छपराः बिहार में छपरा के मकेर और भेल्दी में जहरीली शराब पीने से 11 लोगों की मौत मामले में बड़ी कार्रवाई की गई है. सारण एसपी संतोष कुमार (Saran SP Santosh Kumar) ने बताया कि मकेर थानेदार नीरज कुमार मिश्रा और चौकीदार को तत्काल प्रभाव से निलंबित (SHO and Chowkidaar suspended in Chapra) कर दिया है और किशोरी चौधरी को मकेर का नया थानेदार बनाया गया है. वहीं, पुलिस ने शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने के आरोप में 90 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है.
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आधा दर्जन शवों का हुआ अंतिम संस्कारः छपरा में जहरीली शराब पीने से 11 लोगों की मौत (Poisonous Liquor Death In Saran) ने सभी को झकझोर कर रख दिया है. शुक्रवार देर रात पोस्टमार्टम के बाद लगभग आधा दर्जन शवों को अंतिम संस्कार के लिए जिला प्रशासन ने परिजनों के सुपुर्द कर दिया. जैसे ही शव मेकर गांव पहुंचा, मृतकों के परिजनों के बीच चीख पुकार मच गई. पूरे गांव में हाहाकार मच गया और परिजनों के रोने और चिल्लाने से पूरा माहौल गमगीन हो गया.
बिहार में शराबबंदी फेल? : यह पहली बार नहीं है जब बिहार में जहरीली शराब से लोगों की मौत हुई है. राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में जहरीली शराब के सेवन से करीब 173 लोगों की मौत हुई है. जनवरी 2022 में बिहार के बक्सर, सारण और नालंदा जिलों में बैक टू बैक घटनाओं में 36 लोगों की मौत हुई थी. ये घटनाएं साबित करती हैं कि बिहार में शराबबंदी विफल है, लेकिन सरकार इस हकीकत को स्वीकार नहीं करना चाहती है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार का अपना तर्क है कि जहरीली शराब से हुई मौतों को किसी भी तरह से शराबबंदी से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
शराबबंदी कानून फेल होने के कारण?: सरकार का अपना तर्क है कि जहरीली शराब से मौतें उन राज्यों में भी हो रही है, जहां शराबबंदी लागू नहीं है. ईटीवी भारत ने बिहार में शराबबंदी कानून के विफल होने का कारण जानने के लिए कई लोगों से बात की. पटना के जाने माने राजनीतिक विशेषज्ञ डॉ संजय कुमार ने कहा कि राज्य ने कानून बनाया लेकिन सामाजिक जागरूकता के बिना इसे लागू किया, जिसके परिणामस्वरूप इस तरह की घटनाएं बिहार में हो रही है.
"शराबबंदी कानून लागू करने से पहले कोई भी सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम नहीं किया गया और कानून को लागू करने के लिए अधिकारी ईमानदारी से अपना काम नहीं कर रहे हैं. बिहार में समानांतर अर्थव्यवस्था स्थापित है, यहां शराब माफिया, पुलिस और एक्साइज के बीच एक मजबूत गठजोड़ है. केवल सामाजिक परिवर्तन के नाम पर आप उसके दुष्परिणामों को देखे बिना कुछ भी लागू नहीं कर सकते. सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, बिहार में शराब कैसे प्रवेश कर रही है? इसका मतलब है कि सीमावर्ती इलाकों को सील नहीं किया गया है और वहां कोई चेक और बैलेंस नहीं है.'' - डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विशेषज्ञ
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