छपरा: जयप्रभा सेतु वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के दौरान लावारिश शवों को ठिकाने लगाने का माध्यम बन बैठा है. यूं तो यूपी और बिहार के स्वास्थ्य सेवा से जुड़े एम्बुलेंस चालक आये दिन शवों को चोरी छिपे लाकर सरयु नदी में बहाते हैं. लेकिन कई बार स्थानीय लोगों के दबाव को देखते हुए मांझी थाना पुलिस ने शव खपाने आये एम्बुलेंस चालकों को खदेड़ कर भगा दिया. इस बीच सोमवार की रात लगभग 150 मीटर की दूरी पर नदी के बीच रेत पर दो अलग-अलग शव फेंककर एम्बुलेंस चालक भाग निकले.
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जयप्रभा सेतु के पास पड़ा शव
बता दें कि दो सड़े गले शव को कुत्ते और कौवे नोच रहे थे. जयप्रभा सेतु के नीचे पड़े चार शवों को देखकर लोग सत्र रह गए. दोनों तरफ बहती सरयु की धारा के बीचों-बीच उगे नए रेत पर दक्षिण की तरफ कोरोना किट में पैक एक बुजुर्ग का शव और कफन में लिपटा एक शव पड़ा था. इसके अलावा एक शव जिसका सिर्फ अस्थि शेष मात्र बचा हुआ था, वे भी सड़ रहा था. इन तीन शवों के अलावा लगभग 200 मीटर पूरब नदी के लगभग दो फुट गहरे पानी में एक अन्य शव देखा गया. इतना ही, नहीं मांझी और ड्यूमाइगढ़ श्मसान घाट पर प्रतिदिन दाह संस्कार के लिए लाए जा रहे शवों में से कई शवों को लोग अधजला छोड़कर भाग जा रहे हैं.
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लोगों ने नदी में स्नान करना किया बंद
शवों की बढ़ी हुई संख्या के मद्देनजर सियार और कुत्ते मांस खा जाते हैं. इसके वजह से कुत्ता काटने की घटना काफी बढ़ गई है. श्मसान घाट के आसपास पानी में फैले शव के टुकड़ों से प्रदूषित मिट्टी और पानी की वजह से लोगों ने नदी में स्नान करना बंद कर दिया है. नदी में शव को अनायास देख स्थानीय लोगों ने मछलियों के संक्रमित होने की आशंका के मद्देनजर मछली खाने से भी परहेज कर रहे हैं. मांसाहारी लोगों के बीच गड्ढों और तालाबों से निकलने वाली मछलियों की डिमांड बढ़ गई है.