शेखपुरा: बिहार में जब कोरोना की दूसरी लहर कहर बनकर मौत का सितम ढा रही थी, तब सरकार ने शेखपुरा के स्वास्थ्य विभाग को प्राणरक्षक दवा रेमडेसिवीर उपलब्ध कराई थी, लेकिन जब जरूरतमंद कोरोना मरीजाें काे रेमडेसिवीर की जरूरत पड़ी तो उनको यह दवा नहीं मिली. पीड़ित के परिजनों ने पटना सहित अन्य राज्यों में जाकर 40 हजार रुपए से अधिक पैसे खर्च कर ब्लैक मार्केटिंग से रेमडेसिवीर इंजेक्शन खरीदा.
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वहीं, शेखपुरा में रेमडेसिवीर की 238 वॉयल एक्सपायर (238 Vials of Remdesivir Expires in Sheikhpura) हो गई. जून 2022 तक और 5 वॉयल बेकार हो जाएंगी. यह जिम्मेदार पदाधिकारी की लापरवाही और तानाशाही का परिणाम है कि कोरोना से जंग लड़ने में सहायक रेमडेसिवीर की 238 डोज सितंबर 2021 में ही एक्सपायर हो गई, जबकि दूसरी लहर में कितने मरीजों ने रेमडेसिवीर इंजेक्शन के अभाव में दम तोड़ दिया.
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक रेमडेसिविर का वास्तविक मूल्य 4700 रुपए प्रति वॉयल है. ऐसे में 238 डोज के 11 लाख 18 हजार 600 रुपए मूल्य की दवा सितंबर में ही बर्बाद हो गई. तीसरी लहर में किसी भी मरीज की कोरोना से मौत नहीं हुई. किसी को रेमडेसिवीर की जरूरत भी नहीं पड़ी. ऐसे में विभाग की अलमीरा की शोभा बनी रेमडेसिवीर की 5 वॉयल जून 2022 तक एक्सपायर हो जाएंगी. यानी, 243 डोज के 11 लाख 42100 रुपए बर्बाद हो जाएंगे.
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि रेमडेसिवीर एक ऐसी दवा है, जिसका उपयोग कोरोना मरीज की जीवन की रक्षा के लिए अंतिम अस्त्र के रूप में किया जाता है. यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि कोरोना की दूसरी लहर की पीक अप्रैल और मई में थी. उस वक्त कोरोना मरीजों के परिजन इस जीवन रक्षक दवा के लिए इधर-उधर भटकते रहे थे. कई लोगों ने अपनों को बचाने के लिए पटना, कोलकाता और भुवनेश्वर जाकर इस दवा का इंतजाम किया. लोगों ने 30 से 50 हजार रुपए तक एक डोज की कीमत चुकाई. काला बाजारियों से दवा खरीदकर अपने लोगों की जान बचाई. अफसोसजनक बात यह है कि दूसरी लहर में शेखपुरा वासियों के लिए भेजी दवा खराब हो गई और यहां मरीज के परिजन एक डोज के लिए दर दर भटकते रहे.
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार शेखपुरा जिले को कोरोना की दूसरी लहर के दौरान रेमडेसिविर की 305 डोज मिली थी. इसमें से केवल 62 डोज का इस्तेमाल किया जा सका. जानकार बताते हैं कि यह डोज भी उन्हें दिया गया, जिसकी ऊंची पहुंच या पैरवी थी. चिकित्सकों के मुताबिक कोरोना से पीड़ित मरीज को रेमडेसिवीर का 6 डोज दिया जाता है. इसके बाद भी मरीज की स्थिति में सुधार नहीं होता है तो उसे 8 से 10 डोज दिया जा सकता है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक शेखपुरा जिले में कोरोना की दूसरी लहर में 73 लोगों की मौत हुई थी. इनमें कई ऐसे लोग थे, जो परिवार के लिए एकमात्र सहारा थे. उनकी मौत के बाद पूरा परिवार तबाह हो गया. समय पर ऐसे मरीजों को रेमडेसिवीर मिल गई होती तो उनकी जिंदगी भी बच गई होती. शेखपुरा में जब कोरोना की पीक थी, कोविड वार्ड में मरीजों को यह बताया जाता था कि रेमडेसिवीर आउट ऑफ स्टॉक है.
चिंताजनक बात यह है कि शेखपुरा में 238 डोज सितंबर 2021 में एक्सपायर हो गई, लेकिन स्वास्थ्य विभाग इसकी कमी बता रहा है. वह भी ऐसे वक्त में जब सरकार गंभीर थी और शेखपुरा के लिए काफी मात्रा में दवा भेजी थी. उस दौर में दवा नहीं मिलने पर लोग डॉक्टर, नर्स और पारा मेडिकल स्टाफ से उलझ जाते थे. ऐसे में जीवन रक्षक दवाओं का एक्सपायर होना विभाग की लापरवाही को उजागर करता है. स्थानीय लोगों ने ऐसे गैर जिम्मेवार लोगों को चिन्हित कर उन पर सख्त कार्रवाई की मांग की है.
सिविल सर्जन डॉ.पृथ्वीराज ने कहा कि जिन कोरोना मरीजों को रेमडेसिवीर की आवश्यकता थी, उन्हें दी गई. यह सच है कि 238 डोज एक्सपायर हुए हैं. जून 2022 तक अलग-अलग तिथियों में और 5 वॉयल एक्सपायर हो जाएंगे. अगर किसी व्यक्ति के मांगे जाने पर रेमडेसिवीर की डोज नहीं मिली या ब्लैक में खरीदना पड़ी तो उन्हें शिकायत करनी थी. तभी दोषी लोगों पर कार्रवाई हो सकती थी.
शेखपुरा जिला को 28 अप्रैल 2021 को 20 वॉयल, 02 मई 2021 को 50 वॉयल, 06 मई 2021 को 40 वॉयल, 20 मई को 88 और 107 वॉयल मिला था, जिसमें 235 वॉयल एक्सपायर होने पर 07 जून 2021 को वापस भेज दिया गया था, जबकि रखें 8 वॉयल में तीन वॉयल सितंबर 2021 को एक्सपायर हो गया और 5 बचे वॉयल जून 2022 को एक्सपायर हो जाएंगे.
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