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शेखपुरा: वंशावली में पुत्र के साथ पुत्रियों का नाम भी जरूरी

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Published : Dec 13, 2020, 8:19 PM IST

बिहार विशेष भू-सर्वेक्षण से एक बार फिर से बेटियों को अधिकार को शक्ति मिलने जा रही है. बेटियों के नाम को वंशावली में शामिल करना अनिवार्य किया गया है.

शेखपूरा
वंशवृक्ष में पुत्र के साथ पुत्रियों का नाम भी जरूरी

शेखपुरा: बिहार विशेष भू-सर्वेक्षण से एक बार फिर से बेटियों को अधिकार को शक्ति मिलने जा रही है. बेटियों के नाम को वंशावली में शामिल करना अनिवार्य किया गया है.

वहीं, इस बाबत जानकारी देते हुए प्रभारी पदाधिकारी बंदोबस्त सह अपर समाहर्ता सत्यप्रकाश शर्मा ने बताया कि जिले में विभिन्न मौजा के रैयतों के जमीन के कागजात प्रपत्र के साथ जमा लेने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है. संबंधित मौजा के रैयत अपने-अपने जमीनों के कागजात सम्बंधित शिविर में जमा कर सकते हैं. सर्वेक्षण के लिए संबंधित प्रपत्र 02 में जमीन से जुड़ी जानकारी और प्रपत्र 03 में वंशावली की जानकारी देनी है. दोनों प्रपत्रों के साथ अंकित जानकारी का साक्ष्य भी संलग्न करना अनिवार्य है. प्रपत्र 03 में रैयतों को वंशावली की जानकारी के साथ वंशवृक्ष बनाकर संलग्न करना है.

जमीन का दाखिल खारिज होने पर ही उसे सर्वेक्षण के लिए किया जाना है प्रस्तुत
सत्यप्रकाश शर्मा ने कहा कि वंशावली में भू-स्वामियों को बेटों के साथ-साथ बेटियों का नाम डालना भी अनिवार्य है. क्योंकि व्यवहारिक रूप से समाज में पुत्रियों का अधिकार विवाह के साथ ही खत्म मान लिया जाता हैं. यही नहीं, पिता की जिम्मेदारी भी पुत्री के विवाह तक ही सीमित मानी जाती है. लोगों को केवाला से प्राप्त जमीन का दाखिल खारिज होने पर ही उसे सर्वेक्षण में प्रस्तुत किया जाना है.

हालांकि, जमीन की दाखिल खारिज की प्रक्रिया में प्रारंभ किए जाने के बाद सर्वेक्षण के लिए कागजात प्रस्तुत किया जा सकता है. लेकिन सर्वे का काम तब तक लंबित रहेगा जब तक संबंधित जमीन का मोटेशन नहीं हो जाता है. उन्होंने कहा कि भू-स्वामियों को वंशावली में हरहाल में अपने पुत्रियों का नाम अंकित करना अनिवार्य है.

शेखपुरा: बिहार विशेष भू-सर्वेक्षण से एक बार फिर से बेटियों को अधिकार को शक्ति मिलने जा रही है. बेटियों के नाम को वंशावली में शामिल करना अनिवार्य किया गया है.

वहीं, इस बाबत जानकारी देते हुए प्रभारी पदाधिकारी बंदोबस्त सह अपर समाहर्ता सत्यप्रकाश शर्मा ने बताया कि जिले में विभिन्न मौजा के रैयतों के जमीन के कागजात प्रपत्र के साथ जमा लेने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है. संबंधित मौजा के रैयत अपने-अपने जमीनों के कागजात सम्बंधित शिविर में जमा कर सकते हैं. सर्वेक्षण के लिए संबंधित प्रपत्र 02 में जमीन से जुड़ी जानकारी और प्रपत्र 03 में वंशावली की जानकारी देनी है. दोनों प्रपत्रों के साथ अंकित जानकारी का साक्ष्य भी संलग्न करना अनिवार्य है. प्रपत्र 03 में रैयतों को वंशावली की जानकारी के साथ वंशवृक्ष बनाकर संलग्न करना है.

जमीन का दाखिल खारिज होने पर ही उसे सर्वेक्षण के लिए किया जाना है प्रस्तुत
सत्यप्रकाश शर्मा ने कहा कि वंशावली में भू-स्वामियों को बेटों के साथ-साथ बेटियों का नाम डालना भी अनिवार्य है. क्योंकि व्यवहारिक रूप से समाज में पुत्रियों का अधिकार विवाह के साथ ही खत्म मान लिया जाता हैं. यही नहीं, पिता की जिम्मेदारी भी पुत्री के विवाह तक ही सीमित मानी जाती है. लोगों को केवाला से प्राप्त जमीन का दाखिल खारिज होने पर ही उसे सर्वेक्षण में प्रस्तुत किया जाना है.

हालांकि, जमीन की दाखिल खारिज की प्रक्रिया में प्रारंभ किए जाने के बाद सर्वेक्षण के लिए कागजात प्रस्तुत किया जा सकता है. लेकिन सर्वे का काम तब तक लंबित रहेगा जब तक संबंधित जमीन का मोटेशन नहीं हो जाता है. उन्होंने कहा कि भू-स्वामियों को वंशावली में हरहाल में अपने पुत्रियों का नाम अंकित करना अनिवार्य है.

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