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सारण: धर्मनाथ मंदिर में उमड़ा भक्तों का सैलाब, हर-हर महादेव के नारों से गूंजा शहर

धर्मनाथ मंदिर करीब एक हजार वर्ष पुराना है. यहां सन् 1016 में शिवलिंग प्रकट हुआ था. शिवलिंग की पूजा-अर्चना उस समय एक संत बाबा धर्मनाथ ने शुरू की और कालांतर में उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नामकरण हुआ.

धर्मनाथधनी मंदिर
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Published : Jul 22, 2019, 3:21 PM IST

सारण : सावन के पहले सोमवार को शिवभक्तों के बोलबम उद्घोष से छपरा शहर गुंजायमान रहा. जिले के अति प्राचीनतम शिवालयों में से एक छपरा स्थित धर्मनाथ मंदिर में शिवभक्तों ने अहले सुबह कतारबद्ध होकर भगवान शिवशंकर को खुश करने के लिए जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की.

धर्मनाथ धनी मंदिर

हर मनोकामना होती है पूर्ण
सरयुग और गंगा के तट पर स्थित इस मंदिर को मनोकामना पूर्ण लिंग का नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि जो भी भक्त यहां सच्ची निष्ठा से भगवान भोलेनाथ से मन्नत मांगता है उसकी हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

छपरा
धर्मनाथधनी मंदिर

शहर का प्राचीन शिवमंदिर
वैसे तो इस मंदिर के स्थापनाकाल से जुड़ा कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है, लेकिन मंदिर के पुजारी और दन्तकथाओं कि मानें तो मंदिर की चर्चा कई पुराणों और सारण गजेटियर में भी है. कहा जाता है कि यह मंदिर करीब एक हजार वर्ष पुरानी है. यहां सन् 1016 में एक शिवलिंग प्रकट हुआ था. शिवलिंग की पूजा-अर्चना उस समय एक संत बाबा धर्मनाथ ने शुरू की और कालांतर में उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नामकरण हुआ.

धर्मनाथधनी मंदिर
पुजा करते कतारबद्ध लोग

संत बाबा धर्मनाथ ने ली थी जिंदा समाधि
मंदिर के पुजारी के अनुसार एक हजार वर्ष पहले यह वन क्षेत्र हुआ करता था. तब बाबा धर्मनाथ ने करीब 300 वर्षों तक इस मंदिर में पूजा-अर्चना की और फिर यहीं पर जिन्दा समाधि ले ली. जिसके बाद यह स्थान धर्मनाथ धनी के नाम से प्रसिद्ध हो गया.

शैव संप्रदाय की 14वीं पीढ़ी कर रही है मंदिर की देखरेख
स्थानियों का कहना है कि वर्तमान में इस मंदिर का देखरेख शैव संप्रदाय की 14 वीं पीढ़ी करती हैं और उन्हीं के सानिध्य में मंदिर में बाबा भोले की पूजा-अर्चना होती है. सावन के महीने में यहां प्रतिदिन करीब पचास हजार से अधिक लोग जलाभिषेक करने पहुंचते हैं.

सावन और महाशिवरात्रि में उमड़ता है भक्तों को जनसैलाब
सावन और महाशिवरात्रि में इस मंदिर में भक्तों को सैलाब उमड़ता है. जिसको लेकर श्रद्धालुओं और स्थानियों में उत्साह का माहौल रहता है. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित शिवालयों में सावन की पहली सोमवारी को लेकर महिला व पुरूष श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखी जा रही हैं.

सारण : सावन के पहले सोमवार को शिवभक्तों के बोलबम उद्घोष से छपरा शहर गुंजायमान रहा. जिले के अति प्राचीनतम शिवालयों में से एक छपरा स्थित धर्मनाथ मंदिर में शिवभक्तों ने अहले सुबह कतारबद्ध होकर भगवान शिवशंकर को खुश करने के लिए जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की.

धर्मनाथ धनी मंदिर

हर मनोकामना होती है पूर्ण
सरयुग और गंगा के तट पर स्थित इस मंदिर को मनोकामना पूर्ण लिंग का नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि जो भी भक्त यहां सच्ची निष्ठा से भगवान भोलेनाथ से मन्नत मांगता है उसकी हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

छपरा
धर्मनाथधनी मंदिर

शहर का प्राचीन शिवमंदिर
वैसे तो इस मंदिर के स्थापनाकाल से जुड़ा कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है, लेकिन मंदिर के पुजारी और दन्तकथाओं कि मानें तो मंदिर की चर्चा कई पुराणों और सारण गजेटियर में भी है. कहा जाता है कि यह मंदिर करीब एक हजार वर्ष पुरानी है. यहां सन् 1016 में एक शिवलिंग प्रकट हुआ था. शिवलिंग की पूजा-अर्चना उस समय एक संत बाबा धर्मनाथ ने शुरू की और कालांतर में उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नामकरण हुआ.

धर्मनाथधनी मंदिर
पुजा करते कतारबद्ध लोग

संत बाबा धर्मनाथ ने ली थी जिंदा समाधि
मंदिर के पुजारी के अनुसार एक हजार वर्ष पहले यह वन क्षेत्र हुआ करता था. तब बाबा धर्मनाथ ने करीब 300 वर्षों तक इस मंदिर में पूजा-अर्चना की और फिर यहीं पर जिन्दा समाधि ले ली. जिसके बाद यह स्थान धर्मनाथ धनी के नाम से प्रसिद्ध हो गया.

शैव संप्रदाय की 14वीं पीढ़ी कर रही है मंदिर की देखरेख
स्थानियों का कहना है कि वर्तमान में इस मंदिर का देखरेख शैव संप्रदाय की 14 वीं पीढ़ी करती हैं और उन्हीं के सानिध्य में मंदिर में बाबा भोले की पूजा-अर्चना होती है. सावन के महीने में यहां प्रतिदिन करीब पचास हजार से अधिक लोग जलाभिषेक करने पहुंचते हैं.

सावन और महाशिवरात्रि में उमड़ता है भक्तों को जनसैलाब
सावन और महाशिवरात्रि में इस मंदिर में भक्तों को सैलाब उमड़ता है. जिसको लेकर श्रद्धालुओं और स्थानियों में उत्साह का माहौल रहता है. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित शिवालयों में सावन की पहली सोमवारी को लेकर महिला व पुरूष श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखी जा रही हैं.

Intro:SLUG:-SAWAN KI PAHLI SOMVARI
ETV BHARAT NEWS DESK
F.M:-DHARMENDRA KUMAR RASTOGI/SARAN/BIHAR

Anchor:-छपरा शहर के अति प्राचीन शिवमंदिर में सारण के धर्मनाथ धनी के मंदिर का शुमार है, मंदिर के स्थापना का कोई इतिहास नहीं मिलता की यह मंदिर कब का है लेकिन यह हजारो वर्ष पूर्व का बताया जाता है, और मनोकामना पूर्ण लिंग नाम से देश और विदेशों में विख्यात है, सरयुग और गंगा के तट पर आदि काल से स्थापित यह मंदिर का लिंग अलौकिक है,मान्यता है कि जो भी भक्त यहाँ निष्ठा से मन्नत मांगते है उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है.

Byte:-महिला श्रद्धालु

Body:दन्तकथाओं की माने तो इस मंदिर की चर्चा कई पुराणों और सारण गजेटियर में भी है और यह मंदिर शहर के लोगो का आस्था का केंद्र के रूप में विख्यात हैं. स्थानीय पुजारी का कहना है की एक हजार वर्ष पहले जब यह वन क्षेत्र था उसी वक्त धर्मनाथ जी नामक एक संत लगभग 300 वर्षो तक इस मंदिर में पूजा अर्चना की और फिर यही पर जिन्दा समाधी ले लिया जिसके बाद इस स्थान का नाम धर्मनाथ धनी के नाम से प्रसिद्ध हुआ हैं.

Byte:-पुजारी


महाशिवरात्रि और सावन माह में भक्तों का जन सैलाब उमड़ता है, जिसे लेकर लोगो में उत्साह भी रहता है और सुबह से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो जाता है, जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित शिवालयों में सावन की पहली सोमवारी को लेकर महिला व पुरूष श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई हैं, शहर के धर्मनाथ मंदिर, बटुकेश्वर नाथ मंदिर, प्रभुनाथ नगर स्थित शिव शक्ति मंदिर सहित विभिन्न शिवालयों में शिव भक्तों की भीड़ सुबह से ही देखी जा रही हैं.

Byte:-महिला श्रद्धालु

Conclusion:ज़िले के विभिन्न शिवालयों में श्रद्धालुओं के द्वारा कहीं दुग्ध तो कही गंगाजल अर्पण किया गया, जलाभिषेक के साथ पूजा अर्चना भी की गई, मंदिरों के आसपास दुकानों को दुल्हन की तरह सजाया गया हैं सावन महीने में सुहागिन महिलाएं व युवतियां हरी कांच की चूड़ियां पसंद करती हैं जिसे खरीदने के लिए भीड़ देखी गई, और मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा .

जनता बाजार से आया एक युवक ने बाबा धर्मनाथ मंदिर में जलाभिषेक करने के बाद ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान के कहा कि देश की सुरक्षा में लगी सेना पर बाबा की कृपा बनी रहें और देश में बेरोजगारी को दूर करने के लिए युवाओं पर अपनी दृष्टि बनाये रखें.

Byte:-युवा श्रद्धालु

जलाभिषेक के दौरान महिला व पुरूष श्रद्धालुओं के द्वारा हर-हर महादेव, जय भोले भंडारी, जय भोले का जयघोष होता रहा. मंदिरों में सबसे अधिक भीड़ महिला श्रद्धालुओं की देखी गयी.

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