट और लोजपा के जिलाध्यक्ष इमाम गजाली ने कहा है कि सदर अस्पताल में विधि व्यवस्था लचर है. यहां ज्यादातर स्वास्थ्यकर्मी और चिकित्सक शेखपुरा में न रहकर बिहारशरीफ में रहते है. इसके साथ ही समय पर ड्यूटी भी नहीं आते हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि मरीजों से नाजायज वसूली के साथ-साथ उसे छोटे-मोटे मामले में भी इलाज के बजाय प्राइवेट क्लीनिक में रेफर कर दिया जाता है. इससे गरीब मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं सुरक्षा में तैनात गार्ड भी बिना परिचय पत्र लिए किसी भी अनजान व्यक्ति को प्रसव एवं इमरजेंसी वार्ड में जाने की छूट दे देते है.
अस्पताल प्रशासन से पूछताछ करती पुलिस शक के दायरे में अस्पताल के कर्मचारी इस पूरे मामले में पुलिस का कहना है कि इस शातिराना चाल के पीछे कही न कही अस्पताल में काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मी की भूमिका है. थानाध्यक्ष अखिलेश कुमार ने बताया कि बिना किसी अस्पताल कर्मी की मिली भगत से इस तरह का कार्य कोई बाहरी व्यक्ति नहीं कर सकता. इस मामले में एक-एक संदिग्ध व्यक्ति से तफ्तीश की जा रही है और बहुत जल्द ही काले कारनामे के फर्जीवाड़ा का भंडाफोड़ किया जाएगा. इस मामले में साइबर टीम भी जांच में जुटी हुई है.