छपरा: जिले में ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के आवाहन पर एनई रेलवे मजदूर यूनियन ने छपरा जंक्शन के डीजल लॉबी के गेट पर बोनस दिवस मनाया. इस दौरान कर्मचारियों ने रेलवे की निजीकरण, पीएलबी बोनस का भुगतान न होने के विरोध में इस कार्यक्रम को रखा. यह कार्यक्रम पूरे भारतीय रेलवे के सभी रेल मंडलों में जोर-शोर से मनाया जा रहा है.
आंदोलन के बाद से शुरू की गई बोनस प्रक्रिया
रेलकर्मियों ने कहा कि बोनस भारतीय रेल कर्मियों के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होती है. सन् 1974 में कुर्बानी देकर आंदोलन के परिणाम स्वरुप यह पाया गया है और इसको किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहते हैं. गत वर्ष की तुलना में माल भाड़े के रूप में कई गुना अधिक आय रेल कर्मचारियों ने रेलवे को दी है.
कई कर्मचारियों ने गवाई जान
कर्मियों ने कहा कि जहां एक और पूरी दुनिया अपने घरों में कैद होकर रह गई थी, वैसे कोविड-19 काल में भी रेलवे कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर मालगाड़ी का परिचालन सुचारू रूप से संभालने का काम किया है. इससे लगभग 300 कर्मचारी साथियों ने अपनी जान तक गवाही है. उनकी शहादत को इतने आसानी से भुला नहीं जा सकता. केंद्र सरकार के माध्यम से कर्मचारियों को एनडीए को 43600 पर फिक्स किया गया है. इसके साथ ही 2017 से एनडीए की रिकवरी करने की बात कही गई है.
रेल कर्मचारियों में खासा आक्रोश
कर्मचारियों ने कहा कि जितनी तेजी से रेलवे का निजीकरण किया जा रहा है, उसको लेकर भी रेल कर्मचारियों में खासा आक्रोश है. उन्होंने कहा कि रेलवे की ज्यादा से ज्यादा सेवाओं को निजी क्षेत्र में दिए जाने से रेल कर्मचारियों की अस्मिता का सवाल अब सामने आ गई है. रिटायरमेंट की उम्र के काम करने की जो बातें चल रही है, उसका खुलकर विरोध करेंगे और जरूरत पड़ी तो रेल का चक्का भी जाम करेंगे. इस सभा में सीएस सिंह, एके श्रीवास्तव, डीके सिंह, मान सिंह यादव, एमके सिन्हा सहित कई रेल कर्मचारी उपस्थित रहें.