सारण : सावन के पहले सोमवार को शिवभक्तों के बोलबम उद्घोष से छपरा शहर गुंजायमान रहा. जिले के अति प्राचीनतम शिवालयों में से एक छपरा स्थित धर्मनाथ मंदिर में शिवभक्तों ने अहले सुबह कतारबद्ध होकर भगवान शिवशंकर को खुश करने के लिए जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की.
हर मनोकामना होती है पूर्ण
सरयुग और गंगा के तट पर स्थित इस मंदिर को मनोकामना पूर्ण लिंग का नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि जो भी भक्त यहां सच्ची निष्ठा से भगवान भोलेनाथ से मन्नत मांगता है उसकी हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है.
शहर का प्राचीन शिवमंदिर
वैसे तो इस मंदिर के स्थापनाकाल से जुड़ा कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है, लेकिन मंदिर के पुजारी और दन्तकथाओं कि मानें तो मंदिर की चर्चा कई पुराणों और सारण गजेटियर में भी है. कहा जाता है कि यह मंदिर करीब एक हजार वर्ष पुरानी है. यहां सन् 1016 में एक शिवलिंग प्रकट हुआ था. शिवलिंग की पूजा-अर्चना उस समय एक संत बाबा धर्मनाथ ने शुरू की और कालांतर में उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नामकरण हुआ.
संत बाबा धर्मनाथ ने ली थी जिंदा समाधि
मंदिर के पुजारी के अनुसार एक हजार वर्ष पहले यह वन क्षेत्र हुआ करता था. तब बाबा धर्मनाथ ने करीब 300 वर्षों तक इस मंदिर में पूजा-अर्चना की और फिर यहीं पर जिन्दा समाधि ले ली. जिसके बाद यह स्थान धर्मनाथ धनी के नाम से प्रसिद्ध हो गया.
शैव संप्रदाय की 14वीं पीढ़ी कर रही है मंदिर की देखरेख
स्थानियों का कहना है कि वर्तमान में इस मंदिर का देखरेख शैव संप्रदाय की 14 वीं पीढ़ी करती हैं और उन्हीं के सानिध्य में मंदिर में बाबा भोले की पूजा-अर्चना होती है. सावन के महीने में यहां प्रतिदिन करीब पचास हजार से अधिक लोग जलाभिषेक करने पहुंचते हैं.
सावन और महाशिवरात्रि में उमड़ता है भक्तों को जनसैलाब
सावन और महाशिवरात्रि में इस मंदिर में भक्तों को सैलाब उमड़ता है. जिसको लेकर श्रद्धालुओं और स्थानियों में उत्साह का माहौल रहता है. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित शिवालयों में सावन की पहली सोमवारी को लेकर महिला व पुरूष श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखी जा रही हैं.