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सारण में लोगों की बढ़ी मुश्किलें, बाढ़ से बदतर हुई स्थिति

सारण जिले में दूसरी बार आई भीषण बाढ़ लोगों पर कहर बरपा रही है. बाढ़ के पानी की तेज रफ्तार के आगे किसी का बस नहीं चल रहा है. जलस्तर में हर रोज उतार-चढ़ाव हो रहा है. वहीं, सामुदायिक किचन बंद कर दिए जाने से भी लोगों के सामने अब खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है.

Saran
बाढ़ में बहता सारण
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Published : Oct 4, 2020, 12:06 PM IST

Updated : Oct 4, 2020, 2:20 PM IST

सारण(छपरा): जिले में बाढ़ का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. मशरख, पानापुर, तरैया, मढ़ौरा, इसुआपुर, अमनौर, मकेर, परसा, दरियापुर, गरखा प्रखंड में अभी स्थिति गंभीर बनी हुई है. वहीं, कई पंचायतों के गांव चारों ओर से बाढ़ से घिरे गए हैं, जिस कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं.

देंखे रिपोर्ट.

दूसरी बार आई बाढ़ ने बरपाया कहर

बता दें कि सारण जिले में दूसरी बार आई भीषण बाढ़ लोगों पर कहर बरपा रही है. बाढ़ के पानी की तेज रफ्तार के आगे किसी का बस नहीं चल रहा है. जलस्तर में हर रोज उतार-चढ़ाव हो रहा है. वहीं, सामुदायिक किचन बंद कर दिए जाने से भी लोगों के सामने अब खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है. बच्चों को भूख से बिलखता देख माता-पिता रोने लगते है.

बाढ़ की विभीषिका में सरकारी तंत्र हुआ फेल

वहीं, इन सब के बीच सरकारी तंत्र बिल्कुल फेल हो गया है. बाढ़ पीड़ितों के लिए मोटर बोट तक की सुविधा प्रशासन ने अब तक मुहैया नहीं कराई है. जिस कारण बाढ़ पीड़ितों के बीच त्राहिमाम मचा हुआ है.

ग्रामीणों ने बताई आपबीती

ग्रामीण बताते हैं कि कमर भर पानी से निकल कर सुरक्षित बांध पर पहुंचना पड़ता है. उन्होंने बताया कि सरकारी पदाधिकारी व कर्मी ढूंढने से भी नहीं मिल रहे हैं. सरकारी तंत्र फेल है और जनप्रतिनिधि आचार संहिता के कारण बाढ़ पीड़ितों की मदद करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. वहीं, कई दिन बीत जाने के बाद भी बाढ़ पीड़ितों को चुरा मीठा तक नहीं नसीब हुआ हैं.

सारण(छपरा): जिले में बाढ़ का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. मशरख, पानापुर, तरैया, मढ़ौरा, इसुआपुर, अमनौर, मकेर, परसा, दरियापुर, गरखा प्रखंड में अभी स्थिति गंभीर बनी हुई है. वहीं, कई पंचायतों के गांव चारों ओर से बाढ़ से घिरे गए हैं, जिस कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं.

देंखे रिपोर्ट.

दूसरी बार आई बाढ़ ने बरपाया कहर

बता दें कि सारण जिले में दूसरी बार आई भीषण बाढ़ लोगों पर कहर बरपा रही है. बाढ़ के पानी की तेज रफ्तार के आगे किसी का बस नहीं चल रहा है. जलस्तर में हर रोज उतार-चढ़ाव हो रहा है. वहीं, सामुदायिक किचन बंद कर दिए जाने से भी लोगों के सामने अब खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है. बच्चों को भूख से बिलखता देख माता-पिता रोने लगते है.

बाढ़ की विभीषिका में सरकारी तंत्र हुआ फेल

वहीं, इन सब के बीच सरकारी तंत्र बिल्कुल फेल हो गया है. बाढ़ पीड़ितों के लिए मोटर बोट तक की सुविधा प्रशासन ने अब तक मुहैया नहीं कराई है. जिस कारण बाढ़ पीड़ितों के बीच त्राहिमाम मचा हुआ है.

ग्रामीणों ने बताई आपबीती

ग्रामीण बताते हैं कि कमर भर पानी से निकल कर सुरक्षित बांध पर पहुंचना पड़ता है. उन्होंने बताया कि सरकारी पदाधिकारी व कर्मी ढूंढने से भी नहीं मिल रहे हैं. सरकारी तंत्र फेल है और जनप्रतिनिधि आचार संहिता के कारण बाढ़ पीड़ितों की मदद करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. वहीं, कई दिन बीत जाने के बाद भी बाढ़ पीड़ितों को चुरा मीठा तक नहीं नसीब हुआ हैं.

Last Updated : Oct 4, 2020, 2:20 PM IST
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