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सारण: कई गांवों में नहीं पहुंची सरकारी मदद, समाजसेवियों के भरोसे बाढ़ पीड़ित - Social workers

सारण में बाढ़ के पानी से कई गांव जलमग्न हैं. ऐसे में यहां के कई गांवों में सरकारी सहायता नहीं पहुंचाई गई है. लोग समाजसेवियों से मिलने वाली राहत सामग्री पर ही आश्रित हैं.

सारण की खबर
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Published : Aug 9, 2020, 10:46 PM IST

सारण: जिले के कई प्रखंड बाढ़ प्रभावित हैं. यहां हालात 2007 की बाढ़ जैसे हैं. इस बार जिले के आठ प्रखंड बाढ़ की विभिषिका झेल रहे हैं, जिनमें 80 पंचायत शामिल हैं. ईटीवी भारत लगातार ग्राउंड जीरो से बाढ़ की तस्वीरें दिखा रहा है.

सरकार और प्रशासन की ओर से लाख दावे किए जाएं कि बाढ़ पीड़ितों को हर संभव मदद पहुंचाई जा रही है. लेकिन जमीनी हकीकत बाढ़ प्रभावित इलाकों पर जाते ही पता चलती है. लोग अपना दर्द बयां करते हैं. वे बताते हैं कि अभी तक कई ऐसे परिवार जिन्हें किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिली है.

देखें ये रिपोर्ट

जलमग्न हैं ये गांव
सारण जिले के परसा, बिसाही, हरना, धर्मचक समेत कई गांव जलमग्न हैं. इन सबके बीच सरकार की ओर से की जाने वाली व्यवस्थाओं का घोर अभाव देखने को मिल रहा है. ऐसे में समाजसेवी बाढ़ के पानी में प्रवेश कर बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं. हर रोज ये समाजसेवी सूखा अनाज, चूड़ा, मीठा, चावल, दाल, आटा, बिस्किट बाढ़ पीड़ितों को बांट रहे हैं.

आने जाने में हो रही समस्या
आने जाने में हो रही समस्या

ओमप्रकाश समाजसेवी ने कहा, 'हमलोग नेता नहीं हैं. हमलोग आम इंसान हैं. लोगों के दर्द को समझते हैं. लोगों को बीच जाइएगा, तब लोगों का दर्द तकलीफ पता चलता है.

ये है हालात
ये है हालात

गांव के हालात

  • बिसाही गांव में जितनी आबादी है. उसके हिसाब से लगभग 5 नाव की जरूरत लेकिन सरकार ने यहां एक ही नाव की व्यवस्था की है.
  • शौच के लिए महिलाओं को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
  • यहां अभी तक किसी भी अधिकारी ने दौरा नहीं किया है.
  • लोग आक्रोशित हैं और समाजसेवियों की मदद पर ही आश्रित हैं.

सारण: जिले के कई प्रखंड बाढ़ प्रभावित हैं. यहां हालात 2007 की बाढ़ जैसे हैं. इस बार जिले के आठ प्रखंड बाढ़ की विभिषिका झेल रहे हैं, जिनमें 80 पंचायत शामिल हैं. ईटीवी भारत लगातार ग्राउंड जीरो से बाढ़ की तस्वीरें दिखा रहा है.

सरकार और प्रशासन की ओर से लाख दावे किए जाएं कि बाढ़ पीड़ितों को हर संभव मदद पहुंचाई जा रही है. लेकिन जमीनी हकीकत बाढ़ प्रभावित इलाकों पर जाते ही पता चलती है. लोग अपना दर्द बयां करते हैं. वे बताते हैं कि अभी तक कई ऐसे परिवार जिन्हें किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिली है.

देखें ये रिपोर्ट

जलमग्न हैं ये गांव
सारण जिले के परसा, बिसाही, हरना, धर्मचक समेत कई गांव जलमग्न हैं. इन सबके बीच सरकार की ओर से की जाने वाली व्यवस्थाओं का घोर अभाव देखने को मिल रहा है. ऐसे में समाजसेवी बाढ़ के पानी में प्रवेश कर बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं. हर रोज ये समाजसेवी सूखा अनाज, चूड़ा, मीठा, चावल, दाल, आटा, बिस्किट बाढ़ पीड़ितों को बांट रहे हैं.

आने जाने में हो रही समस्या
आने जाने में हो रही समस्या

ओमप्रकाश समाजसेवी ने कहा, 'हमलोग नेता नहीं हैं. हमलोग आम इंसान हैं. लोगों के दर्द को समझते हैं. लोगों को बीच जाइएगा, तब लोगों का दर्द तकलीफ पता चलता है.

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गांव के हालात

  • बिसाही गांव में जितनी आबादी है. उसके हिसाब से लगभग 5 नाव की जरूरत लेकिन सरकार ने यहां एक ही नाव की व्यवस्था की है.
  • शौच के लिए महिलाओं को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
  • यहां अभी तक किसी भी अधिकारी ने दौरा नहीं किया है.
  • लोग आक्रोशित हैं और समाजसेवियों की मदद पर ही आश्रित हैं.
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