शेखपुरा: लॉकडाउन की वजह से हजारों मजदूर विभिन्न प्रांतों से अपने घर वापस आये थे. अचानक नौकरी छूट जाने की वजह से ये मजदूर बेरोगजार हो गए थे. इनमें से कई मजदूर ऐसे थे, जो शहर जाकर बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन, रोड कंस्ट्रक्शन, सिंचाई परियोजना, ईंट और पत्थर उद्योग में दिहाड़ी मजदूरी पर काम करते थे.
योजनाओं में भ्रष्टाचार
घर वापस आने पर जिला प्रशासन की ओर से दिए गए आश्वासन के तहत उन्हें लगा था कि अब घर में ही मनरेगा के तहत काम मिल जायेगा और उन्हें पुन दूसरे शहर को जाना नहीं पड़ेगा. लेकिन सरकारी और बिचौलियों की मिली भगत से जिस कदर मनरेगा की योजनाओं में भ्रष्टाचार का बोल-बाला है. उससे मजदूरों के अरमानों पर ठोकर लगा है. मजदूरों ने पुन पलायन करना शुरू कर दिया है.
क्या कहते हैं मजदूर
पलायन कर रहे मजदूरों ने अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए बताया कि दो माह पूर्व खेती-बाड़ी का समय था. इसलिए उन्हें कुछ काम भी मिल गया और उनके परिवार को दो शाम का भोजन मिल रहा था. अब खेती का काम भी सुस्त पड़ गया है. लिहाजा बाहर जाकर मजदूरी करना या पटरी पर जाकर साग-सब्जी बेचने का काम करेंगे. जिससे उसके परिवार का भरण पोषण हो सकेगा.
मनरेगा के तहत नहीं मिला काम
जब उससे पूछ गया कि क्या आपको मनरेगा के तहत काम नहीं मिला? उसने बड़े रूठे हुए स्वर में कहा कि जब नेता और अधिकारी का पेट भरेगा, तब ना मजदूरों को काम मिलेगा. उसने कहा कि मुखिया अंगूठा लगवा लेते हैं और पांच सौ रुपये देकर शेष राशि अपने पैकेट में रख लेते हैं. कहते हैं ऐसा नहीं करोगों तो काम नहीं देंगे. उसने कहा इससे अच्छा तो शहर जाकर फुटपाथ पर सब्जी बेच लेंगे या किसी ठेकेदार के अंदर काम करेंगे.
मजदूरों की आर्थिक स्थिति सुधरी
मजदूरों ने कहा कि कम से कम महीने का 10 से 15 हजार कमा ही लेंगे. वहीं सरकारी आकड़ों की बात करें तो, जिला प्रशासन का मानना है कि मनरेगा के तहत लक्ष्य के खिलाफ 182.08 प्रतिशत अधिक मजदूरों को काम मिला है और मनरेगा की वजह से पलायन पर रोक लगा है और मजदूरों की आर्थिक स्थिति सुधरी है.
पलायन करने की तैयारी
मिली जानकारी के अनुसार जिले के अरियरी, शेखोपुरसराय, बरबीघा, चेवाड़ा और घाटकुसुम्भा प्रखंड से हजारों की संख्या में मजदूर अगले एक माह में पलायन करने की तैयारी कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि ईंट-भट्टों पर काम करवाने वाले ठेकेदार के एजेंट पैसा लेकर जिले के विभिन्न गांव में मजदूरों को एडवांस राशि बांट रहे हैं. ताकि वह बंधुआ मजदूर के रूप में काम करने के लिए ईंट-भट्टे पर जाए.
दशहरे के बाद तक पलायन
मिली जानकारी के अनुसार पांच अक्टूबर के बाद से यह पलायन का सिलसिला शुरू हो जायेगा और दशहरे के बाद तक यह पलायन चलता रहेगा. दशहरा के बाद वैसे अर्द्ध कुशल मजदूरों के पलायन होने की संभावना है, जो लॉकडाउन की वजह से फैक्ट्रियों में काम होने के कारण घर आये थे.
वितरण योजना में अनिमियतता
मजदूरों की पलायन और मनरेगा की घोटाला पर चिंता व्यक्त करते हुए लोजपा के जिलाध्यक्ष इमाम गजाली ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान मनरेगा और राशन वितरण योजना में अनिमियतता की आवाज अक्सर बुलंद करते रहते हैं. लेकिन यहां के अधिकारी उनके बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट के सपना को चकनाचूर कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर सही से जांच हो, तो कई अधिकारी और मुखिया जांच के दायरे में आ जायेंगे.
उच्च स्तरीय जांच की मांग
सभी का पटना में आलिशान मकान तथा फ्लैट है. मनरेगा ने कई घोटालेबाजों को करोड़पति बना दिया है. इमाम गजाली ने इस मामले में पीएम से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. ताकि कोरोना काल में भी मजदूरों का शोषण करने अधिकारी और मुखिया बेनकाब हो सकें. उन्होंने कहा कि मनरेगा में अरबों रुपये खर्च होती है. लेकिन धरातल पर दिखती नहीं है.