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Saran News: रजिस्ट्रार की रिपोर्ट से JPU के कुलपति को शो कॉज, 7 दिन के अंदर राजभवन ने मांगा जवाब

जय प्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ फारूक अली को कारण बताओ नोटिस (Show Cause to VC) जारी किया गया है. दैनिक वेतन भोगी व संविदा कर्मियों को अग्रिम देने और कॉलेजों की नवसंबद्धता में अनियमितता बरतने को लेकर राजभवन ने नोटिस जारी किया है.

Show Cause to VC of JPU
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Published : Jul 13, 2021, 9:03 PM IST

सारण: जय प्रकाश विश्वविद्यालय (Jai Prakash University) के कुलपति प्रोफेसर डॉक्टर फारूक अली (Dr. Farooq Ali) पर लग रहे अनियमितता के मामले की राजभवन अपने स्तर से जांच करा रहा है. कुलपति का वित्तीय अधिकार भी अभी सीज कर दिया गया है. राजभवन के संयुक्त सचिव राज कुमार सिन्हा ने पत्र भेजा है. कुलपति से पत्र प्राप्त होने के सात दिनों के अंदर जवाब मांगा गया है.

यह भी पढ़ें- दरभंगा में कोचिंग का टीचर बना हैवान, बच्ची को इतनी बेरहमी से पीटा कि शरीर पर पड़ गए लाल निशान

मामले में राजभवन ने जून में कालेजों के नवसंबद्धता (Newly affiliated colleges) को ले भेजे गए प्रस्ताव में गड़बड़ी मिलने पर विश्वविद्यालय निरीक्षक(विज्ञान) डॉ. अमरेंद्र कुमार झा और विश्वविद्यालय निरीक्षण (कला) डॉ. आरपी श्रीवास्तव से शो काज करते हुए जवाब-तलब किया था. कुलपति से शो कॉज की कार्रवाई भी कुलसचिव प्रो. रवि प्रकाश बबलू के जांच प्रतिवेदन पर राजभवन ने किया है.

राजभवन ने पिछले दिनों गोपालगंज के वार्ड संख्या 1 के निवासी रंजन कुमार के परिवाद पर राजभवन में संविदा व दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को लाखों अग्रिम देने की शिकायत की थी. इस पर राजभवन ने कुलसचिव डॉ. रवि प्रकाश बबलू से रिपोर्ट तलब किया था. जेपीयू के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि जयप्रकाश विश्वविद्यालय के दैनिक वेतन भोगी एवं संविदा कर्मी को कई लाख रुपये अग्रिम देने व कालेज के नव संबद्धता देने के मामले में कुलसचिव की रिपोर्ट पर राजभवन गंभीर हो गया है.

नवसंबद्धता कालेजों की रिपोर्ट में भी गड़बड़ी का मामला पकड़ाया है. जेपी विश्वविद्यालय से नवसंबद्ध आठ कालेजों की रिपोर्ट में भी गड़बड़ी का मामला पकड़ में आया है. इसमें छपरा के एक कालेज की जमीन के कागज में हेराफेरी करने का मामला पकड़ में आया है. हाई स्कूल की जमीन के कागज को टेंपरिंग कर कालेज का नाम लिखकर संबद्धता के लिए जमा किया गया था.

बिना जांच किए ही इसे विश्वविद्यालय की कमेटी ने संबद्धता को भेज दिया. राजभवन एवं उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जांच में यह मामला पकड़ में आ गया. इस पर राजभवन ने पूरे नव संबद्धता वाले कालेजों की फिर से जांच कर रिपोर्ट देने और दोषियों को चिह्नित करने का निर्देश दिया है. इसके बाद शो कॉज किया गया है. नये आरोपों की जांच राजभवन की तीन सदस्यी कमेटी के सुपुर्द है.

जेपी विश्वविद्यालय में हुए नये प्रशासनिक व वित्तीय अनियमिता की जांच भी राजभवन ने पूर्व में गठित तीन सदस्यीय कमेटी को सौंपी है. यह कमेटी पहले से कुलपति प्रो. फारूक अली पर लगे 71.70 करोड़ के वित्तीय लेनदेन (एक दिसंबर 2020 से लेकर 31 जनवरी 2021) की जांच कर रही है.

राजभवन के तीन सदस्यीय जांच कमेटी में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रसाद सिंह अध्यक्ष हैं. सदस्य के रूप में पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरिश कुमार चौधरी व कामेश्वर प्रसाद सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के वित्तीय सलाहकार सदस्य हैं. मामले में कुलपति के वित्तीय, प्रशासनिक व नीतिगत निर्णय लेने पर पहले से ही रोक है.

जेपी विश्वविद्यालय में कालेजों के नवसंबद्धता में अनियमितता की जांच शिक्षा विभाग भी अपने स्तर से करगा. इस संबंध में राजभवन के संयुक्त सचिव राज कुमार सिन्हा ने शिक्षा विभाग के सचिव को पत्र भेजा है. उसमें कहा गया है कि जेपी विश्वविद्यालय में कालेजों के नवसंबद्धता मामले में गलत रिपोर्ट भेजी गई है. रंजन कुमार के परिवाद के बाद कुलसचिव से राजभवन ने रिपोर्ट मांगी थी.

सारण: जय प्रकाश विश्वविद्यालय (Jai Prakash University) के कुलपति प्रोफेसर डॉक्टर फारूक अली (Dr. Farooq Ali) पर लग रहे अनियमितता के मामले की राजभवन अपने स्तर से जांच करा रहा है. कुलपति का वित्तीय अधिकार भी अभी सीज कर दिया गया है. राजभवन के संयुक्त सचिव राज कुमार सिन्हा ने पत्र भेजा है. कुलपति से पत्र प्राप्त होने के सात दिनों के अंदर जवाब मांगा गया है.

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मामले में राजभवन ने जून में कालेजों के नवसंबद्धता (Newly affiliated colleges) को ले भेजे गए प्रस्ताव में गड़बड़ी मिलने पर विश्वविद्यालय निरीक्षक(विज्ञान) डॉ. अमरेंद्र कुमार झा और विश्वविद्यालय निरीक्षण (कला) डॉ. आरपी श्रीवास्तव से शो काज करते हुए जवाब-तलब किया था. कुलपति से शो कॉज की कार्रवाई भी कुलसचिव प्रो. रवि प्रकाश बबलू के जांच प्रतिवेदन पर राजभवन ने किया है.

राजभवन ने पिछले दिनों गोपालगंज के वार्ड संख्या 1 के निवासी रंजन कुमार के परिवाद पर राजभवन में संविदा व दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को लाखों अग्रिम देने की शिकायत की थी. इस पर राजभवन ने कुलसचिव डॉ. रवि प्रकाश बबलू से रिपोर्ट तलब किया था. जेपीयू के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि जयप्रकाश विश्वविद्यालय के दैनिक वेतन भोगी एवं संविदा कर्मी को कई लाख रुपये अग्रिम देने व कालेज के नव संबद्धता देने के मामले में कुलसचिव की रिपोर्ट पर राजभवन गंभीर हो गया है.

नवसंबद्धता कालेजों की रिपोर्ट में भी गड़बड़ी का मामला पकड़ाया है. जेपी विश्वविद्यालय से नवसंबद्ध आठ कालेजों की रिपोर्ट में भी गड़बड़ी का मामला पकड़ में आया है. इसमें छपरा के एक कालेज की जमीन के कागज में हेराफेरी करने का मामला पकड़ में आया है. हाई स्कूल की जमीन के कागज को टेंपरिंग कर कालेज का नाम लिखकर संबद्धता के लिए जमा किया गया था.

बिना जांच किए ही इसे विश्वविद्यालय की कमेटी ने संबद्धता को भेज दिया. राजभवन एवं उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जांच में यह मामला पकड़ में आ गया. इस पर राजभवन ने पूरे नव संबद्धता वाले कालेजों की फिर से जांच कर रिपोर्ट देने और दोषियों को चिह्नित करने का निर्देश दिया है. इसके बाद शो कॉज किया गया है. नये आरोपों की जांच राजभवन की तीन सदस्यी कमेटी के सुपुर्द है.

जेपी विश्वविद्यालय में हुए नये प्रशासनिक व वित्तीय अनियमिता की जांच भी राजभवन ने पूर्व में गठित तीन सदस्यीय कमेटी को सौंपी है. यह कमेटी पहले से कुलपति प्रो. फारूक अली पर लगे 71.70 करोड़ के वित्तीय लेनदेन (एक दिसंबर 2020 से लेकर 31 जनवरी 2021) की जांच कर रही है.

राजभवन के तीन सदस्यीय जांच कमेटी में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रसाद सिंह अध्यक्ष हैं. सदस्य के रूप में पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरिश कुमार चौधरी व कामेश्वर प्रसाद सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के वित्तीय सलाहकार सदस्य हैं. मामले में कुलपति के वित्तीय, प्रशासनिक व नीतिगत निर्णय लेने पर पहले से ही रोक है.

जेपी विश्वविद्यालय में कालेजों के नवसंबद्धता में अनियमितता की जांच शिक्षा विभाग भी अपने स्तर से करगा. इस संबंध में राजभवन के संयुक्त सचिव राज कुमार सिन्हा ने शिक्षा विभाग के सचिव को पत्र भेजा है. उसमें कहा गया है कि जेपी विश्वविद्यालय में कालेजों के नवसंबद्धता मामले में गलत रिपोर्ट भेजी गई है. रंजन कुमार के परिवाद के बाद कुलसचिव से राजभवन ने रिपोर्ट मांगी थी.

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