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कोहरे ने थामी ट्रेनों की रफ्तार, रेल मंत्रालय ने जारी किए कई दिशा निर्देश

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Published : Jan 9, 2020, 5:59 PM IST

कोहरे के मौसम में रेलवे विशेष रूप से 24 घंटे लगातार ट्रैक पेट्रोलिंग के जरिए रेलवे ट्रैक की निगरानी कर रहा है. वहीं, ट्रेन के लोको पायलट को इस मौसम में विशेष अधिकार दिये जाते हैं कि वे अपने विवेक पर ट्रेन चलायें.

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सारणः जिले में घने कोहरे के कारण ट्रेनें अपने निर्धारित समय से काफी देरी से चल रही हैं. इसका खामियाजा रेल यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है. रेल यात्री अपने जगह पर सही समय से नहीं पहुंच पा रहे हैं. वहीं, रेल मंत्रालय ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन के लिये कई प्रकार के उपाय कर रहा है, ताकि इस मौसम में ट्रेन सुरक्षित चल सके और यात्रियों को किसी भी प्रकार की दुर्घटनाओं से बचाया जा सके.

कोहरे के कारण ट्रेनों का परिचालन बाधित
कोहरे के मौसम में रेलवे विशेष रूप से 24 घंटे लगातार ट्रैक पेट्रोलिंग के जरिए रेलवे ट्रैक की निगरानी कर रहा है. वहीं, ट्रेन के लोको पायलट को इस मौसम में विशेष अधिकार दिये जाते हैं कि वे अपने विवेक पर ट्रेन चलायें.

देखें पूरी रिपोर्ट

ये भी पढ़ेः सौर ऊर्जा से सरकारी बिजली बिल पर लगा लगाम, CM नीतीश ने दिया था बिल में कमी लाने का निर्देश

ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन के लिए जारी दिशा निर्देश
वहीं, रेलवे प्रशासन की ओर से ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन के लिए लोको पायलटों को दिशा निर्देश दिया गया है, जिसमें ट्रेनों की गति सीमा 60 किमी से ज्यादा नहीं करने को कहा गया है. रेलवे की ओर से एक विशेष फॉग यंत्र भी लगाया गया है, जिससे आने वाले स्टेशन और रेलवे क्रासिंग पर सिग्नलों की जानकारी मिल सके.

सारणः जिले में घने कोहरे के कारण ट्रेनें अपने निर्धारित समय से काफी देरी से चल रही हैं. इसका खामियाजा रेल यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है. रेल यात्री अपने जगह पर सही समय से नहीं पहुंच पा रहे हैं. वहीं, रेल मंत्रालय ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन के लिये कई प्रकार के उपाय कर रहा है, ताकि इस मौसम में ट्रेन सुरक्षित चल सके और यात्रियों को किसी भी प्रकार की दुर्घटनाओं से बचाया जा सके.

कोहरे के कारण ट्रेनों का परिचालन बाधित
कोहरे के मौसम में रेलवे विशेष रूप से 24 घंटे लगातार ट्रैक पेट्रोलिंग के जरिए रेलवे ट्रैक की निगरानी कर रहा है. वहीं, ट्रेन के लोको पायलट को इस मौसम में विशेष अधिकार दिये जाते हैं कि वे अपने विवेक पर ट्रेन चलायें.

देखें पूरी रिपोर्ट

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ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन के लिए जारी दिशा निर्देश
वहीं, रेलवे प्रशासन की ओर से ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन के लिए लोको पायलटों को दिशा निर्देश दिया गया है, जिसमें ट्रेनों की गति सीमा 60 किमी से ज्यादा नहीं करने को कहा गया है. रेलवे की ओर से एक विशेष फॉग यंत्र भी लगाया गया है, जिससे आने वाले स्टेशन और रेलवे क्रासिंग पर सिग्नलों की जानकारी मिल सके.

Intro:कुहासे में ट्रेन का सफर।छ्परा से पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट । कहते है भारतीय रेल का मूल मंत्र है।संरक्षा,सुरक्षा और समय पालन।लेकिन जब मौसम काफी खराब हो।और भयंकर कुहासे के कारण हाथ को हाथ दिखाई नही पड़े तो ट्रेन कैसे अपने समय से चले।तो इसका देरी से चलना लाजिमी है।वही इस मौसम मे ट्रेनें अपनी निर्धारित समय से काफी बिल्ंब से चलती है।और इसका खामियाजा रेल यात्रियों को भुगतना पड़ता है की वे अपने गन्तव्य पर सही समय से नही पहुच पाते है।वैसे कुहासे के मौसम मे रेल मत्रालय समय पालन से अधिक वरीयता सुरक्षित यात्रा को देता है।आइये जानते है इस मौसम मे ट्रेनें किस प्रकार से चलाई जाती है।


Body:भारतीय रेल विश्व का तीसरा सबसे बड़ा संस्थान मे से एक है।और इस संस्थान मे संरक्षा और सुरक्षा को काफी प्राथमिकता दी जाती है ।वही रेल का सफर ठंड और कुहासे के मौसम मे काफी परेशानी भरा होता है।जब सामने कुछ भी दिखाई नही पड़े तो इस मौसम मे ट्रेन के सुरक्षित परिचालन करने के लिये रेल मत्रालय काफी सुरक्षात्मक उपाय करती है।ताकि इस मौसम मे ट्रेन सुरक्षित चले।और किसी भी प्रकार की दुर्घटनाओं से बचा जा सके ।इस मौसम मे ठंड के कारण पटरीयो का चटकना और उनके टेढ़े-मेढ़े होने के कारण दुर्घटनाएं होती हैं ।वही रेल प्रशासन इसको रोकने के लिये विशेष प्रयास करता है ।


Conclusion:कुहासे की इस मौसम मे रेलवे विशेष रुप से 24घन्टे लगातार ट्रेक पेट्रोलिग के जरीये लगातार रेलवे ट्रेक की निगरानी करता है।इसी के साथ ज्यादा कुहासा होने की स्थिति मे पटाखे सिगनल का सहारा लिया जाता है।जिससे ड्राइवर को इस बात की जानकारी हो जाती है की हमारी लाइन क्लीयर है और सुरक्षित है।वही ट्रेन के चालकों लोको पायलट को इस मौसम मे विशेष अधिकार दिये जाते है की वे स्व विवेक पर ट्रेन चलाये।और अगर कुछ स्पस्ट दिखाई नही पड़ रहा है तो ट्रेन को रोक दे।और जब तक मौसम क्लियर नही हो।ट्रेन का परिचालन शुरु नही करे।इस दौरान लोको पायलट से देर होने का कोई शो काज नही किया जाता है।वही रेलवे प्रशासन द्वारा ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन के लिये एक दिशा निर्देश भी जारी करता है की गति सीमा 60किमी से ज्यादा न हो।वही रेलवे द्वारा एक विशेष फाग यंत्र भी लगाया गया है।जिससे आने वाले स्टेशन और रेलवे क्रासिग और सिग्नलों की जानकारी मिल पाती है।फिर भी लोको पायलट अपने स्व विवेक और निर्धारित गति सीमा से ही ट्रेन चलाते है ताकि कोई भी दुर्घटना से बचा जा सके। बाईट ट्रेन के वरीय लोको पायलट चन्द्रीका रजक पुर्व मध्य रेलवे सोनपुर मंडल
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