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नियमावली के विरोध में शिक्षकों ने जलाई बिहार कैबिनेट के फैसले की प्रतियां

बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ की ओर से शिवहर में शिक्षा विभाग कार्यालय के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया गया. इस दौरान प्रधान शिक्षक व प्रधानाध्यापक के पद पर नियुक्ति संबंधित कैबिनेट में पारित फैसले की प्रति जलाकर शिक्षकों ने नारेबाजी की.

Sheohar news
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Published : Aug 21, 2021, 8:33 PM IST

शिवहर: बिहार के प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षक व उच्च व उच्चतर विद्यालयों में प्रधानाध्यापक बहाली को लेकर राज्य सरकार द्वारा लायी गयी नयी नियमावली का विरोध (Protest) किया जा रहा है. बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ (Elementary Teachers Association) के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार पप्पू के आह्वान पर सूबे के विभिन्न जिलों सहित शिवहर में भी शिक्षा विभाग कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया गया. प्रधान शिक्षक व प्रधानाध्यापक के पद पर नियुक्ति संबंधित कैबिनेट में पारित फैसले की प्रति जलाकर शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए जमकर नारेबाजी की.

यह भी पढ़ें- लखीसराय: सरकार के उदासीन रवैये से निजी स्कूल के शिक्षक नाराज

जिला प्रभारी नवनीत कुमार मनोरंजन, अध्यक्ष सुधीर कुमार सिंह, प्रधान सचिव मोहम्मद शर्फुद्दीन, वरीय उपाध्यक्ष रविन्द्र कुमार सिंह, प्रमंडल सचिव संजय प्रसाद, कार्यालय सचिव उदयशंकर गुप्ता ने संयुक्त रूप से कहा कि राज्य सरकार नियोजित शिक्षकों के साथ धोखाधड़ी कर रही है.

इन लोगों ने बताया कि प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2020 में प्रधान शिक्षक/प्रधानाध्यापक के पद को वर्तमान में कार्यरत योग्य व अनुभवी शिक्षकों की प्रोन्नति से भरे जाने का प्रावधान है लेकिन जब भी शिक्षक प्रोन्नति के करीब आते हैं तो नियमावली बदल दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है.

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि राज्य की तथाकथित सुशासन की सरकार ने प्रारंभिक, माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत करीब चार लाख शिक्षकों की हकमारी करते हुए प्रतियोगिता परीक्षा द्वारा प्रधान शिक्षक/प्रधानाध्यापक के पद पर बहाल करने की स्वीकृति कैबिनेट से पास कर दिया है. जिसमें प्राइवेट विद्यालय के शिक्षकों को भी शामिल होने का प्रावधान करना सरकारी विद्यालय के शिक्षकों के साथ धोखा है. इसका प्रतिकूल असर शिक्षण कार्य पर भी पड़ेगा. इन लोगों का कहना है कि आखिर शिक्षक पढ़ाएंगे या प्रतियोगिता की तैयारी करेंगे ?

जिला संयुक्त सचिव राजकुमार साह, हमजा अली,हशमत अली मंसुरी प्रवक्ता सत्येन्द्र कुमार यादव अध्यक्ष अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ कामरान आलम ने कहा कि राज्य सरकार के गलत नीतियों के कारण शिक्षा व शिक्षकों की हालत बद से बदतर होती जा रही है. नये फैसले से शिक्षा व्यवस्था और भी खराब होगी. यदि शिक्षा के प्रति राज्य सरकार की नियत साफ है तो नियमावली में जो प्रावधान है उसे लागू करना ही होगा.

साथ ही इन लोगों ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षकों की बोरा बेचो अभियान से डर गई है. अपनी फजीहत देख शिक्षकों को डराने-धमकाने की नाकाम कोशिश कर रही है. किन्तु शिक्षक डरने वाले नहीं है. गलत नीतियों का विरोध करते रहेंगे. बोरा बेचने का फरमान व तमीजुद्दीन का निलंबन वापस लेना ही होगा. राज्य सरकार ने कैबिनेट में पारित फैसला व तमीजुद्दीन का निलंबन वापस नहीं लिया तो संघ चरणबद्ध आंदोलन करने को बाध्य होगा.

यह भी पढ़ें- औरंगाबाद: 3 महीने से लंबित है माध्यमिक शिक्षकों का वेतन भुगतान, परिवार पालने में हो रही मुश्किल

यह भी पढ़ें- जमुई: शिक्षा सेवक संघ ने मुख्यमंत्री और डिप्टी CM का पुतला फूंका

शिवहर: बिहार के प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षक व उच्च व उच्चतर विद्यालयों में प्रधानाध्यापक बहाली को लेकर राज्य सरकार द्वारा लायी गयी नयी नियमावली का विरोध (Protest) किया जा रहा है. बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ (Elementary Teachers Association) के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार पप्पू के आह्वान पर सूबे के विभिन्न जिलों सहित शिवहर में भी शिक्षा विभाग कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया गया. प्रधान शिक्षक व प्रधानाध्यापक के पद पर नियुक्ति संबंधित कैबिनेट में पारित फैसले की प्रति जलाकर शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए जमकर नारेबाजी की.

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जिला प्रभारी नवनीत कुमार मनोरंजन, अध्यक्ष सुधीर कुमार सिंह, प्रधान सचिव मोहम्मद शर्फुद्दीन, वरीय उपाध्यक्ष रविन्द्र कुमार सिंह, प्रमंडल सचिव संजय प्रसाद, कार्यालय सचिव उदयशंकर गुप्ता ने संयुक्त रूप से कहा कि राज्य सरकार नियोजित शिक्षकों के साथ धोखाधड़ी कर रही है.

इन लोगों ने बताया कि प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2020 में प्रधान शिक्षक/प्रधानाध्यापक के पद को वर्तमान में कार्यरत योग्य व अनुभवी शिक्षकों की प्रोन्नति से भरे जाने का प्रावधान है लेकिन जब भी शिक्षक प्रोन्नति के करीब आते हैं तो नियमावली बदल दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है.

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि राज्य की तथाकथित सुशासन की सरकार ने प्रारंभिक, माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत करीब चार लाख शिक्षकों की हकमारी करते हुए प्रतियोगिता परीक्षा द्वारा प्रधान शिक्षक/प्रधानाध्यापक के पद पर बहाल करने की स्वीकृति कैबिनेट से पास कर दिया है. जिसमें प्राइवेट विद्यालय के शिक्षकों को भी शामिल होने का प्रावधान करना सरकारी विद्यालय के शिक्षकों के साथ धोखा है. इसका प्रतिकूल असर शिक्षण कार्य पर भी पड़ेगा. इन लोगों का कहना है कि आखिर शिक्षक पढ़ाएंगे या प्रतियोगिता की तैयारी करेंगे ?

जिला संयुक्त सचिव राजकुमार साह, हमजा अली,हशमत अली मंसुरी प्रवक्ता सत्येन्द्र कुमार यादव अध्यक्ष अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ कामरान आलम ने कहा कि राज्य सरकार के गलत नीतियों के कारण शिक्षा व शिक्षकों की हालत बद से बदतर होती जा रही है. नये फैसले से शिक्षा व्यवस्था और भी खराब होगी. यदि शिक्षा के प्रति राज्य सरकार की नियत साफ है तो नियमावली में जो प्रावधान है उसे लागू करना ही होगा.

साथ ही इन लोगों ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षकों की बोरा बेचो अभियान से डर गई है. अपनी फजीहत देख शिक्षकों को डराने-धमकाने की नाकाम कोशिश कर रही है. किन्तु शिक्षक डरने वाले नहीं है. गलत नीतियों का विरोध करते रहेंगे. बोरा बेचने का फरमान व तमीजुद्दीन का निलंबन वापस लेना ही होगा. राज्य सरकार ने कैबिनेट में पारित फैसला व तमीजुद्दीन का निलंबन वापस नहीं लिया तो संघ चरणबद्ध आंदोलन करने को बाध्य होगा.

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