शेखपुरा: जिले भर में कार्यरत संविदा कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सभी कर्मी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं. यह हड़ताल बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ के आह्वान पर जिले के सभी अस्पतालों में संविदा पर कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों ने अपने 17 सूत्री मांगों के समर्थन में किया है.
सोमवार को किया गया सिर्फ सांकेतिक हड़ताल
संघ के जिला अध्यक्ष संदीप भारती ने बताया कि सोमवार को सिर्फ सांकेतिक हड़ताल किया गया है. अगर स्वास्थ्य विभाग संगठन मांगों को पूरा नहीं करेगी तो 21 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हो जाएगा. सदर अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक धीरज कुमार ने बताया कि देश इस समय कोरोना संकट से जूझ रहा है. ऐसे समय में सभी संविदा पर बहाल कर्मी जान जोखिम में डालकर लगातार 24 घंटा ड्यूटी कर रहे हैं. ईमानदारी पूर्वक कार्य करने पर भी स्वास्थ विभाग द्वारा न केवल कर्मियों की उपेक्षा की जा रही है बल्कि हल्की चुक होने पर उसे आधार बनाकर कार्रवाई करने का भी कार्य किया जा रहा है.
मांगों के समर्थन में डीपीएम कार्यालय का किया गया घेराव
17 सूत्रीय मांगों के समर्थन में स्वास्थ्य कर्मियों ने गिरिहिंडा स्थित डीपीएम कार्यालय का घेराव किया है. कर्मियों ने कहा कि बिहार सरकार उनकी मांगों के प्रति उदासीन बनी हुई है, जिसको लेकर सोमवार को सभी लोग सांकेतिक हड़ताल पर हैं. यदि इस दौरान उनकी मांगों पर विचार नहीं किया जाएगा तो मंगलवार से सभी संविदा कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे.
यह है 17 सूत्रीय मांग
संविदाकर्मियों ने बताया कि 17 सूत्रीय मांगों में उनकी सेवा का नियमितिकरण, समान कार्य के लिए समान वेतन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत सभी कर्मियों का वेतनमान का पुर्ननिधारण करना, डाटा आपरेटर आदि को आउटसोर्सिंग से मुक्त करते हुए जिला स्वास्थ्य समिति से नियोजित करते हुए उनके मानदेय में वृद्धि करने, एनएचएम अंतर्गत सभी संविदा कर्मियों को 15% प्रतिवर्ष वार्षिक वृद्धि करने, पूर्व से कार्यरत कर्मियों को 15 वर्ष की आयु की छूट एवं प्राथमिकता देने तथा राज्य से लेकर स्वास्थ्य केंद्र तथा संविदा पर कार्यरत पदाधिकारी अथवा कर्मियों को अतिरिक्त प्रभार न दिया जाए. अगर दी जाती है तो अतिरिक्त प्रभार पर उनके कार्य उपलब्धि को मानक मानते हुए किसी भी प्रकार की कोई दंडात्मक कार्रवाई पर अंकुश लगाया जाए. इसके साथ ही राज्य से लेकर स्वास्थ्य केंद्र तक प्रबंधकीय कैडर कर्मियों का 1 माह का समतुल्य प्रोत्साहन राशि सहित आदि शामिल है.
मरीजों को बढ़ी परेशानी
सरकार के द्वारा मांगों को पूरा नहीं करने से संविदा पर बहाल सभी चिकित्सक एवं कर्मी उग्र हैं, जिसके कारण इलाज कराने आए रोगियों एवं उनके परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. प्रतिदिन की भांति सदर अस्पताल के ओपीडी के खुलने से पहले ही रोगी पहुंच गए थे, लेकिन कर्मियों के हड़ताल पर रहने के कारण उनका इलाज नहीं हो सका. वहीं, निबंधन काउंटर पर पर्ची भी नहीं कटी. हालांकि आपातलकलिन सेवाएं चालू रहा. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों से इलाज कराने आए मरीजों को काफी फजीहत झेलनी पड़ी.