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सारण में जिला परिषद अध्यक्ष चुनाव की सरगर्मियां तेज, रेस में ये चेहरे सबसे आगे

सारण में जिला परिषद अध्यक्ष चुनाव की सरगर्मियां तेज है. पंचायत चुनाव संपन्न होते ही समीकरण बनने बिगड़ने लगे. मुख्य लड़ाई राजपूत बनाम यादव के बीच देखी जा रही है. पढ़ें पूरी खबर...

सारण में जिला परिषद अध्यक्ष चुनाव
सारण में जिला परिषद अध्यक्ष चुनाव
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Published : Dec 20, 2021, 9:04 AM IST

छपरा: बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न (Bihar Panchayat Elections Concluded) हो गया है. अब सारण जिला परिषद अध्यक्ष की चुनाव (Zila Parishad President Election in Saran) को लेकर सरगर्मी तेज हो गयी है. प्रखंडों में प्रमुख वहीं, जिला परिषद में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष को लेकर समीकरण बनना शुरू हो गया है. इस बार प्रखंडों में कई पुराने चेहरे हैं, वहीं कुछ नए ने भी जोर आजमाइश शुरू कर दी है.

इसे भी पढ़ें- देश के 'प्रधान' से बिहार के लिए 'विशेष दर्जे' की मांग, सोशल मीडिया पर JDU का बड़ा अभियान

पहले तो जातीय गणित, फिर दलीय फार्मूला और फिर व्यक्तिगत संबंधों पर समीकरण बनाए जा रहे हैं. कई प्रखंडों में गुट तैयार हो चुका है. सबके अपने-अपने दावे हैं. बस किसी को एक सदस्य की कमी हो रही है तो किसी को दो सदस्यों की. इस दौर में स्थिति से निपटने के लिए हर नुस्खे अपनाए जाते हैं.

मैदान में सक्रिय रहने वाले कूटनीतिज्ञों बताते हैं कि ताकतवर प्रत्याशी के पक्ष में ही सदस्यों का रूझान होता है. खासकर जिला परिषद अध्यक्ष के पद को मुख्य धारा की राजनीति प्रभावित करती रही है. मुख्य धारा के नेताओं के प्रभाव का असर इस चुनाव में देखा जाता है. ये अलग बात है कि चुनाव दलीय आधार पर नहीं होता है लेकिन इससे पहले जब-जब चुनाव हुए हैं सत्ताधारी दलों की तरफ रुझान वाले नेताओं की ही जीत होती है.

इसे भी पढ़ें- जातीय जनगणना और स्पेशल स्टेटस पर NDA में तकरार, क्या बीजेपी की घेराबंदी करने में जुटे हैं CM नीतीश!

बिहार में कोई भी चुनाव हो उसमें जाति काफी मायने रखता है. हर कोई अपनी जाति के उम्मीदवार को वोट करता है. सारण में जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव में जाति सबसे मायने रखता है. इस बार का चुनाव सीधा राजपूत बनाम यादव होने वाला है. अगर राजपूत जाति की सबसे मजबूत उम्मीदवार मीणा अरूण मानी जा रही हैं.

वह इसके पहले भी जिला परिषद की अध्यक्ष रह चुकी हैं. इसके बाद जिला परिषद सदस्य और भाजपा नेत्री प्रियंका सिंह भी अपनी मजबूत दावेदारी कर रही है. ऐसा माना जा रहा है कि प्रियंका सिंह के साथ भाजपा के सांसद का साथ है. वह उनके खास मानी जाती हैं.

यादव जाति से मजबूत उम्मीदवार के तौर पर सुमित्रा देवी देखी जा रही हैं. सुमित्रा देवी अमर राय की पत्नी हैं. सुमित्रा देवी के साथ राजद के विधायक का समर्थन है. इनका राजनीतिक पृष्ठभूमि भी है. यादव जाति से आने वाले राजद के जिलाध्यक्ष सुनिल राय की पत्नी भी इस बार जिला परिषद अध्यक्ष पद पर अपनी दावेदारी ठोक रही हैं. इसके अलावे नवनिर्वाचित जिला परिषद सदस्य प्रीति राज भी अपना दम दिखा रही हैं. ऐसे में सभी उम्मीदवार नवनिर्वाचित सदस्यों को अपने-अपने खेमे में लाने के लिए जोर आजमाईश कर रहे हैं.

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छपरा: बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न (Bihar Panchayat Elections Concluded) हो गया है. अब सारण जिला परिषद अध्यक्ष की चुनाव (Zila Parishad President Election in Saran) को लेकर सरगर्मी तेज हो गयी है. प्रखंडों में प्रमुख वहीं, जिला परिषद में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष को लेकर समीकरण बनना शुरू हो गया है. इस बार प्रखंडों में कई पुराने चेहरे हैं, वहीं कुछ नए ने भी जोर आजमाइश शुरू कर दी है.

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पहले तो जातीय गणित, फिर दलीय फार्मूला और फिर व्यक्तिगत संबंधों पर समीकरण बनाए जा रहे हैं. कई प्रखंडों में गुट तैयार हो चुका है. सबके अपने-अपने दावे हैं. बस किसी को एक सदस्य की कमी हो रही है तो किसी को दो सदस्यों की. इस दौर में स्थिति से निपटने के लिए हर नुस्खे अपनाए जाते हैं.

मैदान में सक्रिय रहने वाले कूटनीतिज्ञों बताते हैं कि ताकतवर प्रत्याशी के पक्ष में ही सदस्यों का रूझान होता है. खासकर जिला परिषद अध्यक्ष के पद को मुख्य धारा की राजनीति प्रभावित करती रही है. मुख्य धारा के नेताओं के प्रभाव का असर इस चुनाव में देखा जाता है. ये अलग बात है कि चुनाव दलीय आधार पर नहीं होता है लेकिन इससे पहले जब-जब चुनाव हुए हैं सत्ताधारी दलों की तरफ रुझान वाले नेताओं की ही जीत होती है.

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बिहार में कोई भी चुनाव हो उसमें जाति काफी मायने रखता है. हर कोई अपनी जाति के उम्मीदवार को वोट करता है. सारण में जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव में जाति सबसे मायने रखता है. इस बार का चुनाव सीधा राजपूत बनाम यादव होने वाला है. अगर राजपूत जाति की सबसे मजबूत उम्मीदवार मीणा अरूण मानी जा रही हैं.

वह इसके पहले भी जिला परिषद की अध्यक्ष रह चुकी हैं. इसके बाद जिला परिषद सदस्य और भाजपा नेत्री प्रियंका सिंह भी अपनी मजबूत दावेदारी कर रही है. ऐसा माना जा रहा है कि प्रियंका सिंह के साथ भाजपा के सांसद का साथ है. वह उनके खास मानी जाती हैं.

यादव जाति से मजबूत उम्मीदवार के तौर पर सुमित्रा देवी देखी जा रही हैं. सुमित्रा देवी अमर राय की पत्नी हैं. सुमित्रा देवी के साथ राजद के विधायक का समर्थन है. इनका राजनीतिक पृष्ठभूमि भी है. यादव जाति से आने वाले राजद के जिलाध्यक्ष सुनिल राय की पत्नी भी इस बार जिला परिषद अध्यक्ष पद पर अपनी दावेदारी ठोक रही हैं. इसके अलावे नवनिर्वाचित जिला परिषद सदस्य प्रीति राज भी अपना दम दिखा रही हैं. ऐसे में सभी उम्मीदवार नवनिर्वाचित सदस्यों को अपने-अपने खेमे में लाने के लिए जोर आजमाईश कर रहे हैं.

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